देहरादून: 30 दिन, एक हजार से अधिक घटनाएं और 6 लोगों की मौत. इसके साथ ही आग बुझाने के लिए वन विभाग वायु सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के तमाम जवानों की टुकड़ी दिन-रात आग बुझाने के काम में लगी हुई थी. लेकिन प्रदेश के जंगलों की आग कम होने के बजाय और अधिक फैलती जा रही थी.
30 दिन बाद सामने आए वन विभाग के मुखिया: 30 दिनों के बाद पहली बार वन विभाग के मुखिया ने मीडिया में आकर यह बताया कि आग बुझाने के लिए उनकी तरफ से क्या कुछ प्रयास किया जा रहे हैं. लेकिन हकीकत यही थी कि तमाम प्रयास धरे के धरे रहे. आखिरकार आग बुझाने में कुदरत ही काम आई. प्रदेश में 8 मई की देर रात हुई बारिश के बाद अब आग की घटनाएं लगभग शून्य पर पहुंच गई हैं.
बारिश ने दिया साथ: वन विभाग के मुखिया धनंजय मोहन ने वनाग्नि के बाद भले ही एक हफ्ते पहले ही चार्ज संभाला हो, लेकिन हकीकत यही है कि तमाम अधिकारी आग बुझाने और तैयारी को लेकर अब तक खामोश बैठे हुए थे. हां इतना जरूर था कि रोजाना वन मुख्यालय की तरफ से प्रदेश में कितनी जगह आग लगी है और कितना नुकसान हुआ है, इस बात की जानकारी रोज दे दी जाती थी. लेकिन बुधवार शाम मुख्यमंत्री की बैठक के बाद मीडिया के सामने आए धनंजय मोहन ने बताया था कि कई प्रयासों से आग बुझाने का कार्य प्रदेश में चल रहा है. वन विभाग के प्रयास कितने सफल रहे, यह तो शायद ही कोई बता पाए, लेकिन मौसम ने प्रदेश के पहाड़ों को खूब राहत दी. मौसम चार दिन तक प्रदेश में ऐसा ही बना रहेगा, ऐसा मौसम वैज्ञानिक बता रहे हैं.
चारधाम यात्रियों को मिलेगी राहत: उत्तराखंड के वनों में आग लगने की घटनाओं के बाद से लगातार सरकार चिंतित थी. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ सचिव स्तर के अधिकारियों को भी आग बुझाने के काम में लगाया हुआ था. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के दफ्तर से मिली जानकारी के बाद जो राहत भरी खबर आई है, वह यही है कि 24 घंटे में प्रदेश में कोई भी आग लगने की घटना नहीं हुई है. यह न केवल उत्तराखंड के पहाड़ों के लिए बल्कि पहाड़ों पर रहने वाले लोगों और यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए भी एक राहत भरी खबर है. प्रदेश में बारिश उसी वक्त हुई है जब उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है. बाबा केदार के कपाट खुल चुके हैं. ऐसे में चारधाम यात्रा पर आने वाले लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और चमोली में रुके हुए हैं.
ये हुआ अब तक काम: वन मुख्यालय और उत्तराखंड मुख्य सचिव के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यह बताया गया है कि अभी भी वर्तमान स्थिति पर नजर बनाकर रखी हुई है. इतना ही नहीं जो फील्ड में स्टाफ उतर गया था, उसे अभी भी इस जगह पर रोका गया है, ताकि अगर दोबारा से कहीं पर भी आग लगने की घटना सामने आती है, तो तत्काल प्रभाव से उस पर काबू पाया जा सके.
मुख्य सचिव हर घंटे ले रही हैं रिपोर्ट: मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी लगातार डीएफओ लेवल के अधिकारियों से हर घंटे की रिपोर्ट ले रही हैं. हालांकि शासन यह भी मानता है कि कर्मचारियों के साथ-साथ वन पंचायत, महिला मंगल दल, युवा मंगल दल और अन्य स्थानीय लोगों की सहायता से ही इस आप पर काबू पाया गया है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण में सभी सम्बन्धित विभागों जिनमें आपदा प्रबन्धन, फायर सर्विसेज आदि के कार्मिकों का सहयोग लिया गया है.
आग बुझाने में इन्होंने की मशक्कत: 28 अप्रैल से 1 मई तक एनडीआरएफ की 15वीं बटालियन ने नैनीताल फॉरेस्ट डिवीजन में वनाग्नि नियंत्रण में सहयोग किया. अब यह बटालियन गढ़वाल फॉरेस्ट डिवीजन पहुंच रही है. भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर एमआई 17 द्वारा 6 से 8 मई के बीच 44,600 लीटर पानी का छिड़काव गढ़वाल फॉरेस्ट डिवीजन पौड़ी में किया गया. इसके साथ ही इस दौरान राज्य में 417 वन अपराध दर्ज किए गए. जिनमें से 356 अज्ञात एवं 61 ज्ञात रहे. 75 नामजद अपराधी रहे. 13 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. 10 व्यक्तियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.
बारिश ही नहीं बर्फबारी भी होगी: आपको बता दें कि 24 घंटे में कई बार उत्तराखंड में कई जगहों पर भारी बारिश हुई है. बागेश्वर के कपकोट में तो बुधवार को ही बारिश के बाद इतना पानी नदियों में आ गया के लोग भयभीत हो गए. पिथौरागढ़ में बारिश की वजह से एक मकान भी ढह गया. कपकोट में हुई बारिश से न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ, बल्कि जानवरों के लिए भी यह आफत बनकर आई. यहां पर बिजली गिरने से सबसे अधिक भेड़ बकरियां मर गईं.
बारिश ने बुझाई वनाग्नि: इसके साथ ही पिथौरागढ़ में भी कुछ ऐसे ही हालात देखने के लिए मिले. नैनीताल, अल्मोड़ा के साथ ही गढ़वाल के पौड़ी, श्रीनगर, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग में भी अच्छी खासी बारिश हुई है. जिसके बाद पहाड़ों में थोड़ी ठंडक जरूर बढ़ गई है. मौसम वैज्ञानिक विक्रम सिंह ने कहा है कि अभी मौसम 12 तारीख तक ऐसा ही बना रहेगा. लेकिन कुछ-कुछ समीकरण ऐसे भी बना रहे हैं कि 12 और 13 तारीख को 4000 फीट से ऊपर की ऊंचाई पर बर्फबारी भी हो सकती है. यानी उस वक्त जो श्रद्धालु केदारनाथ और बदरीनाथ के आसपास होंगे, उन्हें बर्फबारी का आनंद भी मिल जाएगा. अब उम्मीद यही जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में जैसे-जैसे चारधाम यात्रा अपने पूरे शबाब पर होगी, वैसे-वैसे मौसम भी भक्तों का साथ देगा.
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