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सुप्रीम कोर्ट की आईएमए प्रमुख को हिदायत, 'माफीनामा हर उस अखबार में हो, जिसमें इंटरव्यू छपा था' - Supreme Court instruction to IMA

पतंजलि मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उनका माफीनामा हर उस अखबार में छपना चाहिए, जिसमें उनका इंटरव्यू छपा था.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फोटो - ANI Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 4:44 PM IST

Updated : Aug 6, 2024, 5:42 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष से कहा कि उनका माफीनामा उन सभी अखबारों में प्रकाशित होना चाहिए था, जिनमें उनका इंटरव्यू छपा था, जिसमें उन्होंने पतंजलि मामले में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि माफीनामा उनके फंड से प्रकाशित होना चाहिए, न कि आईएमए के खजाने से.

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आईएमए प्रमुख डॉ. आरवी अशोकन से पूछा कि उन्होंने अपना साक्षात्कार प्रकाशित करने वाले सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के बजाय केवल ई-समाचार पत्र और एक समाचार एजेंसी से ही माफ़ी क्यों मांगी. पीठ ने आईएमए प्रमुख के वकील से कहा कि "जिन सभी समाचार पत्रों में वह साक्षात्कार प्रकाशित हुआ है, आपको उनसे अपनी जेब से माफ़ी मांगने की ज़रूरत है. आईएमए से नहीं."

आईएमए का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने कहा कि वह न्यायालय की अवमानना​के आरोप से खुद को मुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएंगे. पीठ ने कहा कि "वह अपने लिए और अधिक मुसीबतें मोल ले रहे हैं" और कहा, "आप समाचार एजेंसी को माफ़ी मांगकर उनसे अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते."

पीठ ने स्पष्ट किया कि वह आईएमए प्रमुख द्वारा एक साक्षात्कार में न्यायालय के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के संबंध में मांगी गई माफ़ी की प्रकृति से खुश नहीं है. पीठ ने कहा कि "माफ़ीनामा उन सभी अख़बारों में प्रकाशित किया जाना चाहिए, जिनमें उनका साक्षात्कार छपा है. माफ़ीनामा उनके अपने पैसे से लिखा जाना चाहिए, न कि आईएमए के पैसे से." सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को तय की है.

इस साल मई में शीर्ष अदालत ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में चल रही अवमानना कार्यवाही में अपनी टिप्पणी से संस्था पर हमला करने वाले आईएमए प्रमुख को फटकार लगाई थी. आईएमए ने पतंजलि और स्वामी रामदेव द्वारा कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान के खिलाफ अदालत का रुख किया था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष से कहा कि उनका माफीनामा उन सभी अखबारों में प्रकाशित होना चाहिए था, जिनमें उनका इंटरव्यू छपा था, जिसमें उन्होंने पतंजलि मामले में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि माफीनामा उनके फंड से प्रकाशित होना चाहिए, न कि आईएमए के खजाने से.

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आईएमए प्रमुख डॉ. आरवी अशोकन से पूछा कि उन्होंने अपना साक्षात्कार प्रकाशित करने वाले सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के बजाय केवल ई-समाचार पत्र और एक समाचार एजेंसी से ही माफ़ी क्यों मांगी. पीठ ने आईएमए प्रमुख के वकील से कहा कि "जिन सभी समाचार पत्रों में वह साक्षात्कार प्रकाशित हुआ है, आपको उनसे अपनी जेब से माफ़ी मांगने की ज़रूरत है. आईएमए से नहीं."

आईएमए का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने कहा कि वह न्यायालय की अवमानना​के आरोप से खुद को मुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएंगे. पीठ ने कहा कि "वह अपने लिए और अधिक मुसीबतें मोल ले रहे हैं" और कहा, "आप समाचार एजेंसी को माफ़ी मांगकर उनसे अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते."

पीठ ने स्पष्ट किया कि वह आईएमए प्रमुख द्वारा एक साक्षात्कार में न्यायालय के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के संबंध में मांगी गई माफ़ी की प्रकृति से खुश नहीं है. पीठ ने कहा कि "माफ़ीनामा उन सभी अख़बारों में प्रकाशित किया जाना चाहिए, जिनमें उनका साक्षात्कार छपा है. माफ़ीनामा उनके अपने पैसे से लिखा जाना चाहिए, न कि आईएमए के पैसे से." सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को तय की है.

इस साल मई में शीर्ष अदालत ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में चल रही अवमानना कार्यवाही में अपनी टिप्पणी से संस्था पर हमला करने वाले आईएमए प्रमुख को फटकार लगाई थी. आईएमए ने पतंजलि और स्वामी रामदेव द्वारा कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान के खिलाफ अदालत का रुख किया था.

Last Updated : Aug 6, 2024, 5:42 PM IST
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