नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं जीतती है तो राहुल गांधी को पार्टी नेतृत्व से पीछे हट जाना चाहिए.
न्यूज एसेंजी पीटीआई से बातचीत में पीके ने कहा कि राहुल गांधी अपने सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए कांग्रेस पार्टी चला रहे हैं और पिछले 10 वर्षों में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद वह न तो पीछे हट रहे हैं और न ही किसी दूसरे नेता को कांग्रेस का नेतृत्व करने दे रहे हैं. किशोर ने कहा कि उनके विचार से यह अलोकतांत्रिक है.
पीके के नाम मशहूर प्रशांत किशोर ने पिछले लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का कायाकल्प करने के लिए एक योजना तैयार की थी, लेकिन इसके अमल पर उनके और कांग्रेस नेतृत्व के बीच असहमति के कारण वह पीछे हट गए थे.
राहुल गांधी की कार्यशैली को लेकर पीके ने कहा, "जब आप (राहुल गांधी) पिछले 10 साल से एक ही काम कर रहे हैं और उसमें कोई सफलता नहीं मिली है, तो ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है... आपको इसे किसी दूसरे को पांच साल के लिए करने देना चाहिए. आप की मां (सोनिया गांधी) ने ऐसा किया था." किशोर ने सोनिया गांधी के अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद राजनीति से दूर रहने और 1991 में पीवी नरसिम्हा राव को जिम्मेदारी सौंपने के फैसले को याद किया.
राहुल गांधी को लगता है कि उन्हें सब कुछ पता है...
किशोर ने कहा कि दुनिया भर में अच्छे नेताओं की प्रमुख विशेषता यह है कि वे अपनी कमियों के बारे में जानते हैं और उन कमियों को दूर के लिए मेहनत करते हैं. लेकिन राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि उन्हें सब कुछ पता है. अगर आप सहायता की जरूरत को नहीं पहचानते तो कोई भी आपकी सहायता नहीं कर सकता. उनका (राहलु गांधी) मानना है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उन्हें सही लगता है वो उसे तामील कर सके. लेकिन हकीकत में यह संभव नहीं है.
अपने बयान के विपरीत काम कर रहे हैं राहुल
2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के राहुल गांधी के फैसले पर पीके ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने तब कहा था कि वह पार्टी नेतृत्व से पीछे हट जाएंगे और किसी अन्य को काम करने का मौका देंगे. लेकिन हकीकत में, उन्होंने जो कहा था, उसके विपरीत काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कांग्रेस के कई नेता निजी तौर पर स्वीकार करेंगे कि वे पार्टी में कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं. यहां तक कि गठबंधन सहयोगियों के साथ एक सीट साझा करने के बारे में भी फैसला नहीं ले सकते.
पार्टी और उसके समर्थक व्यक्ति विशेष से बड़े...
कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग निजी तौर पर मानता है कि राहुल गांधी वो फैसले नहीं लेते, जो वे चाहते हैं. किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थक व्यक्ति विशेष से बड़े हैं और राहुल गांधी को इस बात पर जिद नहीं करनी चाहिए कि बार-बार विफलताओं के बावजूद वह ही पार्टी के लिए काम करेंगे.
राहुल गांधी के चुनाव में विफलताओं के लिए चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया जैसी संस्थाओं पर सवाल उठाने पर पीके ने कहा कि इसमें कुछ सचाई हो सकती है लेकिन पूरा सच नहीं है. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 206 सीटों से घटकर 44 सीटों पर आ गई थी, जब वह सत्ता में थी और भाजपा का संस्थानों पर बहुत कम प्रभाव था. पीके इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस अपने कामकाज में संरचनात्मक खामियों से ग्रस्त है और पार्टी की सफलता के लिए उन्हें दूर करना जरूरी है.
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