प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को पूरी हो गई है. बहस के लिए दिए गए अतरिक्त समय में मुस्लिम पक्ष ने सिविल कोर्ट के न्यायमित्र की नियुक्ति करने के अधिकार पर आपत्ति जताई. कहा कि सिविल कोर्ट को न्यायमित्र नियुक्त करने का अधिकार नहीं है. कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
हिंदू पक्ष ने उसका विरोध करते हुए कहा कि न्यायमित्र की नियुक्ति न्यायालय का विवेकाधिकार है. दोनों पक्ष की बहस पूरी हो गई है. कोर्ट अपना फ़ैसला पहले ही सुरक्षित कर चुका है. अब जल्द ही वाद की पोषणीयता पर फैसला आने की उम्मीद की जा रही है. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.
वाद की पोषणीयता पर 31 मई 2024 को दोनों पक्षों की दलील पूरी होने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था. इस बीच ईदगाह मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने प्रार्थना पत्र देकर अपना पक्ष रखने के लिए न्यायालय से और समय देने की मांग की. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की है कि न्याय सिर्फ मिलना ही नहीं चाहिए, बल्कि न्याय मिलते हुए दिखना चाहिए.
कोर्ट ने 4 जून को मुस्लिम पक्ष को दलील रखने के लिए समय दिया था. बाद में मुस्लिम पक्ष ने प्रार्थना पत्र देकर 5 जून के बाद का समय देने का अनुरोध किया. इस पर 6 जून को कोर्ट ने तिथि निर्धारित की. बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष ने न्यायमित्र की नियुक्ति पर आपत्ति जताई. कहा कि न्यायमित्र की नियुक्ति रद्द की जानी चाहिए.
वहीं हिंदू पक्ष ने सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि न्यायमित्र की नियुक्ति न्यायालय का विवेकाधिकार का विषय है. इस पर किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं की जा सकती. मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को जुर्माना सहित खारिज किया जाए.