हैदराबाद: टैपिंग मामले की जांच के बाद पंजागुट्टा पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने निजी व्यक्तियों के फोन की जासूसी करने की साजिश रची थी. उन्होंने कहा कि निलंबित एडिशनल एसपी भुजंगा राव और थिरुपतन्ना ने प्रणीत राव के साथ मिलकर अवैध रूप से निजी व्यक्तियों की प्रोफाइल बनाई. ये पद का दुरुपयोग है. भुजंगाराव और थिरुपतन्ना फोन टैपिंग मामले के मुख्य आरोपी हैं.
मालूम हो कि पंजागुट्टा पुलिस ने फोन टैपिंग मामले में पिछले महीने की 23 तारीख को भुजंगाराव और थिरुपतन्ना को गिरफ्तार किया था. उन्हें कल अदालत में पेश किया गया और रिमांड पर लिया गया. इससे जुड़ी रिमांड रिपोर्ट 'ईटीवी भारत' के हाथ लग गई है. इसमें कहा गया है कि इन दोनों ने प्रणीत राव के साथ मिलकर निजी व्यक्तियों की जासूसी करने की बात स्वीकार की है.
सबूतों की बरामदगी: पुलिस ने रिमांड रिपोर्ट में कहा कि मामले में शुरू में गिरफ्तार किए गए प्रणीत राव ने 21 मार्च को स्वीकार किया था कि उन्होंने पिछले साल 4 दिसंबर को नागोल के मूसी पुल पर हार्ड डिस्क को नदी में फेंक दिया था. उन्होंने बताया कि उस स्थान पर पानी के नीचे से दर्जनों नष्ट हो चुकी हार्ड डिस्क (जिनमें से कुछ को मशीन से काटा गया था) बरामद की गईं.
प्रणीत राव को 22 मार्च को विशेष खुफिया शाखा (एसआईबी) कार्यालय ले जाया गया, जहां 12 ऑल-इन-वन सिस्टम, सात सीपीयू, एक लैपटॉप और एक मॉनिटर जब्त कर लिया गया. यह बताया गया कि जब हार्ड डिस्क को काटा गया तो इलेक्ट्रीशियन के कमरे में सफेद एल्यूमीनियम पाउडर पाया गया और एकत्र किया गया. पुलिस ने कहा कि कुछ फाइलें एसआईबी कार्यालय के पीछे जला दी गईं, जबकि बाकी स्पाइरल बाइंडिंग बुक, कुछ प्रमाण पत्र और सीसीटीवी फुटेज जब्त कर लिए गए.
रिमांड रिपोर्ट में एसआईबी में कार्यरत कर्मचारी नरेश गौड़ ने स्वीकार किया कि वह अपने साथी कर्मचारियों के साथ चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के धन के लेन-देन की जासूसी कर रहा था और इसे पुलिस के साथ जब्त करने की कोशिश कर रहा था.
आरोपी की हिरासत खत्म: फोन टैपिंग मामले में निलंबित एडिशनल एसपी भुजंगा राव और थिरुपतन्ना की पांच दिन की पुलिस हिरासत मंगलवार को खत्म हो गई. दोनों का मेडिकल टेस्ट कराया गया और उन्हें चंचलगुडा जेल ले जाया गया. मालूम हो कि इन दोनों को पंजागुट्टा पुलिस ने पिछले महीने की 23 तारीख को फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार किया था. आगे की जांच के हिस्से के रूप में उन्हें अदालत की अनुमति से 5 दिनों की सुनवाई के लिए हिरासत में लिया गया. फोन टैपिंग में उसकी भूमिका के बारे में पूछताछ की जरूरत थी.
विश्वसनीय जानकारी के मुताबिक जहां भुजंगाराव ने फोन टैपिंग में अहम भूमिका निभाई. वहीं थिरुपतन्ना पैसे के ट्रांसफर में शामिल था. जांच में यह जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई कि किसके शह पर फोन टैपिंग की गई, किसके फोन टैप किए गए और किन लोगों तक जानकारी पहुंचाई गई. साथ ही जांच में पता चला कि वे चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को पैसे बांटने में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्हें वह पैसा कहां से मिला? इसकी आपूर्ति कैसे की गई? इस जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर कुछ अन्य लोगों को भी नोटिस दिए जाने की संभावना है.