हैदराबाद: रवीन्द्र जयंती हर साल 7 मई को बंगाल के प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती मनाने के लिए मनाई जाती है. 'बंगाल का बार्ड' और 'गुरुदेव' के नाम से प्रसिद्ध टैगोर साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में अपने अपार योगदान के लिए जाने जाते हैं. भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका का नेशनल एंथम रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कंपोज्ड है. फेमस कवि, दार्शनिक, कलाकार, शिक्षाविद् और उपन्यासकार रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती हर साल दो तारीखों 7 और 9 मई को मनाई जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई को हुआ था, जबकि बंगाली कैलेंडर के अनुसार रबींद्रनाथ टैगोर जयंती पोइला बैशाख (बंगाली नव यार) के 25वें दिन मनाई जानी चाहिए, जो 9 मई को पड़ती है. इस वर्ष, भारत रवीन्द्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती मनाया जाएगा.
रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 सही तिथि
रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती हिंदू और बंगाली दोनों कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 7 मई को पड़ती है जबकि बंगाली कैलेंडर के अनुसार, टैगोर की जन्म तिथि 9 मई को पड़ती है.
रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती 2024: इतिहास
रवीन्द्रना टैगोर एक विद्वान पण्डित थे, जिनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोरासांको ठाकुरबाई में हुआ थी. उनकी माता का नाम सारदा देवी और पिता का नाम देबेंद्रनाथ टैगोर था. एक नॉन-यूरोपियन होने के नाते उन्हें साल 1913 में कविताओं के संग-संग गीतांजलि के लिए साहित्य में पहला नोबेल पुरस्कार मिला था, यह उनके जीवनकाल की सबसे बड़ी सफलता थी. जिसके बाद लोग उन्हें बार्ड ऑफ बंगाल कहकर बुलाते थे. इसके अलावा, एक संगीतकार और कलाकार के रूप में रवीन्द्रनाथ टैगोर भी महत्वपूर्ण थे. उन्होंने लगभग 3000 पेंटिंग बनाई और लगभग 2230 गाने लिखे. उन्होंने भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए नेशनल एंथम भी लिखा. मूल रूप से शांतिनिकेतन कहे जाने वाले विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी.
रवीन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु कब हुई?
साल 1941 में 7 अगस्त को रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन हो गया. उन्होंने 80 साल की आयु में कलकत्ता में अपनी आखिरी सांस ली. बता दें, कलकत्ता को अब कोलकाता के नाम से जाना जाता है. टैगोर गंभीर यूरेमिया और अवरुद्ध बाइनरी मूत्राशय से पीड़ित थे. डॉ. ज्योतिप्रकाश. सरकार और डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने 30 जुलाई, 1941 को सर्जरी की सिफारिश की, दुर्भाग्य से, सर्जरी से उत्पन्न जटिलताओं के कारण अंततः एक सप्ताह बाद उनकी मृत्यु हो गई.
रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती 2024: महत्व
साल 2024 में ये रवीन्द्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती होगी. इस जयंती वाले दिन सेमिनार आयोजित किए जाते हैं और लोग अपने कृत्यों, चर्चाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. स्कूलों में छात्र उनकी उपलब्धियों और इस देश के लिए उनके द्वारा किए गए अविश्वसनीय कामों के बारे में बात करते हैं. लोग उनकी विरासत और जिस तरह से उन्होंने दुनिया भर में साहित्य कार्य, कविता और संगीत को बढ़ावा दिया, उसका सम्मान करते हैं.
कैसे मनाई जाती है जयंती
रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन इसकी भव्यता पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भी देखी जा सकती है. इस दिन, सांस्कृतिक कार्यक्रम स्कूलों, विश्वविद्यालयों और स्थानीय समुदायों में टैगोर के काम को प्रदर्शित करते हैं. विभिन्न आयोजनों में रवीन्द्र संगीत से प्रेरित नृत्य, नाटक, गीत और गायन शामिल हैं. यहां तक कि विश्वभारती विश्वविद्यालय में विदेशी छात्र भी उत्सव में शामिल होते हैं. इसके बावजूद, रवीन्द्रनाथ की जन्मस्थली जोरासंको ठाकुर बाड़ी में कई अन्य स्पेशल कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
टैगोर के योगदान का सम्मान करने के लिए कई स्कूल और कॉलेज समारोह भी आयोजित किए जाते हैं और बच्चे अक्सर उनकी कविताएं और गीत सुनाते हैं और उनके साहित्यिक कार्यों पर आधारित नाटक प्रस्तुत करते हैं.
कई बंगाली परिवार इस दिन को उत्सव के हिस्से के रूप में रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 के अवसर पर सुबह से शाम तक रबींद्रनाथ टैगोर के गाने बजाते हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में कुछ अनसुनी बातें:-
1 | टैगोर अपने माता-पिता से पैदा हुए तेरह बच्चों में सबसे छोटे थे. |
2 | उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ाया और सत्रह साल की उम्र तक स्कूल नहीं गए. |
3 | टैगोर एक प्रतिभाशाली चित्रकार थे और उनकी कृतियां दुनिया भर की कई कला दीर्घाओं में प्रदर्शित हैं. |
4 | वह अपने कविता संग्रह 'गीतांजलि' के लिए 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे. |
5 | टैगोर एक दार्शनिक थे और आध्यात्मिकता, मानवता और पर्यावरण पर उनके कार्य आज भी प्रासंगिक हैं. |
6 | वह भारत में ब्रिटिश शासन के मुखर आलोचक थे और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नाइट की उपाधि दी थी, लेकिन बाद में जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में उन्होंने यह उपाधि त्याग दी. |
7 | टैगोर एक संगीतकार थे और उन्होंने 2,000 से अधिक गीतों की रचना की, जिनमें से कई आज भी लोकप्रिय हैं. |
8 | वह एक समाज सुधारक थे और उन्होंने ग्रामीण बंगाल में एक स्कूल की स्थापना की, जिसमें काम करके सीखने और शारीरिक शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया. |
9 | टैगोर लैंगिक समानता के समर्थक थे और उन्होंने कई नाटक लिखे जिन्होंने पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को चुनौती दी. |
10 | वह बहुभाषी थे और बांग्ला, अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत और कई अन्य भाषाएं धाराप्रवाह बोल सकते थे. |