नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय की ओर से जारी नोटिस के खिलाफ दायर याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. मद्रास उच्च न्यायालय ने पनीरसेल्वम को आय से अधिक संपत्ति के मामले से मुक्त करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हें और उनके रिश्तेदारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था.
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने बहुत ही तार्किक आदेश दिया है और वह इसमें हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है. पीठ ने कहा, 'हालांकि, हम कह सकते हैं कि चुनौती दिए गए आदेश में न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों को केवल नोटिस संबंधी आदेश तक सीमित माना जाना चाहिए और उन टिप्पणियों का आपराधिक पुनरीक्षण पर निर्णय लेने में कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए.'
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 31 अगस्त को पनीरसेल्वम और उनके कुछ रिश्तेदारों को स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए आपराधिक पुनरीक्षण मामले में नोटिस जारी किया था. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा था, 'यह एक ऐसा मामला है जहां एक राजनीतिक व्यक्ति ने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी), राज्य सरकार और अदालत को यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि उसके खिलाफ मामले की सुनवाई ठीक से नहीं हो.'
अदालत ने पनीरसेल्वम, उनकी पत्नी विजयलक्षमी (अब मृत), उनके बेटे रवींद्रनाथ कुमार, उनके भाई ओ राजा और ओ बालमुरुगन और उनकी पत्नियों को सुनवाई के दौरान पेश रहने का निर्देश दिया था. अधीनस्थ अदालत ने 2012 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया था. डीवीएसी ने आरोप लगाया था कि पनीरसेल्वम ने चार महीने के मुख्यमंत्री और उसके बाद 2001 से 2006 तक राजस्व मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने और अपने रिश्तेदारों के नाम पर आय के ज्ञात स्रोतों से 374 गुना अधिक संपत्ति अर्जित की.
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