नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने द्रमुक के वरिष्ठ नेता के. पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से शामिल करने से इनकार करने को लेकर गुरवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि के आचरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की. शीर्ष अदालत ने राज्यपाल को 24 घंटे के भीतर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए कहा कि वह न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की सिफारिश के बावजूद, राज्यपाल ने पोनमुडी को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर मंजूरी देने से इनकार कर दिया। पोनमुडी की आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषसिद्धि और तीन साल की सजा पर शीर्ष अदालत ने हाल में रोक लगा दी थी. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि पोनमुडी की दोबारा नियुक्ति संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगी.
पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, 'अटॉर्नी जनरल, हम राज्यपाल के आचरण को लेकर काफी चिंतित हैं। हम इस अदालत में सख्त लहजे में नहीं कहना चाहते, लेकिन वह उच्चतम न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं. जिन लोगों ने उन्हें सलाह दी है, उन्होंने उन्हें ठीक से सलाह नहीं दी है. अब राज्यपाल को न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक के बारे में सूचित करना होगा.' पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा, 'अगर हम कल राज्यपाल का पक्ष नहीं सुनते हैं, तो हम उन्हें संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित करेंगे.'
राज्यपाल ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा. राज्य सरकार ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
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