मेरठ: समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी को बाराबंकी से गिरफ्तार करने के बाद पुलिस मेरठ लेकर पहुंच गई है. रात में ही MP, MLA कोर्ट में रफीक अंसारी को पेश किया गया. एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया. अंसारी के मेरठ पहुंचने पर विधायक के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी भी की. एमएलए को कोर्ट में पेश करने से पहले जिला अस्पताल ले जाया गया जहां उनका हेल्थ चैकअप कराया गया.
बाराबंकी से सपा विधायक गिरफ्तार: 26 साल पुराने केस में फरार मेरठ के सपा विधायक रफीक अंसारी को अब जाकर पुलिस गिरफ्तार कर सकी है. जबकि रफीक के खिलाफ 101 गैर जमानती वारंट जारी हो चुके हैं. हाईकोर्ट की फटकार के बाद पुलिस की नींद टूटी और विधायक को बाराबंकी के जैतपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया.
सपा विधायक के खिलाफ 101 गैर जमानती वारंट थे. मेरठ की चौदंदी थाना पुलिस और स्थानीय पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है. विधायक को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस लगातार जगह-जगह दबिश दे रही थी. वारंट के बावजूद सपा विधायक इसे लेकर गंभीर नहीं थे. हाईकोर्ट ने इस मामले में बीते दिनों सपा विधायक के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए, प्रदेश के उच्च अधिकारियों और विधानसभा अध्यक्ष को भी गंभीर मामला बताते हुए चिट्ठी लिखी थी.
1997 से हंगामा और तोड़फोड़ के मामले में विधायक थे फरार : गिरफ्तार सपा विधायक रफीक अंसारी के वकील अमित कुमार दीक्षित का कहना है कि, 1995 में जब रफीक अंसारी पार्षद थे, उस वक्त बूचड़ खाने के विरोध को लेकर हंगामा और तोड़फोड़ हुई थी. उसी मामले में 35 से 40 लोगों के खिलाफ तब FIR दर्ज किया गया था. विधायक के अधिवक्ता का कहना है कि, शुरुआत में इस मामले में रफीक अंसारी का नाम नहीं था, लेकिन बाद में उनका भी नाम भी मुकदमें में शामिल कर लिया गया था. वह बताते हैं कि इसमें सब से पहले 1997 में वारंट जारी हुआ था. जिसके बाद से अब तक वो कोर्ट में पेश नहीं हुए थे.
101 वारंट जारी होने के बाद भी सपा विधायक की हनक: कोर्ट से 26 साल से फरार विधायक की हनक देखिए उसने एक बार भी वारंट रिसीव नहीं किया. उलटा अपने खिलाफ जारी NBW को रद कराने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए. हाईकोर्ट के जज ने जब पूरे मामले को देखा उसके बाद उन्होंने सख्त तेवर अपनाए. मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खतरनाक मिसाल माना है. साथ ही हाईकोर्ट ने सपा विधायक के रवैय्ये पर आपत्ति दर्ज की है. साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका पर अपनी टिप्पणी में कहा कि, गैर जमानती वारंट का निष्पादन न करना उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति देना खतरनाक और गंभीर मिसाल कायम करता है. जिस पर हाईकोर्ट ने कोई राहत देने से इन्कार करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी: HC ने यह भी कहा कि निर्वाचित अधिकारी नैतिक आचरण और जवाबदेही के उच्चतम मानकों को बनाए रखें. ऐसा ना हो कि वह जनता की भलाई करने के अपने जनादेश के साथ विश्वासघात करें. इस मामले में एक कॉपी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष जानकारी के लिए रखने के लिए विधानसभा के प्रमुख सचिव को भेजी जाए.
DGP को भी HC हाईकोर्ट ने दिए निर्देश: साथ ही DGP को भी यह निर्देश दिया जाए कि वह अंसारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए गैर जमानती वारंट की तमिल सुनिश्चित करें. यदि वह अभी तक तमिल नहीं हुआ है तो अगली तारीख पर अनुपालन हलफनामा दायर किया जाएगा. इस मामले में 22 जुलाई के लिए हलफनामा सूचीबद्ध करने का निर्देश हाईकोर्ट कोर्ट ने दिया है.
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