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सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल की याचिका खारिज की, हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती - RG Kar Hospital - RG KAR HOSPITAL

Supreme Court: डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर सुनवाई की. इस याचिका में उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : Sep 6, 2024, 3:05 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें संस्थान में उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.

कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में पक्षकार बनने के लिए उनका कोई अधिकार नहीं है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच जिसमें जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे. पीठ ने घोष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. घोष का प्रतिनिधित्व कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह ऐसा मामला है, जिसमें उनके मुवक्किल के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है और वे इसे अस्पताल में हुई बलात्कार की घटना से जोड़ रहे हैं, जो सही नहीं है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष घोष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. घोष का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें उनके मुवक्किल के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है और वे इसे अस्पताल में हुई बलात्कार की घटना से जोड़ रहे हैं, जो सही नहीं है.

जूनियर डॉक्टर की हत्या और रेप के बाद प्रदर्शन
सरकारी अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की हत्या और कथित बलात्कार के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 23 अगस्त को हाईकोर्ट ने कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया.

जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने स्पष्ट किया कि एक आरोपी के तौर पर घोष के पास जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां हाई कोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है. सीजेआई ने कहा, "इस मामले में, भ्रष्टाचार या कथित अपराध में आपकी संलिप्तता के गुण-दोष पर टिप्पणी करना, दोनों ही जांच के मामले हैं. इसलिए, एक आरोपी के तौर पर आपके पास जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां हाई कोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है या जांच को सीबीआई को सौंप दिया है."

इसके बाद अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को हटाने का आग्रह किया, जिसमें कहा गया है कि इसमें सांठगांठ नजर आती है. इस पर सीजेआई ने कहा कि ये प्रथम दृष्टया टिप्पणियां हैं. इसके बाद अरोड़ा ने कहा कि इससे जांच में उनके मुवक्किल को नुकसान होगा. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम ने घोष की याचिका को खारिज कर दिया.

सेमिनार हॉल में मिला था शव
बता दें कि 9 अगस्त को अस्पताल के चेस्ट विभाग के सेमिनार हॉल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर का शव मिला था. डॉकटर के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे. मामले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था.

यह भी पढ़ें- कोलकाता रेप-मर्डर केस: ईडी की टीम की 3 जगहों पर छापेमारी, संदीप घोष से जुड़े हैं ठिकाने

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें संस्थान में उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.

कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में पक्षकार बनने के लिए उनका कोई अधिकार नहीं है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच जिसमें जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे. पीठ ने घोष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. घोष का प्रतिनिधित्व कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह ऐसा मामला है, जिसमें उनके मुवक्किल के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है और वे इसे अस्पताल में हुई बलात्कार की घटना से जोड़ रहे हैं, जो सही नहीं है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष घोष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. घोष का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें उनके मुवक्किल के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है और वे इसे अस्पताल में हुई बलात्कार की घटना से जोड़ रहे हैं, जो सही नहीं है.

जूनियर डॉक्टर की हत्या और रेप के बाद प्रदर्शन
सरकारी अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की हत्या और कथित बलात्कार के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 23 अगस्त को हाईकोर्ट ने कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया.

जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने स्पष्ट किया कि एक आरोपी के तौर पर घोष के पास जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां हाई कोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है. सीजेआई ने कहा, "इस मामले में, भ्रष्टाचार या कथित अपराध में आपकी संलिप्तता के गुण-दोष पर टिप्पणी करना, दोनों ही जांच के मामले हैं. इसलिए, एक आरोपी के तौर पर आपके पास जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां हाई कोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है या जांच को सीबीआई को सौंप दिया है."

इसके बाद अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को हटाने का आग्रह किया, जिसमें कहा गया है कि इसमें सांठगांठ नजर आती है. इस पर सीजेआई ने कहा कि ये प्रथम दृष्टया टिप्पणियां हैं. इसके बाद अरोड़ा ने कहा कि इससे जांच में उनके मुवक्किल को नुकसान होगा. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम ने घोष की याचिका को खारिज कर दिया.

सेमिनार हॉल में मिला था शव
बता दें कि 9 अगस्त को अस्पताल के चेस्ट विभाग के सेमिनार हॉल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर का शव मिला था. डॉकटर के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे. मामले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था.

यह भी पढ़ें- कोलकाता रेप-मर्डर केस: ईडी की टीम की 3 जगहों पर छापेमारी, संदीप घोष से जुड़े हैं ठिकाने

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