नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि शराब नीति घोटाले में मुकदमा धीमी गति से चल रहा है और उन्हें 16 महीने से जेल में रखा गया है. इसके बाद कोर्ट ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जमानत याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा.
न्यायमूर्ति बी आर गवई, संजय करोल और के वी विश्वनाथन की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की. 11 जुलाई को न्यायमूर्ति संजय कुमार ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था और भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एक नई पीठ का गठन किया था. सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने सर्वोच्च न्यायालय से अपने मुवक्किल को जमानत देने का अनुरोध किया और जोर देकर कहा कि वह 16 महीने से जेल में है.
वकील ने कहा, 'मुकदमा उसी गति से चल रहा है, जैसा अक्टूबर 2023 में चल रहा था. यह एनडीपीएस केस जैसा नहीं है. मुकदमा धीमी गति से चल रहा है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अदालत के आदेश में कहा गया है कि अगर सिसोदिया की कोई गलती नहीं है, तो वह अदालत जा सकते हैं. सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को तय की है. सिसोदिया को फरवरी 2023 में गिरफ्तार किया गया था.
इससे पहले सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों में आप नेता की जमानत याचिका सभी अदालतों में शामिल ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के संबंध में उनकी समीक्षा और सुधारात्मक याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था. इस साल मार्च में ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि वह प्रथम दृष्टया कथित घोटाले के 'शिल्पकार' हैं.