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एक गांव, जिसे 'योद्धाओं के घर' का गौरव है हासिल, माताएं बच्चों को फौज में जाने को करती हैं प्रेरित

कर्नाटक में दावणगेरे का एक गांव, जिसे 'योद्धाओं के घर' का गौरव हासिल है. इस खबर को पढ़कर आप खुद को गौरवान्वित महसूस करेंग...

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दावणगेरे तालुका का थोलाहुनासे गांव, हर घर में मिल जाएंगे सैनिक (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

दावणगेरे: उत्तर प्रदेश को देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला राज्य होने का गौरव प्राप्त है. इसके बाद पंजाब का स्थान आता है. लेकिन जिलों और गांवों के मामले में मदिकेरी ऐसा तालुका है जिसने देश की सेवा में सबसे ज्यादा सैनिक दिए हैं, जबकि गांवों में दावणगेरे का थोलाहुनासे देश में सबसे ऊपर है. इस छोटे से गांव ने देश को कई सैनिक दिए हैं और 'योद्धाओं के घर' का गौरव हासिल किया है.

दावणगेरे तालुका का थोलाहुनासे गांव अब राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है. गांव के हर घर से दो-दो लोग भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा कर रहे हैं. इस गांव में करीब दो हजार लोग हैं, जिनमें से कई अलग-अलग शहरों में बस गए हैं.

सबसे पहले 1994 में इस गांव के 4 युवा पूरे जोश के साथ सेना में शामिल हुए थे. बाद में यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई और अब तक 300 से 400 लोग देश के अलग-अलग स्थानों पर देश की सेवा कर चुके हैं. वहीं, सेना से रिटायर हो चुके 50 से अधिक जवान, थोलाहुनासे गांव के युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वहीं, सेना में शामिल होने के लिए युवा जिम जाकर कसरत कर रहे हैं, वे सुबह सुबह सड़कों पर दौड़ लगाते दिख जाते हैं.

युवक किशोर कुमार ने बताया कि, उनके चाचा वेंकटेश 21 साल की सेवा के बाद रिटायर हुए हैं. उन्होंने जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद, झारखंड में सेवा की है. उनकी तरह वे भी सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं.

माताएं युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करती हैं
थोलाहुनासे गांव के युवाओं को बीएसएफ, सीएसएफ, सीआरपीएफ में सेवा देने के लिए उनकी मां ही प्रेरित करती हैं. यहां की महिलाएं अपने बच्चों को सेना में भर्ती होने से मना नहीं करती हैं. इसके यहां आज भी युवा सेना में भर्ती होने, सीमा की रक्षा करने और नाम देश और गांव का नाम रोशन करने का चलन है.

रिटायर्ड सैनिक की मां रूपीबाई ने बताया कि, उनके बेटे को सेना में भेजना बहुत मुश्किल था. हालांकि, उन्होंने उसे आंसुओं के साथ फौज में भेजा था. आज उनका बेटा 17 साल की सेवा के बाद वापस लौटा है. वह अभी बैंक में काम कर रहा है. उन्हें गर्व है कि, उनके बेटे ने देश की सेवा की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उमेश नाइक ने कहा, वे 2004 में सेना में भर्ती हुए थे.

उन्होंने जम्मू कश्मीर, गुजरात, कोलकाता, पंजाब के अलग-अलग इलाकों में काम किया है. उनका कहना है कि, थोलाहुनासे गांव में 300-400 लोग सेना में भर्ती हुए हैं. पूर्व सैनिक ने कहा कि, गांव में एक घर में कम से कम दो लोग देश की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, रिटायरमेंट के बाद भी वे देश सेवा करना चाहते हैं. फिलहाल रिटायरमेंट के बाद वे डीसीसीसी बैंक में काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: इस गांव में फौज में शामिल होने का है 'क्रेज', ऐसे में फिल्म 'अमरन' ने कैसे छू लिया सैनिकों का दिल

दावणगेरे: उत्तर प्रदेश को देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला राज्य होने का गौरव प्राप्त है. इसके बाद पंजाब का स्थान आता है. लेकिन जिलों और गांवों के मामले में मदिकेरी ऐसा तालुका है जिसने देश की सेवा में सबसे ज्यादा सैनिक दिए हैं, जबकि गांवों में दावणगेरे का थोलाहुनासे देश में सबसे ऊपर है. इस छोटे से गांव ने देश को कई सैनिक दिए हैं और 'योद्धाओं के घर' का गौरव हासिल किया है.

दावणगेरे तालुका का थोलाहुनासे गांव अब राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है. गांव के हर घर से दो-दो लोग भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा कर रहे हैं. इस गांव में करीब दो हजार लोग हैं, जिनमें से कई अलग-अलग शहरों में बस गए हैं.

सबसे पहले 1994 में इस गांव के 4 युवा पूरे जोश के साथ सेना में शामिल हुए थे. बाद में यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई और अब तक 300 से 400 लोग देश के अलग-अलग स्थानों पर देश की सेवा कर चुके हैं. वहीं, सेना से रिटायर हो चुके 50 से अधिक जवान, थोलाहुनासे गांव के युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वहीं, सेना में शामिल होने के लिए युवा जिम जाकर कसरत कर रहे हैं, वे सुबह सुबह सड़कों पर दौड़ लगाते दिख जाते हैं.

युवक किशोर कुमार ने बताया कि, उनके चाचा वेंकटेश 21 साल की सेवा के बाद रिटायर हुए हैं. उन्होंने जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद, झारखंड में सेवा की है. उनकी तरह वे भी सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं.

माताएं युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करती हैं
थोलाहुनासे गांव के युवाओं को बीएसएफ, सीएसएफ, सीआरपीएफ में सेवा देने के लिए उनकी मां ही प्रेरित करती हैं. यहां की महिलाएं अपने बच्चों को सेना में भर्ती होने से मना नहीं करती हैं. इसके यहां आज भी युवा सेना में भर्ती होने, सीमा की रक्षा करने और नाम देश और गांव का नाम रोशन करने का चलन है.

रिटायर्ड सैनिक की मां रूपीबाई ने बताया कि, उनके बेटे को सेना में भेजना बहुत मुश्किल था. हालांकि, उन्होंने उसे आंसुओं के साथ फौज में भेजा था. आज उनका बेटा 17 साल की सेवा के बाद वापस लौटा है. वह अभी बैंक में काम कर रहा है. उन्हें गर्व है कि, उनके बेटे ने देश की सेवा की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उमेश नाइक ने कहा, वे 2004 में सेना में भर्ती हुए थे.

उन्होंने जम्मू कश्मीर, गुजरात, कोलकाता, पंजाब के अलग-अलग इलाकों में काम किया है. उनका कहना है कि, थोलाहुनासे गांव में 300-400 लोग सेना में भर्ती हुए हैं. पूर्व सैनिक ने कहा कि, गांव में एक घर में कम से कम दो लोग देश की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, रिटायरमेंट के बाद भी वे देश सेवा करना चाहते हैं. फिलहाल रिटायरमेंट के बाद वे डीसीसीसी बैंक में काम कर रहे हैं.

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