देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है. साथ ही लोगों में चारधाम दर्शन के लिए गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. वहीं चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को अमूमन यही मालूम होता है कि उन्हें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के दर्शन करके वापस आना है. लेकिन इन चार धामों में जाने वाले श्रद्धालुओं को बहुत कम यह मालूम होगा कि चारधाम के साथ-साथ कई ऐसे स्थान हैं, जहां के बारे में यह कहा जाता है कि अगर आपने इन स्थानों के दर्शन नहीं किया तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी. लाखों श्रद्धालु हालांकि इन पड़ाव पर जरूर पहुंचते हैं. लेकिन चारधामों में से दो धाम ऐसे हैं, जहां पर कुछ अलग मान्यताएं और इन धामों से भी कुछ अलग धार्मिक स्थान का बड़ा महत्व है. जिनके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे.
![Haridwar Temple of Lord Satyanarayan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-05-2024/uk-deh-02-chardham-7205413_17052024151937_1705f_1715939377_840.jpg)
इस मंदिर में यात्रा से पहले जाना है जरूरी: चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अपनी यात्रा हरिद्वार से शुरू करनी होती है. हालांकि अब सरकार ने यात्रियों की व्यवस्था को देखते हुए चारधाम यात्रा की शुरुआत ऋषिकेश से भी शुरू की है. लेकिन हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच में एक स्थान ऐसा है, जहां के बारे में कहा जाता है कि चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले भगवान नारायण से इजाजत जरूर लेनी होती है. मंदिर का लगभग 600 सालों का इतिहास लोगों के पास मौजूद है. लेकिन कहा जाता है कि इस मंदिर की पौराणिकता इससे भी कई वर्षों से है. आज भी चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर पर माथा टेक कर अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं. हरिद्वार ऋषिकेश के बीच में स्थित पौराणिक सत्यनारायण मंदिर हरिद्वार से लगभग 17 किलोमीटर दूर मौजूद है.
मंदिर में दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु: पुराणों में सत्यनारायण मंदिर की महिमा का बखान किया गया है. स्कंद पुराण में इस मंदिर के बारे में भी विस्तार से उल्लेख मिलता है. चारधाम यात्रा शुरू करने से पूर्व यात्री यहां पर विश्राम करके भगवान सत्यनारायण का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते. इसके साथ ही पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर को बदरीनाथ धाम की प्रथम चट्टी के रूप में माना जाता है. 1532 में बाबा काली कमली वाले ने इसकी स्थापना की थी, इसके दस्तावेज आज भी मंदिर के पास मौजूद हैं. चारधाम यात्रा शुरू करने वाले श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर आगे की यात्रा पर निकलते हैं. चारधाम के सीजन में रोजाना इस मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु देखने को मिलते हैं. अगर आप भी चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं तो हरिद्वार ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भगवान सत्यनारायण मंदिर के दर्शन जरूर करें, यहां पर 600 वर्ष पुरानी मूर्ति भी आपको दिखाई दे जाएगी.
![Temple of Lord Nar and Mother of Narayan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-05-2024/uk-deh-02-chardham-7205413_17052024151937_1705f_1715939377_520.jpg)
क्या आप ने किए हैं भगवान बदरीनाथ की माता के दर्शन: बदरीनाथ जाने वाले श्रद्धालु अमूमन बदरीनाथ के दर्शन करके ही वापस आ जाते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि बदरीनाथ से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर भगवान बदरी-विशाल की माता का मंदिर है. भगवान बदरी-विशाल की माता का मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे मौजूद है. कहा जाता है कि माता मूर्ति ने भगवान विष्णु की तपस्या करने के बाद यह प्रार्थना की थी कि भगवान विष्णु उनकी कोख से जन्म लें, तभी भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में माता के गर्भ से जन्म लिया था.
भगवान नर और नारायण की माता का मंदिर: इस मंदिर में बहुत कम लोग जाते हैं, लेकिन मंदिर की महत्ता बदरीनाथ धाम की तरह ही मानी जाती है. हालांकि अष्टमी और चतुर्दशी के दिन इस मंदिर में अत्यधिक भीड़ रहती है. लेकिन बदरीनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं में से आज भी बहुत कम लोगों को मालूम है कि बदरीनाथ धाम जाकर इस धाम के दर्शन भी करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही घर में सुख शांति और समृद्धि रहती है. मंदिर समिति से जुड़े और तीर्थ पुरोहित आशुतोष डिमरी कहते हैं कि मान्यता के अनुसार जो भक्त बदरीनाथ आता है, वह माता के मंदिर और व्यास गुफा में जरूर जाए. क्योंकि दोनों ही स्थान का बड़ा महत्व है.
![Badrinath Hanuman Chatti Temple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-05-2024/uk-deh-02-chardham-7205413_17052024151937_1705f_1715939377_353.jpg)