गजवेल: तेलंगाना के यदाद्री भुवनगिरी जिले की रहने वाली मंजुला ने सभी बाधाओं को पार करते हुए अपने जीवन को सफल बनाया है. आज वह दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं. लचीलेपन और दृढ़ संकल्प की भावना के कारण वह सफल उद्यमी बन गई हैं. मंजुला जूट बैग बनाती हैं.
मंजुला और उनके पति एक समय कर्ज के बोझ तले दबे थे और परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ थे. वित्तीय संकट के कारण मंजुला को अपने छोटे बच्चों को भोजन खिलाने के लाले पड़ गए थे. हालांकि, इन चुनौतियों के आगे झुकने के बजाय उन्होंने अपने और अपने बच्चों के लिए कुछ नया करने का फैसला किया.
वर्ष 2017 में, मंजुला सिद्दीपेट जिले के गजवेल में चली गईं और जीवन को नए सिरे से शुरू करने का संकल्प लिया, लेकिन ससुराल वालों से कोई समर्थन नहीं मिला. कोरोना संकट के दौरान ड्राई-फ्रूट्स के छोटा कारोबार शुरू किया. लेकिन मंजुला का लक्ष्य टिकाऊ और प्रभावशाली कारोबार खड़ा करना था.
मंजुला की उद्यमी बनने की ललक ने उन्हें जल्द ही नए उद्यम की ओर अग्रसर किया और उन्होंने जूट का बैग बनाने शुरू किया. पर्यावरण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और सकारात्मक प्रभाव डालने की इच्छा के साथ मंजुला ने इन पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों का उत्पादन शुरू किया, जो आज प्लास्टिक कचरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
मामूली स्तर पर शुरू हुआ उनका जूट बैग व्यवसाय आज सफल उद्यम बन गया है, जिसमें 10 महिलाएं काम करती हैं. मंजुला अपने व्यवसाय में महिलाओं को काम पर रखने और उनका समर्थन करने को प्राथमिकता देती हैं, उन्हें न केवल नौकरी देती हैं बल्कि उम्मीद और सशक्तिकरण भी देती हैं.
मंजुला व्यवसाय से होने वाले मुनाफे का एक हिस्सा अनाथ बच्चों को शिक्षित करने के लिए खर्च करती हैं, ताकि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उज्जवल भविष्य मिले. उनके काम ने न केवल नौकरी के अवसर पैदा किए हैं, बल्कि जरूरतमंद लोगों की भी मदद करती हैं.
गरीबी को मात देकर एक सफल उद्यम खड़ा करने और अपने समुदाय का समर्थन करने तक का उनका सफर उनकी ताकत और दृढ़ता का प्रमाण है. मंजुला की जीवन कहानी इस बात का प्रमाण है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दूसरों के जीवन में सार्थक बदलाव लाना संभव है. आशा, सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण की उनकी विरासत उनके आस-पास और उनसे परे लोगों को प्रेरित करती रहती है.
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