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PM मोदी की 'क्रांतिकारी' योजना जम्मू-कश्मीर में बंद होने की कगार पर, अस्पतालों ने खड़े किए हाथ - AB PMJAY Scheme

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 21, 2024, 6:55 PM IST

AB-PMJAY Health Insurance Scheme: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में इसकी शुरुआत की थी. 'गोल्डन कार्ड' योजना के रूप में प्रसिद्ध इस योजना को बाधा का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत के संवाददाता मीर फरहत की रिपोर्ट.

AB-PMJAY Health Insurance Scheme
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (फोटो- ANI)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना) के पैनल में शामिल अस्पतालों को देरी से भुगतान और बीमा कंपनी व प्रशासन के बीच कानूनी विवाद के कारण बंद होने के कगार पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की स्वास्थ्य सेवा में 'क्रांतिकारी' योजना बताया था. इस साल मार्च के बाद से कोई प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्स्मन्ट) नहीं होने की वजह से अस्पतालों के मालिकों ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लो को एक पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है. पत्र में अस्पताल के मालिकों ने मई के बाद मरीजों को अपनी सेवाएं देने में असमर्थता जताई है. इस योजना के तहत 239 सरकारी और निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं.

पत्र में सरकार को चेतावनी दी गई है कि सेहत (SEHAT) योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों और डायलिसिस केंद्रों को 15 मार्च, 2024 से कोई भुगतान नहीं मिला है. हम 1 जून, 2024 से आगे इस योजना को जारी रखने में असमर्थ होंगे. सूचीबद्ध अस्पतालों के मालिकों ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने 17 मई (शुक्रवार) को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव एम. गडकर के कार्यालय के माध्यम से मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि सूचीबद्ध अस्पतालों के पास अपने स्वास्थ्य केंद्रों को चलाने के लिए धनराशि नहीं बची है.

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी. इसे आमतौर पर 'गोल्डन कार्ड' योजना के रूप में जाना जाता है. यह योजना मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है जो उन्हें निजी अस्पतालों में मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा हासिल करने में सक्षम बनाती है. सेहत योजना को पहली बाधा का सामना करना पड़ा, जब इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने पिछले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ अपने तीन साल के अनुबंध को एकतरफा समाप्त कर दिया. अनुबंध 10 मार्च, 2022 से शुरू होकर तीन वर्षों के लिए था और इसकी समाप्ति अवधि 14 मार्च, 2025 तक थी.

कंपनी को अनुबंध जारी रखने में दिलचस्पी नहीं...
ईटीवी भारत ने सबसे पहले इसी साल फरवरी में अनुबंध की समाप्ति के बारे में खबर प्रकाशित की थी. अनुबंध को जारी रखने के लिए स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) के अनुरोधों के बावजूद इफको-टोकियो ने कहा कि उसे अनुबंध को नवीनीकृत करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. एसएचए ने अनुबंध को जारी रखने के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन जस्टिस वसीम सादिक नरगल की एकल पीठ ने इसी साल फरवरी में याचिका खारिज कर दी. जिससे सरकार को एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए खंडपीठ के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे यह मामला कानूनी पचड़े में फंस गया और अभी तक कोई राहत नहीं मिली है.

हाईकोर्ट में लंबित है मामला
एसएचए के नोडल अधिकारी ने कहा कि योजना आज तक सुचारू रूप से चल रही है और एसएचए और बीमा कंपनी के बीच हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई के कारण वे कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि आज तक पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल ने मरीजों को देरी से भुगतान मिलने के बावजूद उन्हें अपनी सेवा बंद नहीं की है. मरीजों की देखभाल पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है और उम्मीद है कि भविष्य में भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

इफको-टोकियो (IFFCO-TOKIO) कंपनी के मुख्य प्रबंधक मुख्तार लोन ने ईटीवी भारत को बताया कि वे इस वर्ष अस्पतालों को कोई भुगतान नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष अपना अनुबंध समाप्त कर दिया है. लोन ने कहा कि हमने दिशानिर्देशों के अनुसार अपना अनुबंध वापस ले लिया है, इसलिए हम इस वर्ष मार्च 2024 से मार्च 2025 तक भुगतान नहीं करेंगे.

कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे अस्पताल
धन की कमी से परेशान पैनल में शामिल अस्पताल मालिकों ने एसएचए के सीईओ और नोडल अधिकारी से मुलाकात की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. अस्पताल मालिकों ने कहा, हम अपने कर्मचारियों को मार्च और अप्रैल का वेतन नहीं दे पा रहे हैं और हमारे वितरकों को उपकरण और दवा के लिए कोई भुगतान भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा पैसा खत्म हो गया है और हम बिना भुगतान के गोल्डन कार्ड स्वीकार नहीं कर पाएंगे और मरीजों को सेवाएं नहीं दे पाएंगे.

97 लाख से अधिक लोग उठा चुके हैं योजना का लाभ
एसएचए के अनुसार, इस योजना से 97,17,471 से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं. एजेंसी ने योजना के लॉन्च होने के बाद से 82,10,171 आयुष्मान कार्ड जारी किए हैं और 10,468,53 दावों का निपटान किया है. एसएचए का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में हर दिन सर्जरी और डायलिसिस जैसी 1,400 से अधिक स्वास्थ्य कार्यविधि होती हैं क्योंकि मरीज इस योजना का लाभ उठाते हैं. सूचीबद्ध अस्पतालों को जून से अपनी सेवा बंद करने पर मरीजों को परेशानी होगी क्योंकि स्वास्थ्य सेवा दिन-ब-दिन महंगी होती जा रही है.

ये भी पढ़ें- 'अगला मतदान हमारी मातृभूमि में होगा', वोट डालने आए कश्मीरी पंडित ने जताई उम्मीद

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना) के पैनल में शामिल अस्पतालों को देरी से भुगतान और बीमा कंपनी व प्रशासन के बीच कानूनी विवाद के कारण बंद होने के कगार पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की स्वास्थ्य सेवा में 'क्रांतिकारी' योजना बताया था. इस साल मार्च के बाद से कोई प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्स्मन्ट) नहीं होने की वजह से अस्पतालों के मालिकों ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लो को एक पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है. पत्र में अस्पताल के मालिकों ने मई के बाद मरीजों को अपनी सेवाएं देने में असमर्थता जताई है. इस योजना के तहत 239 सरकारी और निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं.

पत्र में सरकार को चेतावनी दी गई है कि सेहत (SEHAT) योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों और डायलिसिस केंद्रों को 15 मार्च, 2024 से कोई भुगतान नहीं मिला है. हम 1 जून, 2024 से आगे इस योजना को जारी रखने में असमर्थ होंगे. सूचीबद्ध अस्पतालों के मालिकों ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने 17 मई (शुक्रवार) को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव एम. गडकर के कार्यालय के माध्यम से मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि सूचीबद्ध अस्पतालों के पास अपने स्वास्थ्य केंद्रों को चलाने के लिए धनराशि नहीं बची है.

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी. इसे आमतौर पर 'गोल्डन कार्ड' योजना के रूप में जाना जाता है. यह योजना मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है जो उन्हें निजी अस्पतालों में मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा हासिल करने में सक्षम बनाती है. सेहत योजना को पहली बाधा का सामना करना पड़ा, जब इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने पिछले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ अपने तीन साल के अनुबंध को एकतरफा समाप्त कर दिया. अनुबंध 10 मार्च, 2022 से शुरू होकर तीन वर्षों के लिए था और इसकी समाप्ति अवधि 14 मार्च, 2025 तक थी.

कंपनी को अनुबंध जारी रखने में दिलचस्पी नहीं...
ईटीवी भारत ने सबसे पहले इसी साल फरवरी में अनुबंध की समाप्ति के बारे में खबर प्रकाशित की थी. अनुबंध को जारी रखने के लिए स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) के अनुरोधों के बावजूद इफको-टोकियो ने कहा कि उसे अनुबंध को नवीनीकृत करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. एसएचए ने अनुबंध को जारी रखने के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन जस्टिस वसीम सादिक नरगल की एकल पीठ ने इसी साल फरवरी में याचिका खारिज कर दी. जिससे सरकार को एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए खंडपीठ के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे यह मामला कानूनी पचड़े में फंस गया और अभी तक कोई राहत नहीं मिली है.

हाईकोर्ट में लंबित है मामला
एसएचए के नोडल अधिकारी ने कहा कि योजना आज तक सुचारू रूप से चल रही है और एसएचए और बीमा कंपनी के बीच हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई के कारण वे कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि आज तक पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल ने मरीजों को देरी से भुगतान मिलने के बावजूद उन्हें अपनी सेवा बंद नहीं की है. मरीजों की देखभाल पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है और उम्मीद है कि भविष्य में भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

इफको-टोकियो (IFFCO-TOKIO) कंपनी के मुख्य प्रबंधक मुख्तार लोन ने ईटीवी भारत को बताया कि वे इस वर्ष अस्पतालों को कोई भुगतान नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष अपना अनुबंध समाप्त कर दिया है. लोन ने कहा कि हमने दिशानिर्देशों के अनुसार अपना अनुबंध वापस ले लिया है, इसलिए हम इस वर्ष मार्च 2024 से मार्च 2025 तक भुगतान नहीं करेंगे.

कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे अस्पताल
धन की कमी से परेशान पैनल में शामिल अस्पताल मालिकों ने एसएचए के सीईओ और नोडल अधिकारी से मुलाकात की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. अस्पताल मालिकों ने कहा, हम अपने कर्मचारियों को मार्च और अप्रैल का वेतन नहीं दे पा रहे हैं और हमारे वितरकों को उपकरण और दवा के लिए कोई भुगतान भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा पैसा खत्म हो गया है और हम बिना भुगतान के गोल्डन कार्ड स्वीकार नहीं कर पाएंगे और मरीजों को सेवाएं नहीं दे पाएंगे.

97 लाख से अधिक लोग उठा चुके हैं योजना का लाभ
एसएचए के अनुसार, इस योजना से 97,17,471 से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं. एजेंसी ने योजना के लॉन्च होने के बाद से 82,10,171 आयुष्मान कार्ड जारी किए हैं और 10,468,53 दावों का निपटान किया है. एसएचए का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में हर दिन सर्जरी और डायलिसिस जैसी 1,400 से अधिक स्वास्थ्य कार्यविधि होती हैं क्योंकि मरीज इस योजना का लाभ उठाते हैं. सूचीबद्ध अस्पतालों को जून से अपनी सेवा बंद करने पर मरीजों को परेशानी होगी क्योंकि स्वास्थ्य सेवा दिन-ब-दिन महंगी होती जा रही है.

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