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उत्तराखंड में बीजेपी के अंधाधुंध सदस्यता अभियान के आने लगे शुरुआती रुझान, एक साथ तीन जगहों से उठे विरोध के सुर! - Uttarakhand BJP leaders dispute - UTTARAKHAND BJP LEADERS DISPUTE

Insider outsider dispute among BJP leaders In Uttarakhand जब लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हुई थी तो बीजेपी ने दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करने के लिए बाकायदा कैंपेन चलाया था. उत्तराखंड में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव की वोटिंग से पहले बीजेपी ने घोषणा की थी कि उसने 15 हजार से ज्यादा विपक्षी नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराई है. अब यही ज्वाइनिंग बीजेपी के गले की हड्डी बन रही है. जानिए क्या है पूरा माजरा.

UTTARAKHAND BJP LEADERS DISPUTE
उत्तराखंड बीजेपी समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 25, 2024, 7:42 AM IST

Updated : Apr 25, 2024, 2:55 PM IST

तमाम विपक्षी नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराने के बाद बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी होती दिख रही है.

देहरादून: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले भले ही बीजेपी ने 15 हजार लोगों को सदस्यता दिलवाने का ढोल पीटा था, लेकिन अब यही रणनीति बीजेपी के लिए गले की हड्डी बनती नजर आ रही है. कभी एक दूसरे का बाजा फोड़ने वाले नेता एक ही पार्टी में आने से अलग-अलग सुर में गा रहे हैं, जो बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बनने वाला है.

लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान से पहले उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सहित अन्य तमाम राजनीतिक दलों से लोगों को तोड़कर बीजेपी में जो ताबड़तोड़ ज्वाइनिंग कराई थी, उसके कुछ शुरुआती रुझान भाजपा के लिए प्रतिक्रिया स्वरूप आने लगे हैं. प्रदेश में ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं, जहां पर पिछले कई दशकों से जो नेता एक दूसरे के धुर विरोधी रहे और एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं, वह अब एक ही दल में आ गए हैं.

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उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर विधानसभा सीटों में ऐसा देखने को मिला है. गढ़वाल मंडल में उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार और कुमाऊं में अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से लेकर उधमसिंह नगर तक की कई विधानसभा सीटों में भाजपा के इस सदस्यता अभियान कार्यक्रम के तहत कांग्रेस और अन्य दलों से ऐसे ऐसे नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली, जो कि विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंदी के नाम पर पहले स्थान पर थे.

ऐसी ही एक विधानसभा सीट है टिहरी गढ़वाल की टिहरी विधानसभा सीट. भाजपा के सदस्यता अभियान के यहां कुछ शुरुआती रुझान देखने को मिले हैं, जहां पर टिहरी में किशोर उपाध्याय, दिनेश धनै और धन सिंह नेगी टिहरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. अब यह तीनों बीजेपी में आ चुके हैं. लेकिन नेताओं के आगे अब समस्या ये है कि वह जब चुनाव लड़े तब जिस जिस पर आरोप लगाए, तो अपनी पार्टी में आ गए हैं. ऐसे में अब नेतागिरी कैसे की जाए. यही वजह है कि टिहरी में इन तीनों नेताओं के बयान इन दिनों चर्चाओं में हैं. यह चर्चा शायद कम होती, अगर यह सभी नेता अलग-अलग दलों में होते. लेकिन एक ही दल में आने के बाद भी इस तरह की बयानबाजियों ने सियासी गलियारों में लोगों को चर्चा करने का मौका दे दिया है.

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टिहरी में घमासान: दरअसल किशोर उपाध्याय का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस पत्र में उनका कहना है कि दिनेश धनै ने पार्टी की भरी मीटिंग में कह दिया कि किशोर उपाध्याय और उनके लोगों के टीएचडीसी में करोड़ों के ठेके चल रहे हैं. किशोर उपाध्याय अब टीएचडीसी निदेशक को पत्र लिखकर आग्रह कर रहे हैं कि उनके यहां काम करने वाले ठेकेदारों की लिस्ट दे दें. कहां लोगों की समस्याओं की लिस्ट बननी थी, कहां ठेकेदारों की लिस्ट बन रही है. इस तरह से टिहरी में बीजेपी के अंदर ही शीत युद्व शुरू हो गया है और इसमें पिसने लगे हैं बीजेपी के हार्डकोर कार्यकर्ता. उनके आगे दिक्कत ये है कि वो किसको नेता बोलें. नेताओं की दिक्कत ये हो सकती है कि मंच पर कौन बैठेगा और मंच के सामने कौन. टिकट किसे मिलेगा और किसे नहीं. क्या तब भी अनुशासन में रह पाऐंगे नेता. नेताजी के समर्थकों का क्या होगा?

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लैंसडाउन में दिलीप रावत परेशान: इसी तरह से लैंसडाउन विधानसभा सीट के विधायक दिलीप रावत भी हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के भाजपा में आने के बाद काफी असहज नजर आ रहे हैं. भाजपा के बेहद पुराने विधायक दिलीप रावत ने हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के भाजपा में सदस्यता लेते ही अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिना किसी का जिक्र किए लिख दिया कि, राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों का महल धोते-धोते. दिलीप रावत ने इस पोस्ट में ना तो किसी का नाम लिखा था और ना इसमें राजनीति की कोई बात थी. लेकिन इसे समझने के लिए राजनीति से जुड़े किसी भी व्यक्ति को मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ी. सोशल मीडिया पर दिलीप रावत का यह पोस्ट कई अटपटे कमेंट्स के साथ वायरल होने लगा. साफ कहा जा सकता है कि लैंसडाउन में अनुकृति गुसाईं की एंट्री से विधायक दिलीप रावत आहत हैं. जिनके खिलाफ चुनाव लड़ा, उनके साथ मंच शेयर कैसे होगा?

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लोहाघाट में पूरन फर्त्याल नाराज: इसी तरह से एक और विधानसभा सीट लोहाघाट में भी बीजेपी के सदस्यता अभियान के बाद पार्टी के पुराने नेता बेहद पशोपेश की स्थिति में हैं. लोहाघाट में पूरण फर्त्याल नाराज हैं. कांग्रेस विधायक के भतीजे की पार्टी में एंट्री से फर्त्याल परेशान हैं. इस एंट्री के बदले बड़ी डील होने की बात कह चुके हैं. उधर चमोली में राजेंद्र भंडारी की ज्वाइनिंग से बीजेपी का एक धड़ा सर पकडे़ बैठा है.

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संगठन झांक रहा है बगलें: भाजपा के इस अंधाधुंध सदस्यता अभियान के साइड इफेक्ट से ऐसा नहीं है कि पार्टी के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग अनभिज्ञ हैं. पार्टी के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग भी यह जान रहे हैं कि इस ताबड़तोड़ सदस्यता अभियान ने उनके अपने कोर कार्यकर्ता और झंडा डंडा बोकने वाले समर्पित कार्यकर्ता को झटका दिया है. हालांकि पूछे जाने पर पार्टी लाइन पर बोलना मजबूरी जरूर है. उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी से जब हमने इस बाबत सवाल किया तो उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एक बहुत बड़ा संगठन है. यहां पर हर दलों के नेता आज मौजूद हैं. ऐसे में निश्चित तौर से एक दूसरे के साथ सामंजस्य बैठाने में थोड़ा समय लगता है. पार्टी का कहना है कि जल्द ही यह सब समस्याएं हैं दूर हो जाएंगी. इतने बड़े राजनीतिक दल में कुछ छुटपुट समस्याएं तो रहती ही हैं.
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तमाम विपक्षी नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराने के बाद बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी होती दिख रही है.

देहरादून: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले भले ही बीजेपी ने 15 हजार लोगों को सदस्यता दिलवाने का ढोल पीटा था, लेकिन अब यही रणनीति बीजेपी के लिए गले की हड्डी बनती नजर आ रही है. कभी एक दूसरे का बाजा फोड़ने वाले नेता एक ही पार्टी में आने से अलग-अलग सुर में गा रहे हैं, जो बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बनने वाला है.

लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान से पहले उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सहित अन्य तमाम राजनीतिक दलों से लोगों को तोड़कर बीजेपी में जो ताबड़तोड़ ज्वाइनिंग कराई थी, उसके कुछ शुरुआती रुझान भाजपा के लिए प्रतिक्रिया स्वरूप आने लगे हैं. प्रदेश में ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं, जहां पर पिछले कई दशकों से जो नेता एक दूसरे के धुर विरोधी रहे और एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं, वह अब एक ही दल में आ गए हैं.

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उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर विधानसभा सीटों में ऐसा देखने को मिला है. गढ़वाल मंडल में उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार और कुमाऊं में अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से लेकर उधमसिंह नगर तक की कई विधानसभा सीटों में भाजपा के इस सदस्यता अभियान कार्यक्रम के तहत कांग्रेस और अन्य दलों से ऐसे ऐसे नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली, जो कि विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंदी के नाम पर पहले स्थान पर थे.

ऐसी ही एक विधानसभा सीट है टिहरी गढ़वाल की टिहरी विधानसभा सीट. भाजपा के सदस्यता अभियान के यहां कुछ शुरुआती रुझान देखने को मिले हैं, जहां पर टिहरी में किशोर उपाध्याय, दिनेश धनै और धन सिंह नेगी टिहरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. अब यह तीनों बीजेपी में आ चुके हैं. लेकिन नेताओं के आगे अब समस्या ये है कि वह जब चुनाव लड़े तब जिस जिस पर आरोप लगाए, तो अपनी पार्टी में आ गए हैं. ऐसे में अब नेतागिरी कैसे की जाए. यही वजह है कि टिहरी में इन तीनों नेताओं के बयान इन दिनों चर्चाओं में हैं. यह चर्चा शायद कम होती, अगर यह सभी नेता अलग-अलग दलों में होते. लेकिन एक ही दल में आने के बाद भी इस तरह की बयानबाजियों ने सियासी गलियारों में लोगों को चर्चा करने का मौका दे दिया है.

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टिहरी में घमासान: दरअसल किशोर उपाध्याय का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस पत्र में उनका कहना है कि दिनेश धनै ने पार्टी की भरी मीटिंग में कह दिया कि किशोर उपाध्याय और उनके लोगों के टीएचडीसी में करोड़ों के ठेके चल रहे हैं. किशोर उपाध्याय अब टीएचडीसी निदेशक को पत्र लिखकर आग्रह कर रहे हैं कि उनके यहां काम करने वाले ठेकेदारों की लिस्ट दे दें. कहां लोगों की समस्याओं की लिस्ट बननी थी, कहां ठेकेदारों की लिस्ट बन रही है. इस तरह से टिहरी में बीजेपी के अंदर ही शीत युद्व शुरू हो गया है और इसमें पिसने लगे हैं बीजेपी के हार्डकोर कार्यकर्ता. उनके आगे दिक्कत ये है कि वो किसको नेता बोलें. नेताओं की दिक्कत ये हो सकती है कि मंच पर कौन बैठेगा और मंच के सामने कौन. टिकट किसे मिलेगा और किसे नहीं. क्या तब भी अनुशासन में रह पाऐंगे नेता. नेताजी के समर्थकों का क्या होगा?

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लैंसडाउन में दिलीप रावत परेशान: इसी तरह से लैंसडाउन विधानसभा सीट के विधायक दिलीप रावत भी हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के भाजपा में आने के बाद काफी असहज नजर आ रहे हैं. भाजपा के बेहद पुराने विधायक दिलीप रावत ने हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के भाजपा में सदस्यता लेते ही अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिना किसी का जिक्र किए लिख दिया कि, राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों का महल धोते-धोते. दिलीप रावत ने इस पोस्ट में ना तो किसी का नाम लिखा था और ना इसमें राजनीति की कोई बात थी. लेकिन इसे समझने के लिए राजनीति से जुड़े किसी भी व्यक्ति को मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ी. सोशल मीडिया पर दिलीप रावत का यह पोस्ट कई अटपटे कमेंट्स के साथ वायरल होने लगा. साफ कहा जा सकता है कि लैंसडाउन में अनुकृति गुसाईं की एंट्री से विधायक दिलीप रावत आहत हैं. जिनके खिलाफ चुनाव लड़ा, उनके साथ मंच शेयर कैसे होगा?

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लोहाघाट में पूरन फर्त्याल नाराज: इसी तरह से एक और विधानसभा सीट लोहाघाट में भी बीजेपी के सदस्यता अभियान के बाद पार्टी के पुराने नेता बेहद पशोपेश की स्थिति में हैं. लोहाघाट में पूरण फर्त्याल नाराज हैं. कांग्रेस विधायक के भतीजे की पार्टी में एंट्री से फर्त्याल परेशान हैं. इस एंट्री के बदले बड़ी डील होने की बात कह चुके हैं. उधर चमोली में राजेंद्र भंडारी की ज्वाइनिंग से बीजेपी का एक धड़ा सर पकडे़ बैठा है.

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संगठन झांक रहा है बगलें: भाजपा के इस अंधाधुंध सदस्यता अभियान के साइड इफेक्ट से ऐसा नहीं है कि पार्टी के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग अनभिज्ञ हैं. पार्टी के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग भी यह जान रहे हैं कि इस ताबड़तोड़ सदस्यता अभियान ने उनके अपने कोर कार्यकर्ता और झंडा डंडा बोकने वाले समर्पित कार्यकर्ता को झटका दिया है. हालांकि पूछे जाने पर पार्टी लाइन पर बोलना मजबूरी जरूर है. उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी से जब हमने इस बाबत सवाल किया तो उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एक बहुत बड़ा संगठन है. यहां पर हर दलों के नेता आज मौजूद हैं. ऐसे में निश्चित तौर से एक दूसरे के साथ सामंजस्य बैठाने में थोड़ा समय लगता है. पार्टी का कहना है कि जल्द ही यह सब समस्याएं हैं दूर हो जाएंगी. इतने बड़े राजनीतिक दल में कुछ छुटपुट समस्याएं तो रहती ही हैं.
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Last Updated : Apr 25, 2024, 2:55 PM IST
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