नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आरके चौधरी की हाल ही में सेंगोल पर की गई टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. चौधरी ने संसद में सेंगोल की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए इसे राजशाही का प्रतीक बताया. चौधरी ने कहा कि 'संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में सेंगोल की स्थापना की है.'
उन्होंने कहा कि 'सेंगोल का मतलब है, राज-दंड या राजा का डंडा. रियासती व्यवस्था समाप्त होने के बाद देश स्वतंत्र हुआ. अब देश राजा के डंडे से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए.' सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चौधरी का बचाव करते हुए कहा कि यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के लिए एक अनुस्मारक हो सकती है.
यादव ने कहा कि 'जब सेंगोल स्थापित किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने उसके सामने सिर झुकाया था. शपथ लेते समय शायद वह यह भूल गए हों. शायद हमारे सांसद की टिप्पणी उन्हें यह याद दिलाने के लिए थी.' कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने चौधरी की मांग का समर्थन किया और संसद के उद्घाटन के दौरान बहुत अधिक ड्रामा करने के लिए सरकार की आलोचना की.
टैगोर ने कहा कि 'यह हमारे समाजवादी पार्टी के सहयोगी का एक अच्छा सुझाव है.' भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सपा के रुख की निंदा करते हुए उन पर भारतीय और तमिल संस्कृति का अनादर करने का आरोप लगाया. पूनावाला ने जोर देकर कहा कि 'समाजवादी पार्टी संसद में सेंगोल का विरोध करती है और इसे 'राजा का दंड' कहती है. अगर ऐसा था तो जवाहरलाल नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया?'
उन्होंने कहा कि 'यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है. वे रामचरितमानस और अब सेंगोल पर हमला करते हैं. क्या डीएमके इस अपमान का समर्थन करती है? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए.' भाजपा सांसद रवि किशन ने चौधरी की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष का रुख भगवान राम को बदलने की कोशिश जैसा है. उन्होंने कहा कि 'वे भगवान राम को बदलना चाहते हैं, दूसरे दिन उन्होंने अपने सांसद की तुलना भगवान राम से की.'
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों का बचाव करते हुए कहा कि सेंगोल के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ भी किया है वह सही है और उसे वैसा ही रहना चाहिए. इस बीच, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने चौधरी के विवादास्पद दृष्टिकोण पर भ्रम व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि क्या उन्हें विकास के लिए चुना गया है या ऐसी विभाजनकारी राजनीति में शामिल होने के लिए.
पासवान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दशकों से अपमानित किए जाने वाले सेंगोल जैसे प्रतीकों को अब प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि विपक्षी नेता अधिक सकारात्मक राजनीतिक दृष्टिकोण क्यों नहीं अपना सकते.