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पारंपरिक ज्ञान का खजाना है आदिवासी समाज : राष्ट्रपति मुर्मू - आदिवासी समाज

President Droupadi Murmu : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय में आदिवासी समाज को पारंपरिक ज्ञान का खजाना बताया. उन्होंने कहा कि आदिवासी गांवों में रहने वाले बूढ़े लोग जानते हैं कि कौन सा पौधा किस बीमारी के लिए उपयोगी है. लेकन इनकी पीढ़ी दर पीढ़ी आदिवासी आबादी कम होती जा रही है इसलिए हर किसी को उनका ज्ञान अर्जित करना चाहिए, जो अगली पीढ़ी के लिए उपयोगी हो सकता है.

President Droupadi Murmu
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
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By PTI

Published : Feb 29, 2024, 10:42 PM IST

क्योंझर (ओडिशा) : आदिवासी समाज को पारंपरिक ज्ञान का खजाना बताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि आदिवासियों की जीवनशैली अहिंसा और सह-अस्तित्व का प्रतीक है. मुर्मू ने क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय द्वारा 'क्योंझर की जनजातियां: लोग, संस्कृति और विरासत' विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी समारोह का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही. मुर्मू, आदिवासी समुदाय से आने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति हैं.

मुर्मू ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का जिक्र करते हुए कहा कि पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाकर रहने की तकनीक केवल आदिवासी ही जानते हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय सूर्य, चंद्रमा, जंगल, पेड़, झरनों और अन्य प्राकृतिक चीजों की पूजा करता है. मुर्मू ने कहा कि आदिवासी, प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाते. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज से बहुत सी चीजें सीखी जा सकती हैं.

उन्होंने विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और अन्य लोगों से ज्ञान की इस संपदा को बचाने और फैलाने का प्रयास करने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को आदिवासियों की जीवनशैली का अनुभव प्राप्त करने के लिए कम से कम पांच दिन और रात उनके गांवों में बितानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के ज्ञान का उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जा सकता है.

मुर्मू ने कहा, 'आदिवासी गांवों में रहने वाले बूढ़े लोग जानते हैं कि कौन सा पौधा किस बीमारी के लिए उपयोगी है. चूंकि पीढ़ी दर पीढ़ी आदिवासी आबादी कम होती जा रही है इसलिए हर किसी को उनका ज्ञान अर्जित करना चाहिए, जो अगली पीढ़ी के लिए उपयोगी हो सकता है.' उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी समाज में लैंगिक भेदभाव लगभग न के बराबर है. मुर्मू ने कहा, 'महिला सशक्तिकरण के विचार को आदिवासी समाज से ऊर्जा प्राप्त हो सकती है.' उन्होंने कहा कि ज्यादातर आदिवासी ईमानदार और सीधे सादे व्यक्ति होते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि सादगी, आदिवासियों की पहचान है और यही उन्हें दूसरों से अलग बनाती है.

ये भी पढ़ें - राष्ट्रपति मुर्मू ने ओडिशा का चार दिवसीय दौरा शुरू किया

क्योंझर (ओडिशा) : आदिवासी समाज को पारंपरिक ज्ञान का खजाना बताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि आदिवासियों की जीवनशैली अहिंसा और सह-अस्तित्व का प्रतीक है. मुर्मू ने क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय द्वारा 'क्योंझर की जनजातियां: लोग, संस्कृति और विरासत' विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी समारोह का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही. मुर्मू, आदिवासी समुदाय से आने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति हैं.

मुर्मू ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का जिक्र करते हुए कहा कि पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाकर रहने की तकनीक केवल आदिवासी ही जानते हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय सूर्य, चंद्रमा, जंगल, पेड़, झरनों और अन्य प्राकृतिक चीजों की पूजा करता है. मुर्मू ने कहा कि आदिवासी, प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाते. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज से बहुत सी चीजें सीखी जा सकती हैं.

उन्होंने विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और अन्य लोगों से ज्ञान की इस संपदा को बचाने और फैलाने का प्रयास करने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को आदिवासियों की जीवनशैली का अनुभव प्राप्त करने के लिए कम से कम पांच दिन और रात उनके गांवों में बितानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के ज्ञान का उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जा सकता है.

मुर्मू ने कहा, 'आदिवासी गांवों में रहने वाले बूढ़े लोग जानते हैं कि कौन सा पौधा किस बीमारी के लिए उपयोगी है. चूंकि पीढ़ी दर पीढ़ी आदिवासी आबादी कम होती जा रही है इसलिए हर किसी को उनका ज्ञान अर्जित करना चाहिए, जो अगली पीढ़ी के लिए उपयोगी हो सकता है.' उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी समाज में लैंगिक भेदभाव लगभग न के बराबर है. मुर्मू ने कहा, 'महिला सशक्तिकरण के विचार को आदिवासी समाज से ऊर्जा प्राप्त हो सकती है.' उन्होंने कहा कि ज्यादातर आदिवासी ईमानदार और सीधे सादे व्यक्ति होते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि सादगी, आदिवासियों की पहचान है और यही उन्हें दूसरों से अलग बनाती है.

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