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'फॉर्म 17C डेटा, रिकॉर्ड किए गए वोटों का लेखा-जोखा देना होगा', सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा - SC hearing on voter turn out data

SC hearing on voter turn out data: सुप्रीम कोर्ट में मतदान केंद्रों पर दर्ज मतों का लेखा-जोखा तुरंत अपलोड करने का निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई हुई. शीर्ष न्यायालय ने चुनाव आयोग से फार्म 17C डेटा का खुलासा करने को कहा है....

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सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : May 17, 2024, 7:25 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से फार्म 17C डेटा का खुलासा करने को कहा है. एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिसमें ईसीआई को यह निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि, लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटों के भीतर मतदान केंद्र-वार मतदाता मतदान डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड की जाए. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अमित शर्मा से पूछा कि फार्म 17 सी डेटा का खुलासा नहीं करने में क्या आपत्ति है? कोर्ट ने कहा कि, चुनाव निकाय को डेटा का खुलासा करना चाहिए. इस पर ईसीआई के वकील शर्मा ने जवाब दिया कि, इसमें कोई कठिनाई नहीं है लेकिन पूरी प्रक्रिया जिसमें फॉर्म 17सी भी शामिल है, में समय लगता है.

ADR ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग से वोटिंग परसेंटेज का डेटा मतदान समाप्ति के 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि चुनाव के चार चरण पहले ही खत्म हो चुके हैं और पोलिंग डेटा के संबंध में सवाल उठाना पोलिंग एजेंट का अधिकार है, क्योंकि पोलिंग एजेंट को फॉर्म लेना होता है. भूषण ने तर्क दिया कि नागरिकों को लगता है कि शायद ईवीएम को बदला जा रहा है...उन्होंने कहा कि, 'अचानक (मतदान डेटा में) 6 फीसदी की वृद्धि हुई है. एडीआर के आवेदन में कहा गया है कि 30 अप्रैल, 2024 के ईसीआई के प्रेस नोट में असामान्य रूप से उच्च संशोधन (5 फीसदी से अधिक) और अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र के आंकड़ों की अनुपस्थिति के साथ अंतिम मतदाता मतदान डेटा जारी करने में अत्यधिक देरी हुई. पूर्ण संख्या में, उक्त डेटा की सत्यता के संबंध में चिंताएं और सार्वजनिक संदेह पैदा हो गया है.'

CJI ने शर्मा से पूछा, 'क्या वे 17C के आधार पर वोटों के प्रतिशत का खुलासा करते हैं, जब ECI 66% मतदान की घोषणा करता है और क्या यह फॉर्म 17 C डेटा पर आधारित है?' शर्मा ने कहा कि इसमें कई पहलू शामिल हैं और अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें इसे स्पष्ट करने की अनुमति दी जाए. पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई के लिए एक घंटे बाद फिर से एकत्र होंगे.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मतदाता आंकड़ों के तत्काल प्रकाशन के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की अपील सुप्रीम कोर्ट से की है. एडीआर की याचिका में मांग की गई है कि, शीर्ष न्यायालय चुनाव आयोग को यह निर्देश दे कि वह अपनी वेबसाइट पर सभी मतदान केंद्रों के फॉर्म 17C पार्ट-1 (रिकॉर्ड किए गए वोटों का हिसाब) की स्कैन की गई लेजिबल कॉपी (सुपाठ्य प्रतियों) का प्रकाशन मतदान समाप्ति के 48 घंटे के भीतर करे. जिसमें डाले गए वोटों के प्रमाणित आंकड़े शामिल हों.

दायर याचिका में कहा गया है कि, पूर्ण संख्या में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र के आंकड़ों ने उक्त डेटा की शुद्धता के विषय में चिंताएं और सार्वजनिक संदेह बढ़ा दिया है. याचिका में कहा गया है कि 30 अप्रैल की प्रेस विज्ञप्ति में प्रकाशित डेटा, 19 अप्रैल और 26 अप्रैल के प्रारंभिक डेटा के साथ तुलना की जाती है, तो लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई देती है. 'ईसीआई द्वारा डाले गए वोटों की पूर्ण संख्या जारी नहीं करने के साथ-साथ डाले गए वोटों के आंकड़े जारी करने में अनुचित देरी के कारण मतदाताओं के मन में प्रारंभिक डेटा और 30 अप्रैल को जारी किए गए डेटा के बीच तेज वृद्धि के बारे में आशंकाएं पैदा हो गई हैं.' आवेदन में कहा गया है, इसका समाधान किया जाए. आवेदन में कहा गया है कि डेटा की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र के अनुसार मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को पूर्ण संख्या और प्रतिशत के रूप में सारणीबद्ध किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: एडीआर ने मतदाता आंकड़ों के तत्काल प्रकाशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से फार्म 17C डेटा का खुलासा करने को कहा है. एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिसमें ईसीआई को यह निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि, लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटों के भीतर मतदान केंद्र-वार मतदाता मतदान डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड की जाए. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अमित शर्मा से पूछा कि फार्म 17 सी डेटा का खुलासा नहीं करने में क्या आपत्ति है? कोर्ट ने कहा कि, चुनाव निकाय को डेटा का खुलासा करना चाहिए. इस पर ईसीआई के वकील शर्मा ने जवाब दिया कि, इसमें कोई कठिनाई नहीं है लेकिन पूरी प्रक्रिया जिसमें फॉर्म 17सी भी शामिल है, में समय लगता है.

ADR ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग से वोटिंग परसेंटेज का डेटा मतदान समाप्ति के 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि चुनाव के चार चरण पहले ही खत्म हो चुके हैं और पोलिंग डेटा के संबंध में सवाल उठाना पोलिंग एजेंट का अधिकार है, क्योंकि पोलिंग एजेंट को फॉर्म लेना होता है. भूषण ने तर्क दिया कि नागरिकों को लगता है कि शायद ईवीएम को बदला जा रहा है...उन्होंने कहा कि, 'अचानक (मतदान डेटा में) 6 फीसदी की वृद्धि हुई है. एडीआर के आवेदन में कहा गया है कि 30 अप्रैल, 2024 के ईसीआई के प्रेस नोट में असामान्य रूप से उच्च संशोधन (5 फीसदी से अधिक) और अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र के आंकड़ों की अनुपस्थिति के साथ अंतिम मतदाता मतदान डेटा जारी करने में अत्यधिक देरी हुई. पूर्ण संख्या में, उक्त डेटा की सत्यता के संबंध में चिंताएं और सार्वजनिक संदेह पैदा हो गया है.'

CJI ने शर्मा से पूछा, 'क्या वे 17C के आधार पर वोटों के प्रतिशत का खुलासा करते हैं, जब ECI 66% मतदान की घोषणा करता है और क्या यह फॉर्म 17 C डेटा पर आधारित है?' शर्मा ने कहा कि इसमें कई पहलू शामिल हैं और अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें इसे स्पष्ट करने की अनुमति दी जाए. पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई के लिए एक घंटे बाद फिर से एकत्र होंगे.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मतदाता आंकड़ों के तत्काल प्रकाशन के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की अपील सुप्रीम कोर्ट से की है. एडीआर की याचिका में मांग की गई है कि, शीर्ष न्यायालय चुनाव आयोग को यह निर्देश दे कि वह अपनी वेबसाइट पर सभी मतदान केंद्रों के फॉर्म 17C पार्ट-1 (रिकॉर्ड किए गए वोटों का हिसाब) की स्कैन की गई लेजिबल कॉपी (सुपाठ्य प्रतियों) का प्रकाशन मतदान समाप्ति के 48 घंटे के भीतर करे. जिसमें डाले गए वोटों के प्रमाणित आंकड़े शामिल हों.

दायर याचिका में कहा गया है कि, पूर्ण संख्या में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र के आंकड़ों ने उक्त डेटा की शुद्धता के विषय में चिंताएं और सार्वजनिक संदेह बढ़ा दिया है. याचिका में कहा गया है कि 30 अप्रैल की प्रेस विज्ञप्ति में प्रकाशित डेटा, 19 अप्रैल और 26 अप्रैल के प्रारंभिक डेटा के साथ तुलना की जाती है, तो लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई देती है. 'ईसीआई द्वारा डाले गए वोटों की पूर्ण संख्या जारी नहीं करने के साथ-साथ डाले गए वोटों के आंकड़े जारी करने में अनुचित देरी के कारण मतदाताओं के मन में प्रारंभिक डेटा और 30 अप्रैल को जारी किए गए डेटा के बीच तेज वृद्धि के बारे में आशंकाएं पैदा हो गई हैं.' आवेदन में कहा गया है, इसका समाधान किया जाए. आवेदन में कहा गया है कि डेटा की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र के अनुसार मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को पूर्ण संख्या और प्रतिशत के रूप में सारणीबद्ध किया जाना चाहिए.

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