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मध्य प्रदेश में दुनिया के हाई प्रोटीन वाले चावल की खेती, किसान होंगे मालामाल

विश्व की पहली हाई प्रोटीन वाली धान की किस्म. मध्य प्रदेश में पहली बार शहडोल में इस किस्म की खेती की जा रही है.

HIGH PROTEIN RICE FARMING IN MP
मध्य प्रदेश में हाई प्रोटीन वाले चावल की खेती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

शहडोल: शरीर में प्रोटीन की मात्रा को पूरी करने के लिए लोग तरह तरह के जतन करते हैं और कई तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन भी करते हैं. ऐसे में अगर आप चावल खाने के शौकीन हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है क्योंकि अब चावल की ऐसी किस्म भी आ चुकी है जिसमें दूसरे चावलों की अपेक्षा हाई प्रोटीन पाई जाती है. इसकी खेती भी बहुत आसान है साथ ही उत्पादन भी बंपर होता है.

दुनिया का हाई प्रोटीन वाला चावल

कृषि वैज्ञानिक डॉ बी के प्रजापति बताते हैं कि "शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां चावल इनका मुख्य खाद्य पदार्थ है. ऐसे में जिस किसी को भी चावल पसंद है उनके लिए चावल की ये किस्म बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि धान की इस किस्म में दूसरे चावल की अपेक्षा सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है जो दुनियाभर के किसी भी चावल में पाए जाने वाले प्रोटीन से ज्यादा है."

एमपी में पैडी की CR310 वैरायटी (ETV Bharat)

कौन सी किस्म, कितना प्रोटीन

कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति बताते हैं कि उच्च प्रोटीन युक्त धान की बात करें तो CR310 धान कि ये किस्म है जो सबसे ज्यादा प्रोटीन वाली किस्म है. इसमें 10.3 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है जो कि सबसे उच्च प्रोटीन होती है. अन्य सामान्य धान के चावल की बात करें तो उसमें 6 से 8% या उससे कम प्रोटीन पाया जाता है. CR310 धान की किस्म विश्व की और हमारे देश की सबसे उच्च प्रोटीन युक्त चावल की किस्म है.

कहां विकसित किया गया

CR310 धान की इस किस्म को राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक में साल 2016 में विकसित किया है. जिसमें प्रोटीन का भंडार है. यह मुख्य रूप से उड़ीसा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य के लिए रिकमेंड किया गया है. इसमें जिंक की मात्रा भी होती है जिसमें 15 पीपीएम मात्रा होती है, जो की बहुत ही अच्छी मानी जाती है.

कितने दिन की फसल, कितना उत्पादन

CR310 धान के इस किस्म में कई खासियत होती हैं. इस फसल की अवधि 120 से 125 दिन की होती है. पौधे की लंबाई जिसे ऊंचाई भी बोल सकते हैं यह 95 से 110 सेंटीमीटर की होती है. इसकी उत्पादन क्षमता 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

आसानी से नहीं लगता रोग

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं की धान की इस किस्म में बहुत सी खासियत हैं. नवीन किस्म है तो इसमें विभिन्न प्रकार के जो कीट होते हैं, जैसे पत्ती मरोड़क कीट, तना छेदक कीट, माहू जिले में भूरा फुदका बीपीएच ब्राउन प्लांट हूपर होता है, इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसके अलावा जो धान की प्रमुख बीमारियां होती हैं जैसे बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट होता है,ब्लास्ट होता है, इन बीमारियों के लिए भी इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है.

'एमपी में पहली बार सफल प्रयोग'

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति कहते हैं कि "पूर्ण रूप से प्रोटीन युक्त होने के कारण धान की इस किस्म की खेती अगर हमारे आदिवासी अंचल में किसान करते हैं, तो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. शहडोल किसान कल्याण और कृषि विभाग शहडोल ने इस बार 15 क्विंटल प्रजनक बीज जो हैं. राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कटक से लाया गया और शहडोल जिले में 23 हेक्टेयर भूमि में 10 किसानों की जमीन पर इसका बीज उत्पादन किया जा रहा है. जिससे जिले में आने वाले समय में अधिक से अधिक कृषकों के लिए यहां बीज उपलब्ध कराया जा सके."

अन्य धान की तरह ही करें खेती

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "धान की इस स्पेशल किस्म का प्रयोग किसानों से कराया गया है. जहां पर CR 310 धान की किस्म लगाई गई है. किसानों का कहना है कि शंकर धान का उत्पादन ज्यादा होता है. यह शंकर धान के टक्कर के बराबर की CR310 धान की किस्म देखने को अभी मिल रही है. जैसे शंकर धान में इस साल भूरा फुदका कीट का संक्रमण देखा जा रहा है, लेकिन वहीं पर CR 310 धान की किस्म में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं देखने को मिली है. आने वाले समय में 15 से 25 दिनों में धान कट कर तैयार होने के लिए रेडी है, जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा. धान के इस किस्म की खेती भी दूसरे धान की तरह ही की जाती है इसमें अलग से कुछ भी नहीं करना होता है और उत्पादन भी बंपर होता है."

ये भी पढ़ें:

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धान में गर्दन तोड़ बीमारी तो नहीं लगी, ध्यान न दिया तो बर्बाद हो सकती है फसल

एमपी में पहली बार सफल प्रयोग

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "धान की इस खास किस्म में खास बात ये भी है कि शहडोल जिले में इसका प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा. मध्य प्रदेश में पहली बार शहडोल जिले में धान के CR310 किस्म का प्रयोग किया गया है. और ज्यादा से ज्यादा बीज इस बार तैयार करने की कोशिश की जा रही है. जिससे अगली बार क्षेत्र के किसानों को ज्यादा से ज्यादा इस बीज को दिया जा सके. ऐसे में कुपोषण के खिलाफ धान की ये खास किस्म एक प्रमुख हथियार साबित हो सकती है क्योंकि इसके चावल में प्रोटीन बहुत ज्यादा पाया जाता है.

शहडोल: शरीर में प्रोटीन की मात्रा को पूरी करने के लिए लोग तरह तरह के जतन करते हैं और कई तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन भी करते हैं. ऐसे में अगर आप चावल खाने के शौकीन हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है क्योंकि अब चावल की ऐसी किस्म भी आ चुकी है जिसमें दूसरे चावलों की अपेक्षा हाई प्रोटीन पाई जाती है. इसकी खेती भी बहुत आसान है साथ ही उत्पादन भी बंपर होता है.

दुनिया का हाई प्रोटीन वाला चावल

कृषि वैज्ञानिक डॉ बी के प्रजापति बताते हैं कि "शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां चावल इनका मुख्य खाद्य पदार्थ है. ऐसे में जिस किसी को भी चावल पसंद है उनके लिए चावल की ये किस्म बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि धान की इस किस्म में दूसरे चावल की अपेक्षा सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है जो दुनियाभर के किसी भी चावल में पाए जाने वाले प्रोटीन से ज्यादा है."

एमपी में पैडी की CR310 वैरायटी (ETV Bharat)

कौन सी किस्म, कितना प्रोटीन

कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति बताते हैं कि उच्च प्रोटीन युक्त धान की बात करें तो CR310 धान कि ये किस्म है जो सबसे ज्यादा प्रोटीन वाली किस्म है. इसमें 10.3 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है जो कि सबसे उच्च प्रोटीन होती है. अन्य सामान्य धान के चावल की बात करें तो उसमें 6 से 8% या उससे कम प्रोटीन पाया जाता है. CR310 धान की किस्म विश्व की और हमारे देश की सबसे उच्च प्रोटीन युक्त चावल की किस्म है.

कहां विकसित किया गया

CR310 धान की इस किस्म को राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक में साल 2016 में विकसित किया है. जिसमें प्रोटीन का भंडार है. यह मुख्य रूप से उड़ीसा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य के लिए रिकमेंड किया गया है. इसमें जिंक की मात्रा भी होती है जिसमें 15 पीपीएम मात्रा होती है, जो की बहुत ही अच्छी मानी जाती है.

कितने दिन की फसल, कितना उत्पादन

CR310 धान के इस किस्म में कई खासियत होती हैं. इस फसल की अवधि 120 से 125 दिन की होती है. पौधे की लंबाई जिसे ऊंचाई भी बोल सकते हैं यह 95 से 110 सेंटीमीटर की होती है. इसकी उत्पादन क्षमता 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

आसानी से नहीं लगता रोग

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं की धान की इस किस्म में बहुत सी खासियत हैं. नवीन किस्म है तो इसमें विभिन्न प्रकार के जो कीट होते हैं, जैसे पत्ती मरोड़क कीट, तना छेदक कीट, माहू जिले में भूरा फुदका बीपीएच ब्राउन प्लांट हूपर होता है, इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसके अलावा जो धान की प्रमुख बीमारियां होती हैं जैसे बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट होता है,ब्लास्ट होता है, इन बीमारियों के लिए भी इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है.

'एमपी में पहली बार सफल प्रयोग'

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति कहते हैं कि "पूर्ण रूप से प्रोटीन युक्त होने के कारण धान की इस किस्म की खेती अगर हमारे आदिवासी अंचल में किसान करते हैं, तो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. शहडोल किसान कल्याण और कृषि विभाग शहडोल ने इस बार 15 क्विंटल प्रजनक बीज जो हैं. राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कटक से लाया गया और शहडोल जिले में 23 हेक्टेयर भूमि में 10 किसानों की जमीन पर इसका बीज उत्पादन किया जा रहा है. जिससे जिले में आने वाले समय में अधिक से अधिक कृषकों के लिए यहां बीज उपलब्ध कराया जा सके."

अन्य धान की तरह ही करें खेती

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "धान की इस स्पेशल किस्म का प्रयोग किसानों से कराया गया है. जहां पर CR 310 धान की किस्म लगाई गई है. किसानों का कहना है कि शंकर धान का उत्पादन ज्यादा होता है. यह शंकर धान के टक्कर के बराबर की CR310 धान की किस्म देखने को अभी मिल रही है. जैसे शंकर धान में इस साल भूरा फुदका कीट का संक्रमण देखा जा रहा है, लेकिन वहीं पर CR 310 धान की किस्म में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं देखने को मिली है. आने वाले समय में 15 से 25 दिनों में धान कट कर तैयार होने के लिए रेडी है, जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा. धान के इस किस्म की खेती भी दूसरे धान की तरह ही की जाती है इसमें अलग से कुछ भी नहीं करना होता है और उत्पादन भी बंपर होता है."

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धान में गर्दन तोड़ बीमारी तो नहीं लगी, ध्यान न दिया तो बर्बाद हो सकती है फसल

एमपी में पहली बार सफल प्रयोग

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "धान की इस खास किस्म में खास बात ये भी है कि शहडोल जिले में इसका प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा. मध्य प्रदेश में पहली बार शहडोल जिले में धान के CR310 किस्म का प्रयोग किया गया है. और ज्यादा से ज्यादा बीज इस बार तैयार करने की कोशिश की जा रही है. जिससे अगली बार क्षेत्र के किसानों को ज्यादा से ज्यादा इस बीज को दिया जा सके. ऐसे में कुपोषण के खिलाफ धान की ये खास किस्म एक प्रमुख हथियार साबित हो सकती है क्योंकि इसके चावल में प्रोटीन बहुत ज्यादा पाया जाता है.

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