देहरादून: बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नैनीताल से हाईकोर्ट को गढ़वाल में शिफ्ट करने पर शंका जताते हुए एक पत्र लिखा था. जिस पर अब एक और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान आया है.
कोश्यारी की चिट्ठी त्रिवेंद्र को अखरी: उत्तराखंड में एक ही पार्टी भारतीय जनता पार्टी के दो बड़े नेताओं के बयान एक दूसरे पर पलटवार करते नजर आ रहे हैं. बीजेपी के ये दोनों बड़े नेता भगत सिंह कोश्यारी और त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं. दोनों भाजपा के कद्दावर नेता हैं और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. दरअसल मामला पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के एक पत्र से शुरू हुआ. कोश्यारी ने नैनीताल हाईकोर्ट को नैनीताल से शिफ्ट किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा.
कोश्यारी की सीएम को लिखी चिट्ठी में क्या था: इस पत्र में भगत सिंह कोश्यारी ने कई बिंदुओं पर जिक्र करते हुए कुमाऊं की अपेक्षा लगातार गढ़वाल को दी जा रही तवज्जो पर भी अपनी बात रखी. भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के इस पत्र में उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में स्थापित संस्थाओं का भी जिक्र आया. यह भी जिक्र आया कि किस तरह से कुमाऊं को भी गढ़वाल की तरह तवज्जो दी जानी चाहिए. भगत सिंह कोश्यारी के इस पत्र के बाद यहां पर कहीं ना कहीं सियासी गलियारों में गढ़वाल कुमाऊं की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई.
कोश्यारी के पत्र से त्रिवेंद्र चकित: वहीं अब इस पूरे मामले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान आया है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के इस पत्र का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें इस पत्र को देखकर बेहद आश्चर्य हुआ. उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने यह पत्र क्यों लिखा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमारा पूरा उत्तराखंड राज्य एक है. हमें संपूर्णता में भरोसा रखना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दृष्टिकोण से हमें इस तरह की कंट्रोवर्सी से बचना चाहिए.
त्रिवेंद्र की कोश्यारी को नसीहत: त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जहां तक भगत सिंह कोश्यारी के पत्र में हाईकोर्ट को शिफ्ट करने को लेकर विषय था तो जब वह मुख्यमंत्री थे उस समय भी यह विषय उनके सामने आया था. उन्होंने बताया कि नैनीताल में व्यापारियों और पर्यटन की गतिविधियों की वजह से हाईकोर्ट के कामकाज के साथ ही पर्यटन की गतिविधियों में व्यवधान पैदा होता है. ये वहां के लोगों की ही मांग है कि हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट किया जाए. जिसको लेकर हल्द्वानी और रामनगर में जगह तलाशी गई और इस पर कार्रवाई आगे चल रही है. लेकिन इस तरह से विषय को क्षेत्र के हिसाब से उठाकर हमें विवादों से बचना चाहिए.
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