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एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारियों के कृपाण पहनने पर रोक, BCAS के फैसले पर विवाद, SGPC ने विरोध जताया

BCAS Order: सिख संगठनों ने नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारियों के कृपाण पहनने पर रोक के फैसले का विरोध किया है.

controversy over BCAS order barring Sikh employees from wearing kirpan at airport
एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारियों के कृपाण पहनने पर रोक (File Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

अमृतसर: नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारियों के कृपाण पहनने पर बड़ा फैसला लिया है. अब सिख कर्मचारी एयरपोर्ट पर कृपाण नहीं पहन सकेंगे. बीसीएएस ने बीते 30 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश जारी किए थे. बीसीएएस ने अपने आदेश में कहा कि एयरपोर्ट पर काम करने वाले सिख कर्मचारी सुरक्षा के मद्देनजर कृपाण नहीं पहन सकेंगे. यह दिशा-निर्देश सभी एयरपोर्ट कर्मियों को एक दिन पहले ही मिल गया था. बीसीएएस ने कहा है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल के चलते ये आदेश जारी किए गए हैं.

बीसीएएस के इस फैसले के बाद विवाद शुरू हो गया. इस मामले को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि भारत, खासकर पंजाब जैसे राज्य जो गुरुओं की धरती है, उनका विरोध न करने के आदेश बहुत निंदनीय हैं. जत्थेदार सिंह ने कहा कि उन्हें इस समय एसजीपी से कहना चाहिए कि वह इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाए.

इसके अलावा, श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस फैसले की आलोचना की और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है. उन्होंने कहा कि कृपाण सिख धर्म में एक पवित्र प्रतीक है और इसे पहनना धार्मिक अधिकार है. इस तरह के आदेश पहले भी जारी किए गए हैं, जिससे सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि एविएशन अथॉरिटी द्वारा सिखों को ड्यूटी के दौरान कृपाण न पहनने का आदेश गलत है.

शिरोमणि अकाली दल ने आदेश की निंदा की
शिरोमणि अकाली दल ने भी बीसीएएस के आदेश की निंदा की है. अकाली दल ने ट्वीट किया कि एसजीपीसी ने भी कर्मचारियों को कृपाण न पहनने के फैसले का कड़ा संज्ञान लिया है. वहीं ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान में कृपाण पहनने का अधिकार दिया गया है. सिखों को अपने धार्मिक प्रतीक धारण करने की आजादी. इसमें पांच ककार- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कछैरा हैं, जो सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. सरकारी और निजी संस्थानों में पहले भी इस तरह के आदेश जारी किए जा चुके हैं, जिससे सिख समुदाय में रोष है.

बता दें कि साल 2022 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत के हवाई अड्डों पर सिख कर्मचारियों को कृपाण न ले जाने के आदेश जारी किया था. इस आदेश के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि ऐसा करके मंत्रालय सिखों की आजादी छीनने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद मंत्रालय ने अपना आदेश वापस ले लिया था.

साल 2017 में तमिलनाडु जा रहे किसान नेताओं को दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान में चढ़ने से रोक दिया गया था. सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया था. तब किसान नेताओं ने कहा था कि केंद्र सरकार के आदेश पर सुरक्षाकर्मियों ने कृपाण को मुद्दा बनाकर उन्हें रोक दिया. 26 अगस्त 2024 को किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा और सुखदेव सिंह भोजराज को दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान में चढ़ने से रोक दिया गया था.

नियमों के अनुसार, सिख यात्रियों को भारत में घरेलू उड़ानों में कृपाण पहनने की अनुमति है. हालांकि, कृपाण की लंबाई 23 सेमी (9 इंच) और ब्लेड की लंबाई 15 सेमी (6 इंच) से अधिक नहीं होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें- भारतीय ड्राइविंग लाइसेंस पर इन 11 देशों में चला सकते हैं गाड़ी, यहां देखें लिस्ट

अमृतसर: नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारियों के कृपाण पहनने पर बड़ा फैसला लिया है. अब सिख कर्मचारी एयरपोर्ट पर कृपाण नहीं पहन सकेंगे. बीसीएएस ने बीते 30 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश जारी किए थे. बीसीएएस ने अपने आदेश में कहा कि एयरपोर्ट पर काम करने वाले सिख कर्मचारी सुरक्षा के मद्देनजर कृपाण नहीं पहन सकेंगे. यह दिशा-निर्देश सभी एयरपोर्ट कर्मियों को एक दिन पहले ही मिल गया था. बीसीएएस ने कहा है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल के चलते ये आदेश जारी किए गए हैं.

बीसीएएस के इस फैसले के बाद विवाद शुरू हो गया. इस मामले को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि भारत, खासकर पंजाब जैसे राज्य जो गुरुओं की धरती है, उनका विरोध न करने के आदेश बहुत निंदनीय हैं. जत्थेदार सिंह ने कहा कि उन्हें इस समय एसजीपी से कहना चाहिए कि वह इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाए.

इसके अलावा, श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस फैसले की आलोचना की और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है. उन्होंने कहा कि कृपाण सिख धर्म में एक पवित्र प्रतीक है और इसे पहनना धार्मिक अधिकार है. इस तरह के आदेश पहले भी जारी किए गए हैं, जिससे सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि एविएशन अथॉरिटी द्वारा सिखों को ड्यूटी के दौरान कृपाण न पहनने का आदेश गलत है.

शिरोमणि अकाली दल ने आदेश की निंदा की
शिरोमणि अकाली दल ने भी बीसीएएस के आदेश की निंदा की है. अकाली दल ने ट्वीट किया कि एसजीपीसी ने भी कर्मचारियों को कृपाण न पहनने के फैसले का कड़ा संज्ञान लिया है. वहीं ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान में कृपाण पहनने का अधिकार दिया गया है. सिखों को अपने धार्मिक प्रतीक धारण करने की आजादी. इसमें पांच ककार- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कछैरा हैं, जो सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. सरकारी और निजी संस्थानों में पहले भी इस तरह के आदेश जारी किए जा चुके हैं, जिससे सिख समुदाय में रोष है.

बता दें कि साल 2022 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत के हवाई अड्डों पर सिख कर्मचारियों को कृपाण न ले जाने के आदेश जारी किया था. इस आदेश के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि ऐसा करके मंत्रालय सिखों की आजादी छीनने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद मंत्रालय ने अपना आदेश वापस ले लिया था.

साल 2017 में तमिलनाडु जा रहे किसान नेताओं को दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान में चढ़ने से रोक दिया गया था. सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया था. तब किसान नेताओं ने कहा था कि केंद्र सरकार के आदेश पर सुरक्षाकर्मियों ने कृपाण को मुद्दा बनाकर उन्हें रोक दिया. 26 अगस्त 2024 को किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा और सुखदेव सिंह भोजराज को दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान में चढ़ने से रोक दिया गया था.

नियमों के अनुसार, सिख यात्रियों को भारत में घरेलू उड़ानों में कृपाण पहनने की अनुमति है. हालांकि, कृपाण की लंबाई 23 सेमी (9 इंच) और ब्लेड की लंबाई 15 सेमी (6 इंच) से अधिक नहीं होनी चाहिए.

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