नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक दो बड़े माओवादी विरोधी अभियानों के बाद, सुरक्षा बलों का मानना है कि राज्य के अंदरूनी इलाकों में फुट प्रिंट और फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) में वृद्धि से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. सीआरपीएफ (CRPF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा, 'हां, हम नक्सल प्रभावित इलाकों में ऐसे स्थान पर पहुंच गए हैं, जहां 13 साल पहले जाना संभव नहीं था'.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल कम से कम 35 माओवादियों को मार गिराया गया है और 188 विद्रोहियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. अधिकारी ने कहा कि इस साल जनवरी से अब तक 222 माओवादियों को भी गिरफ्तार किया गया है. आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में कम से कम 230 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. 2023 में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों की संख्या 370 और 2022 में 496 थी.
एफओबी के साथ-साथ, माओवादियों की गतिविधियों के बारे में सटीक जानकारी भी सुरक्षा बलों को मदद कर रही है. अधिकारी ने कहा, 'नए एफओबी और सटीक खुफिया जानकारी हमें माओवादी विरोधी अभियान चलाने में मदद कर रही है'. इस वर्ष सीआरपीएफ द्वारा विभिन्न नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कम से कम 18 एफओबी स्थापित किए गए हैं. अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 10 एफओबी, ओडिशा में 5, झारखंड में 2 और महाराष्ट्र में 1 एफओबी स्थापित किया गया है.
पिछले वर्ष 31 एफओबी स्थापित किए गये थे. 2022 में कम से कम 48 एफओबी और 2021 में कम से कम 28 एफओबी स्थापित किए गए हैं. सुरक्षा एजेंसी ने छत्तीसगढ़ के पुवर्ती में भी एफओबी स्थापित किए हैं, जो खतरनाक माओवादी नेता मदवी हिडमा का घर है. उबरती, धर्मावरम, बीजापुर और अन्य जैसे प्रमुख माओवादी क्षेत्रों में भी एफओबी स्थापित किए गए हैं. फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस एक सुरक्षित परिचालन स्थिति है. इसका उपयोग आगे के संचालन करने और रणनीतिक केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए किया जाता है. गौरतलब है कि उन्नत एफओबी में कंक्रीट बैरियर, गेट, वॉचटावर, बंकर और अन्य बल सुरक्षा बुनियादी ढांचे शामिल हैं.
जिला रिजर्व गार्ड (DRG), सीमा सुरक्षा बल (BSF) और राज्य पुलिस सहित सुरक्षा बलों के दो बड़े अभियानों में, पिछले महीने छत्तीसगढ़ में कम से कम 36 माओवादियों को मार गिराया गया है. अधिकारी ने कहा, 'मार्च में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में दो महिला कैडरों सहित 6 माओवादी मारे गए थे. इस ऑपरेशन में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और इसकी विशिष्ट इकाई कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन) के कर्मी शामिल थे. इसे माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) प्लाटून नंबर 10 से नक्सलियों की मौजूदगी के बारे में इनपुट के आधार पर लॉन्च किया गया था'.
उस ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है. अधिकारी ने कहा, '11 अप्रैल को कम से कम 15 माओवादियों ने सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें चंद्र मोहन, बिजॉय बोपई और 12 अन्य शामिल थे'. मृत माओवादियों के पास से सामान बरामद होने के बाद यह खुलासा हुआ कि नक्सली अपने साथ सौर पैनल लेकर चलते हैं. अधिकारी ने बताया कि चूंकि वे जंगल के सुदूर इलाकों में छिपते हैं, इसलिए वे लैपटॉप, कंप्यूटर और अन्य चीजों को चार्ज करने के लिए ऐसे सौर पैनल ले जाते हैं.
पढ़ें: माओवादियों से डेटोनेटर गैर-इलेक्ट्रिक की बरामदगी चिंतनीय