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सौम्या विश्वनाथन हत्याकांडः चार दोषियों को जमानत देने के खिलाफ याचिका पर 8 जुलाई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट - Soumya Vishwanathan murder case

Soumya Vishwanathan murder case: दिल्ली हाईकोर्ट ने सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड के चार दोषियों को 12 फरवरी को जमानत दे दी थी. हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को सुनवाई करेगा. सौम्या की मां माधवी विश्वनाथन ने अपनी बेटी के हत्यारों की जमानत का विरोध किया था.

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By PTI

Published : Jul 3, 2024, 7:39 PM IST

नई दिल्ली: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए चार दोषियों को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 8 जुलाई की वाद सूची के अनुसार, ये याचिकाएं न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी.

हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार की सजा को उनकी दोष सिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपीलों के लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत पर छोड़ दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था, "दोषी 14 साल से अधिक समय से हिरासत में है."

22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को दी गई जमानत के खिलाफ विश्वनाथन की मां द्वारा दायर याचिका की जांच करने पर सहमति जताई थी. इसने माधवी विश्वनाथन की याचिका पर दिल्ली पुलिस और चारों दोषियों को नोटिस जारी किया था. एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार चैनल में काम करने वाली विश्वनाथन की 30 सितंबर 2008 की सुबह दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपनी कार में काम से घर लौट रही थी. पिछले साल 25 नवंबर को विशेष अदालत ने कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की धारा 3(1)(i) (किसी व्यक्ति की मौत के लिए संगठित अपराध करना) के तहत दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

यह भी पढ़ें- पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों की सजा पर कोर्ट ने सुरिक्षत रखा फैसला, सजा 25 नवंबर को

अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि सजाएं लगातार चलेंगी. पांचवें दोषी अजय सेठी को आईपीसी की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई. उसे मुकदमे के दौरान हिरासत में बिताए गए समय की सजा सुनाई गई. कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार को दोहरी आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट ने उनमें से प्रत्येक पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसने सेठी पर 7.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. चार दोषियों में से कपूर, शुक्ला और मलिक को आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की हत्या का भी दोषी ठहराया गया था.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, तीनों ने बाद में पुलिस के सामने कबूल किया कि वे विश्वनाथन की हत्या के पीछे भी थे, और उसकी हत्या के लिए इस्तेमाल किया गया हथियार उनके कब्जे से बरामद किया गया था. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि विश्वनाथन की हत्या के पीछे का मकसद डकैती थी. ट्रायल कोर्ट ने कपूर और शुक्ला को मौत की सजा सुनाई थी और मलिक को 2009 के जिगिशा घोष हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि, मौत की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. हाईकोर्ट ने मलिक की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, कपूर ने विश्वनाथन को लूटने के लिए उसकी कार का पीछा करते हुए एक देशी पिस्तौल से गोली मार दी.

यह भी पढ़ें- कोर्ट ने पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई

नई दिल्ली: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए चार दोषियों को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 8 जुलाई की वाद सूची के अनुसार, ये याचिकाएं न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी.

हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार की सजा को उनकी दोष सिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपीलों के लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत पर छोड़ दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था, "दोषी 14 साल से अधिक समय से हिरासत में है."

22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को दी गई जमानत के खिलाफ विश्वनाथन की मां द्वारा दायर याचिका की जांच करने पर सहमति जताई थी. इसने माधवी विश्वनाथन की याचिका पर दिल्ली पुलिस और चारों दोषियों को नोटिस जारी किया था. एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार चैनल में काम करने वाली विश्वनाथन की 30 सितंबर 2008 की सुबह दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपनी कार में काम से घर लौट रही थी. पिछले साल 25 नवंबर को विशेष अदालत ने कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की धारा 3(1)(i) (किसी व्यक्ति की मौत के लिए संगठित अपराध करना) के तहत दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

यह भी पढ़ें- पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों की सजा पर कोर्ट ने सुरिक्षत रखा फैसला, सजा 25 नवंबर को

अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि सजाएं लगातार चलेंगी. पांचवें दोषी अजय सेठी को आईपीसी की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई. उसे मुकदमे के दौरान हिरासत में बिताए गए समय की सजा सुनाई गई. कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार को दोहरी आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट ने उनमें से प्रत्येक पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसने सेठी पर 7.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. चार दोषियों में से कपूर, शुक्ला और मलिक को आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की हत्या का भी दोषी ठहराया गया था.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, तीनों ने बाद में पुलिस के सामने कबूल किया कि वे विश्वनाथन की हत्या के पीछे भी थे, और उसकी हत्या के लिए इस्तेमाल किया गया हथियार उनके कब्जे से बरामद किया गया था. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि विश्वनाथन की हत्या के पीछे का मकसद डकैती थी. ट्रायल कोर्ट ने कपूर और शुक्ला को मौत की सजा सुनाई थी और मलिक को 2009 के जिगिशा घोष हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि, मौत की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. हाईकोर्ट ने मलिक की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, कपूर ने विश्वनाथन को लूटने के लिए उसकी कार का पीछा करते हुए एक देशी पिस्तौल से गोली मार दी.

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