नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले में अवैध निर्माण से जुड़े मामले में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने अपने तीन इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है. इन तीनों पर बंगले के निर्माण के दौरान स्वीकृत लागत से ज्यादा पैसा खर्च करने का आरोप है. निलंबित किए गए इन तीन इंजीनियरों में एडीजी सिविल अशोक कुमार राजदेव, मुख्य अभियंता प्रदीप कुमार परमार और अधीक्षण अभियंता अभिषेक राज शामिल हैं.
इन तीनों की तैनाती उस समय दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग में थी. इन तीनों के अलावा अन्य पांच और इंजीनियर बंगले के निर्माण के दौरान की गई अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं. मौजूदा समय में अशोक कुमार राजदेव और प्रदीप कुमार परमार की पोस्टिंग केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में गुवाहाटी और अभिषेक राज की पोस्टिंग भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत खड़गपुर में है. तीनों इंजीनियरों के दिल्ली से बाहर तैनात होने के चलते सतर्कता विभाग ने महानिदेशक(सीपीडब्ल्यूडी) से इनको निलंबित करने और इनके खिलाफ बड़ा जुर्माना लगाने का अनुरोध किया था.
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बता दें कि इससे पहले चार इंजीनियरों में से दो को भी उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के निर्देश पर निलंबित किया जा चुका है. वहीं एक रिटायर्ड इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीपीडब्ल्यूडी से सिफारिश की गई है. सतर्कता विभाग के अनुसार इन इंजीनियरों ने दिल्ली सरकार के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री की मिलीभगत से एक अत्यावश्यक धारा का इस्तेमाल करते हुए मुख्यमंत्री के लिए नए बंगले के निर्माण की अनुमति दी, जबकि ऐसी कोई आवश्यकता नहीं थी.
कोरोना के चलते वित्त विभाग कम कर रहा था खर्च, तब इंजीनियर बढ़ा रहे थे बंगले का बजट
वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के चलते एक ओर वित्त विभाग राजकोषीय प्रबंधन पर आदेश जारी कर रहा था और व्यय कम कर रहा था.वहीं दूसरी ओर पीडब्ल्यूडी परिस्थितियों की उपेक्षा करते हुए नए घर के निर्माण के प्रस्ताव में जल्दबाजी कर रहा था. इसके अलावा सतर्कता विभाग ने यह रिकॉर्ड में रखा है कि पुरानी इमारत को ध्वस्त करना और एक नई इमारत का निर्माण करना और व्यय में अनुपातहीन वृद्धि मंत्री पीडब्ल्यूडी और मुख्यमंत्री मैडम के निर्देशों पर की गई थी. जिसके कारण बड़ी वित्तीय गड़बड़ी हुई.
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सतर्कता विभाग ने बताया है कि अतिरिक्त कलात्मक और सजावटी कार्यों, उत्कृष्ट श्रेणी के पत्थर के फर्श, बेहतर लकड़ी के दरवाजे और स्वचालित स्लाइडिंग ग्लास दरवाजे, शौचालयों में वैनिटी प्रदान करने, फिक्सिंग और सजावटी अंदरूनी हिस्सों जैसी उत्कृष्ट विशिष्टताओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे. इनमें सजावटी खंभे, कांच के शॉवर और दरवाजे, पारदर्शी पर्दे, ऊनी कालीन, शौचालय और बाथरूम में ब्लाइंड, कलात्मक मोल्डिंग, स्लाइडिंग और फोल्डिंग ग्लास और सौना बाथ जैसी सुविधाएं शामिल हैं. बता दें कि इस मामले की जांच पहले से ही सीबीआई द्वारा की जा रही है.
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