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जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में होने वाले मौतों में आई भारी कमी, जानें कौन-सा साल था सबसे ज्यादा हिंसक - Terror Attack Jammu And Kashmir

Terror Attack Jammu And Kashmir : जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में होने वाली मौतों में कमी आई है. पुलिस ने इस संबंध में कुछ आंकड़े जारी किए हैं. क्या कहते हैं ये आंकड़े, आइए एक नजर डालते हैं.

Terror Attack Jammu And Kashmir
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में होने वाले मौतों में आई भारी कमी (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 31, 2024, 9:28 PM IST

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में साल 2024 के पहले सात महीनों में आतंकी घटनाओं में होने वाले मौतों में मामूली बढ़त देखी गई, अबतक यहां आतंकी घटनाओं में कुल 68 मौतें दर्ज की गई है. जम्मू और कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की इसी अवधि में आतंकी घटनाओं में 62 लोगों की मौत हुई थी. जो इस साल मामूली बढ़त को दर्शाता है.

2024 के शुरुआती सात महीनों में, मारे गए लोगों में 17 नागरिक, 17 सुरक्षाकर्मी और 34 आतंकवादी शामिल है. यह आंकड़ा पिछले दशक के सबसे हिंसक साल 2019 से बिल्कुल अलग है. जैसा कि डेटा से पता चलता है कि साल 2019 में आतंकी घटनाओं में हत्याओं की संख्या बढ़कर 231 हो गई थी जिसमें 22 नागरिक, 74 सुरक्षाकर्मी और 135 आतंकवादी शामिल थे.

डेटा से यह भी पता चलता है कि साल 2018 में जुलाई तक इस क्षेत्र में 218 हत्याएं दर्ज की गई थी. साल 2019 में सबसे अधिक सुरक्षाकर्मी हताहत हुए थे, जिसमें 74 मौतें हुई थी. इसके विपरीत, 2023 सबसे शांतिपूर्ण साल था. साल 2023 में साल 2014 के बाद से सबसे कम हत्याएं दर्ज की गई थी, केवल 62 मौतें दर्ज की गई थी. इसमें 9 नागरिक, 13 सुरक्षाकर्मी और 38 आतंकवादी शामिल थे, साथ ही दो अज्ञात व्यक्ति भी शामिल थे. आंकड़ों के वर्ष-दर-वर्ष विश्लेषण से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले एक दशक में हिंसा के स्तर में उतार-चढ़ाव आया है.

वहीं बात करें साल 2014 की तो इस अवधि के दौरान कुल 82 हत्याएं हुई थी, जिनमें 11 नागरिक, 17 सुरक्षाकर्मी और 54 आतंकवादी शामिल थे. वहीं, साल 2015 में कुल 84 हत्याएं हुईं, जिसमें 13 नागरिक, 19 सुरक्षाकर्मी और 52 आतंकवादी मारे गए थे. साल 2016 में हिंसा में तेज वृद्धि हुई, जिसमें कुल 133 हत्याएं हुईं, जिनमें 7 नागरिक, 34 सुरक्षाकर्मी और 92 आतंकवादी शामिल थे. साल 2017 की में भी आतंकी हत्याओं में बढ़त देखी गई थी., जिसमें कुल 191 हत्याएं हुईं, जिनमें 33 नागरिक, 41 सुरक्षाकर्मी और 117 आतंकवादी शामिल थे.

केन्द्र-शासित प्रदेश में 2018 में हिंसा चरम पर थी, जिसमें कुल 218 हत्याएं हुई थी . जिसमें 45 नागरिक, 51 सुरक्षाकर्मी और 122 आतंकवादी शामिल थे. सबसे हिंसक वर्ष 2019 था, जिसमें कुल 231 हत्याएं हुई थी, जिनमें 22 नागरिक, 74 सुरक्षाकर्मी और 135 आतंकवादी शामिल थे. साल 2020 में कुल हत्याओं की संख्या घटकर 205 हो गई, जिसमें 17 नागरिक, 34 सुरक्षाकर्मी और 154 आतंकवादी मारे गए थे. वहीं, साल 2021 में कुल हत्याओं की संख्या में और कमी आई और यह 138 हो गई, जिसमें 13 नागरिक, 20 सुरक्षाकर्मी और 105 आतंकवादी मारे गए थे.

2022 में हिंसा में कमी की प्रवृत्ति जारी रही, जिसमें कुल 177 हत्याएं हुई थी, जिनमें 20 नागरिक, 22 सुरक्षाकर्मी और 135 आतंकवादी शामिल थे. हालांकि, 2023 में कुल 62 हत्याएं हुई थी, जिनमें 9 नागरिक, 13 सुरक्षाकर्मी, 38 आतंकवादी और 2 अज्ञात व्यक्ति शामिल थे. जम्मू-कश्मीर की स्थिति के बारे में बात करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उतार-चढ़ाव के बावजूद, समग्र प्रवृत्ति जम्मू-कश्मीर में हिंसा में कमी की ओर इशारा करती है. अधिकारी ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी अभियानों की रणनीति और पैटर्न में निश्चित रूप से बदलाव आया है.

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श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में साल 2024 के पहले सात महीनों में आतंकी घटनाओं में होने वाले मौतों में मामूली बढ़त देखी गई, अबतक यहां आतंकी घटनाओं में कुल 68 मौतें दर्ज की गई है. जम्मू और कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की इसी अवधि में आतंकी घटनाओं में 62 लोगों की मौत हुई थी. जो इस साल मामूली बढ़त को दर्शाता है.

2024 के शुरुआती सात महीनों में, मारे गए लोगों में 17 नागरिक, 17 सुरक्षाकर्मी और 34 आतंकवादी शामिल है. यह आंकड़ा पिछले दशक के सबसे हिंसक साल 2019 से बिल्कुल अलग है. जैसा कि डेटा से पता चलता है कि साल 2019 में आतंकी घटनाओं में हत्याओं की संख्या बढ़कर 231 हो गई थी जिसमें 22 नागरिक, 74 सुरक्षाकर्मी और 135 आतंकवादी शामिल थे.

डेटा से यह भी पता चलता है कि साल 2018 में जुलाई तक इस क्षेत्र में 218 हत्याएं दर्ज की गई थी. साल 2019 में सबसे अधिक सुरक्षाकर्मी हताहत हुए थे, जिसमें 74 मौतें हुई थी. इसके विपरीत, 2023 सबसे शांतिपूर्ण साल था. साल 2023 में साल 2014 के बाद से सबसे कम हत्याएं दर्ज की गई थी, केवल 62 मौतें दर्ज की गई थी. इसमें 9 नागरिक, 13 सुरक्षाकर्मी और 38 आतंकवादी शामिल थे, साथ ही दो अज्ञात व्यक्ति भी शामिल थे. आंकड़ों के वर्ष-दर-वर्ष विश्लेषण से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले एक दशक में हिंसा के स्तर में उतार-चढ़ाव आया है.

वहीं बात करें साल 2014 की तो इस अवधि के दौरान कुल 82 हत्याएं हुई थी, जिनमें 11 नागरिक, 17 सुरक्षाकर्मी और 54 आतंकवादी शामिल थे. वहीं, साल 2015 में कुल 84 हत्याएं हुईं, जिसमें 13 नागरिक, 19 सुरक्षाकर्मी और 52 आतंकवादी मारे गए थे. साल 2016 में हिंसा में तेज वृद्धि हुई, जिसमें कुल 133 हत्याएं हुईं, जिनमें 7 नागरिक, 34 सुरक्षाकर्मी और 92 आतंकवादी शामिल थे. साल 2017 की में भी आतंकी हत्याओं में बढ़त देखी गई थी., जिसमें कुल 191 हत्याएं हुईं, जिनमें 33 नागरिक, 41 सुरक्षाकर्मी और 117 आतंकवादी शामिल थे.

केन्द्र-शासित प्रदेश में 2018 में हिंसा चरम पर थी, जिसमें कुल 218 हत्याएं हुई थी . जिसमें 45 नागरिक, 51 सुरक्षाकर्मी और 122 आतंकवादी शामिल थे. सबसे हिंसक वर्ष 2019 था, जिसमें कुल 231 हत्याएं हुई थी, जिनमें 22 नागरिक, 74 सुरक्षाकर्मी और 135 आतंकवादी शामिल थे. साल 2020 में कुल हत्याओं की संख्या घटकर 205 हो गई, जिसमें 17 नागरिक, 34 सुरक्षाकर्मी और 154 आतंकवादी मारे गए थे. वहीं, साल 2021 में कुल हत्याओं की संख्या में और कमी आई और यह 138 हो गई, जिसमें 13 नागरिक, 20 सुरक्षाकर्मी और 105 आतंकवादी मारे गए थे.

2022 में हिंसा में कमी की प्रवृत्ति जारी रही, जिसमें कुल 177 हत्याएं हुई थी, जिनमें 20 नागरिक, 22 सुरक्षाकर्मी और 135 आतंकवादी शामिल थे. हालांकि, 2023 में कुल 62 हत्याएं हुई थी, जिनमें 9 नागरिक, 13 सुरक्षाकर्मी, 38 आतंकवादी और 2 अज्ञात व्यक्ति शामिल थे. जम्मू-कश्मीर की स्थिति के बारे में बात करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उतार-चढ़ाव के बावजूद, समग्र प्रवृत्ति जम्मू-कश्मीर में हिंसा में कमी की ओर इशारा करती है. अधिकारी ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी अभियानों की रणनीति और पैटर्न में निश्चित रूप से बदलाव आया है.

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