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EPF-NPS में करें निवेश, रिटायरमेंट के बाद सॉलिड इनकम का होगा इंतजाम, 40 हजार सैलरी में बनेगा लगभग 3 करोड़ का फंड - Retirement Planning - RETIREMENT PLANNING

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) जैसी योजनाएं इसी मकसद से बनाई गई हैं. ऐसे में अगर आप सही रणनीति के साथ इन दोनों विकल्पों में इंवेस्टमेंट करेंगे तो रिटायरमेंट के बाद आपको बेहतर इनकम का बंदोबस्त कर सकते हैं.

40 हजार सैलरी में बनेगा लगभग 3 करोड़ का फंड
40 हजार सैलरी में बनेगा लगभग 3 करोड़ का फंड (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2024, 3:12 PM IST

नई दिल्ली: रिटायरमेंट के बाद आपको वेतन मिलना बेशक बंद हो जाएगा, लेकिन खर्चे वैसे के वैसे ही बने रहेंगे. ऐसे में जरूरी है कि बुढ़ापे के लिए रेगुलर इनकम का इंतजाम कर लिया जाए, ताकि रिटायर्मेंट के बाद आपकी लाइफ बिना किसी आर्थिक परेशानी के बीत सके.

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) जैसी योजनाएं इसी मकसद से बनाई गई हैं. ऐसे में अगर आप सही रणनीति के साथ इन दोनों विकल्पों में इंवेस्टमेंट करेंगे तो रिटायरमेंट के बाद आपको बेहतर इनकम का बंदोबस्त कर सकते हैं.

नेशनल पेंशन सिस्टम
बता दें कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक ऑप्शनल रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है, जिसे पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) रेगुलेट करती है. इस योजना में आप नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं. इस तरह से जमा हुए कॉर्पस का कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सा एन्युइटी खरीदने में इस्तेमाल करना होता है, जिससे आपको रेगूलर मंथली इनकम मिलती है. बाकी हिस्सा आप रिटायर होने पर लम्पसम यानी एकमुश्त निकाल सकते हैं. हालांकि, इसमें किए गए निवेश पर मिलने वाला रिटर्न फिक्स नहीं होता है, बल्कि मार्केट लिंक्ड होता है.

एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड
एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड (EPF) सरकार की ओर से संचालित एक रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है, जिसमें सैलरी पाने वाले कर्मचारियों और उनके एंप्लॉयर की ओर से योगदान किया जाता है. इस स्कीम के तहत फिक्स ब्याज मिलती है और रिटायरमेंट के समय एकमुश्त निकाला जा सकता है.

अगर आप NPS और EPF दोनों स्कीम में निवेश करते हैं तो रिटायरमेंट के बाद बेहतर इनकम पा सकते हैं. यह रणनीति कैस तरह काम करती है, इसे आप आप नीचे दिए कैलकुलेशन की मदद से समझ सकते हैं.

EPF का कैलकुलेशन
अगर निवेशक की मौजूदा उम्र 30 साल है और वह 60 साल की आयु तक निवेश करता है और मंथली अगर उसकी मंथली सैलरी 40,000 रुपये है. आपको EPF की ब्याज दर 8.1 प्रतिशत मिलेगी. इस तरह रिटायरमेंट के समय अनुमानित कॉर्पस 1,99,51,298 रुपये (करीब 2 करोड़ रुपये) हो जाएगा.

एनपीएस का कैलकुलेशन
अगर निवेशक की 30 साल की उम्र में निवेश करना शुरू करता है और 60 साल आयु तक 5000 रुपये का निवेश जारी रखता है तो उसे NPS पर अनुमानित 9 फीसदी सालाना रिटर्न मिल सकता है. इस तरह रिटायरमेंट के समय अनुमानित कॉर्पस 91,53,717 रुपये हो जाएगा.

दोनों स्कीमों से बनेगा 2.91 करोड़ का फंड
इस तरह ईपीएफ और एनपीएस से दोनों के फंड को मिलाकर रिटायरमेंट के बाद आपको 2 करोड़ 91 लाख रुपये से ज्यादा की रकम हो जाएगी. इनमें से एपीएस फंड का मिनिमम 40 यानी 36.61 लाख रुपये एन्युइटी में निवेश करना जरूरी है. चूंकि निवेशक आपके एकमुश्त निकासी के लिए ईपीएफ का पूरा फंड उपलब्ध होगा, इसलिए वे चाहें तो ज्यादा रेगुलर इनकम के लिए एन्युइटी में निवेश बढ़ा भी सकते हैं.

यह भी पढ़ें- PF अकाउंट होल्डर्स को पेंशन के लिए कितने साल करनी होगी सर्विस? जानें

नई दिल्ली: रिटायरमेंट के बाद आपको वेतन मिलना बेशक बंद हो जाएगा, लेकिन खर्चे वैसे के वैसे ही बने रहेंगे. ऐसे में जरूरी है कि बुढ़ापे के लिए रेगुलर इनकम का इंतजाम कर लिया जाए, ताकि रिटायर्मेंट के बाद आपकी लाइफ बिना किसी आर्थिक परेशानी के बीत सके.

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) जैसी योजनाएं इसी मकसद से बनाई गई हैं. ऐसे में अगर आप सही रणनीति के साथ इन दोनों विकल्पों में इंवेस्टमेंट करेंगे तो रिटायरमेंट के बाद आपको बेहतर इनकम का बंदोबस्त कर सकते हैं.

नेशनल पेंशन सिस्टम
बता दें कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक ऑप्शनल रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है, जिसे पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) रेगुलेट करती है. इस योजना में आप नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं. इस तरह से जमा हुए कॉर्पस का कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सा एन्युइटी खरीदने में इस्तेमाल करना होता है, जिससे आपको रेगूलर मंथली इनकम मिलती है. बाकी हिस्सा आप रिटायर होने पर लम्पसम यानी एकमुश्त निकाल सकते हैं. हालांकि, इसमें किए गए निवेश पर मिलने वाला रिटर्न फिक्स नहीं होता है, बल्कि मार्केट लिंक्ड होता है.

एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड
एंप्लॉईज प्रोविडेंट फंड (EPF) सरकार की ओर से संचालित एक रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है, जिसमें सैलरी पाने वाले कर्मचारियों और उनके एंप्लॉयर की ओर से योगदान किया जाता है. इस स्कीम के तहत फिक्स ब्याज मिलती है और रिटायरमेंट के समय एकमुश्त निकाला जा सकता है.

अगर आप NPS और EPF दोनों स्कीम में निवेश करते हैं तो रिटायरमेंट के बाद बेहतर इनकम पा सकते हैं. यह रणनीति कैस तरह काम करती है, इसे आप आप नीचे दिए कैलकुलेशन की मदद से समझ सकते हैं.

EPF का कैलकुलेशन
अगर निवेशक की मौजूदा उम्र 30 साल है और वह 60 साल की आयु तक निवेश करता है और मंथली अगर उसकी मंथली सैलरी 40,000 रुपये है. आपको EPF की ब्याज दर 8.1 प्रतिशत मिलेगी. इस तरह रिटायरमेंट के समय अनुमानित कॉर्पस 1,99,51,298 रुपये (करीब 2 करोड़ रुपये) हो जाएगा.

एनपीएस का कैलकुलेशन
अगर निवेशक की 30 साल की उम्र में निवेश करना शुरू करता है और 60 साल आयु तक 5000 रुपये का निवेश जारी रखता है तो उसे NPS पर अनुमानित 9 फीसदी सालाना रिटर्न मिल सकता है. इस तरह रिटायरमेंट के समय अनुमानित कॉर्पस 91,53,717 रुपये हो जाएगा.

दोनों स्कीमों से बनेगा 2.91 करोड़ का फंड
इस तरह ईपीएफ और एनपीएस से दोनों के फंड को मिलाकर रिटायरमेंट के बाद आपको 2 करोड़ 91 लाख रुपये से ज्यादा की रकम हो जाएगी. इनमें से एपीएस फंड का मिनिमम 40 यानी 36.61 लाख रुपये एन्युइटी में निवेश करना जरूरी है. चूंकि निवेशक आपके एकमुश्त निकासी के लिए ईपीएफ का पूरा फंड उपलब्ध होगा, इसलिए वे चाहें तो ज्यादा रेगुलर इनकम के लिए एन्युइटी में निवेश बढ़ा भी सकते हैं.

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