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पोलैंड और यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा पर पीएम मोदी हुए रवाना, जानिए क्या है एजेंडा? - PM Modi visit to Poland and Ukraine - PM MODI VISIT TO POLAND AND UKRAINE

PM Modi Visit To Poland And Ukraine, पीएम नरेंद्र मोदी पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा पर आज रवाना हो गए. भारत के प्रधानमंत्री की 45 साल बाद पोलैंड की यात्रा होगी. इसके बाद पीएम मोदी यूक्रेन जाएंगे. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

PM Modi departs on historic visit to Poland and Ukraine
प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड और यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा पर हुए रवाना (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 21, 2024, 10:38 AM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी आज 21 से 23 अगस्त तक दो दिन की पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा पर रवाना हो गए. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा एक ऐतिहासिक यात्रा होगी. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी पहले 21-22 अगस्त को पोलैंड और फिर 23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 45 साल के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा होगी. यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रूस-यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रही है. इसके अलावा यह ऐसे समय में हो रही है जब विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है.बता दें कि इससे पहले 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने वारसॉ का दौरा किया था.

यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पोलैंड की मेरी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ है. पोलैंड मध्य यूरोप में एक प्रमुख आर्थिक साझेदार है.' उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र और बहुलवाद के प्रति हमारी पारस्परिक प्रतिबद्धता हमारे संबंधों को और मजबूत बनाती है. मैं अपने मित्र प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और राष्ट्रपति सेबेस्टियन डूडा से मिलकर अपनी साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं. मैं पोलैंड में रहने वाले जीवंत भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मिलूंगा.' उन्होंने कहा, 'पोलैंड से मैं राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन जा रहा हूं. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा है. मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और चल रहे यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर दृष्टिकोण साझा करने के लिए पहले की बातचीत को आगे बढ़ाने के अवसर की प्रतीक्षा कर रहा हूं. एक मित्र और साझेदार के रूप में, हम इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की शीघ्र वापसी की आशा करते हैं.'

उन्होंने आगे विश्वास व्यक्त किया कि यह यात्रा दोनों देशों के साथ व्यापक संपर्कों की स्वाभाविक निरंतरता के रूप में काम करेगी और आने वाले वर्षों में अधिक मजबूत और जीवंत संबंधों की नींव रखने में मदद करेगी. प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा यूक्रेन द्वारा रूसी क्षेत्र में ताजा सैन्य हमले के बीच हो रही है. साथ ही, उनकी यात्रा रूस की उनकी यात्रा के कुछ सप्ताह बाद हो रही है, जिसकी अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने आलोचना की थी. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा की पृष्ठभूमि में यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की द्वारा किए गए ट्वीट पर भी चर्चा होगी.

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा कि भारत के रूस और यूक्रेन के साथ ठोस और स्वतंत्र संबंध हैं तथा ये साझेदारियां मजबूत हैं. इस वर्ष, भारत और पोलैंड अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो मूल रूप से 1954 में स्थापित हुए थे. यह वर्षगांठ उनके द्विपक्षीय संबंधों की वृद्धि और गहराई को प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान करती है, जो व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग को शामिल करने के लिए विस्तारित हुई है. समारोह और कार्यक्रमों से इन संबंधों को बढ़ाने और सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और पोलैंड के बीच राजनयिक संबंध 1954 में स्थापित हुए, जिसके परिणामस्वरूप 1957 में वारसॉ में भारतीय दूतावास और 1954 में नई दिल्ली में पोलिश दूतावास खोला गया.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, 1942 और 1948 के बीच, 6,000 से अधिक पोलिश महिलाओं और बच्चों को भारत की दो रियासतों, जामनगर और कोल्हापुर में शरण मिली. नवानगर के जाम साहब महामहिम दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा ने अपने राज्य में एक हजार से अधिक पोलिश बच्चों को आश्रय दिया. कई अन्य को कोल्हापुर में एक विशाल शिविर में शरण मिली. पोलिश राज्य और भारत में अपना बचपन बिताने वाले लोगों ने इस संबंध को याद किया है. इसे भारत और पोलैंड के बीच एक मार्मिक संबंध के रूप में याद किया जाता है. भारत और पोलैंड के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जो उच्च स्तरीय राजनीतिक संपर्कों और जीवंत आर्थिक जुड़ाव की विशेषता रखते हैं. साथ ही यह द्विपक्षीय संबंध व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी हैं. पोलैंड मध्य यूरोप में भारत का प्रमुख आर्थिक साझेदार है. वहीं लोकतंत्र और बहुलवाद के आदर्शों के प्रति उनकी साझा और स्थायी प्रतिबद्धता उनके मैत्रीपूर्ण संबंधों से और भी मजबूत होती है.

जानिए कब-कब दोनों देशों के नेताओं ने किया दौरा

भारत की ओर से पोलैंड की उच्च स्तरीय यात्राओं में शामिल हैं: राष्ट्रपति वी.वी. गिरि (1970), जैल सिंह (1986), एस.डी. शर्मा (1996) और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (1955), इंदिरा गांधी (1967) और मोरारजी देसाई (1979)। उपराष्ट्रपति, हामिद अंसारी (2017) ने पोलैंड का दौरा किया. पोलैंड की तरफ से राष्ट्रपति लेक वाल्सा (1994 और 1998), अलेक्जेंडर क्वास्नीवस्की (1998), प्रधान मंत्री साइरान्कीवेइक्ज़ (1957) और जारोस्ज़ेविक्ज़ (1973), और पोलिश पीएम लेस्ज़ेक मिलर (2003) ने भारत का दौरा किया.

भारत से प्रधानमंत्री (मोरारजी देसाई) का अंतिम दौरा 45 साल पहले जून 1979 में हुआ था.वहीं भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अप्रैल 2009 में पोलैंड का दौरा किया, जिसके जवाब में पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने सितंबर 2010 में भारत का दौरा किया था. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 32 वर्षों के अंतराल के बाद 28-29 अगस्त 2019 को पोलैंड का दौरा किया. इससे पहले विदेश मंत्री की पोलैंड की अंतिम यात्रा 1987 में हुई थी.

ये भी पढ़ें - भू-राजनीतिक बदलावों के बीच पीएम मोदी करेंगे पोलैंड की यात्रा, जानें क्या है इसका महत्व

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी आज 21 से 23 अगस्त तक दो दिन की पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा पर रवाना हो गए. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा एक ऐतिहासिक यात्रा होगी. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी पहले 21-22 अगस्त को पोलैंड और फिर 23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 45 साल के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा होगी. यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रूस-यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रही है. इसके अलावा यह ऐसे समय में हो रही है जब विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है.बता दें कि इससे पहले 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने वारसॉ का दौरा किया था.

यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पोलैंड की मेरी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ है. पोलैंड मध्य यूरोप में एक प्रमुख आर्थिक साझेदार है.' उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र और बहुलवाद के प्रति हमारी पारस्परिक प्रतिबद्धता हमारे संबंधों को और मजबूत बनाती है. मैं अपने मित्र प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और राष्ट्रपति सेबेस्टियन डूडा से मिलकर अपनी साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं. मैं पोलैंड में रहने वाले जीवंत भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मिलूंगा.' उन्होंने कहा, 'पोलैंड से मैं राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन जा रहा हूं. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा है. मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और चल रहे यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर दृष्टिकोण साझा करने के लिए पहले की बातचीत को आगे बढ़ाने के अवसर की प्रतीक्षा कर रहा हूं. एक मित्र और साझेदार के रूप में, हम इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की शीघ्र वापसी की आशा करते हैं.'

उन्होंने आगे विश्वास व्यक्त किया कि यह यात्रा दोनों देशों के साथ व्यापक संपर्कों की स्वाभाविक निरंतरता के रूप में काम करेगी और आने वाले वर्षों में अधिक मजबूत और जीवंत संबंधों की नींव रखने में मदद करेगी. प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा यूक्रेन द्वारा रूसी क्षेत्र में ताजा सैन्य हमले के बीच हो रही है. साथ ही, उनकी यात्रा रूस की उनकी यात्रा के कुछ सप्ताह बाद हो रही है, जिसकी अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने आलोचना की थी. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा की पृष्ठभूमि में यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की द्वारा किए गए ट्वीट पर भी चर्चा होगी.

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा कि भारत के रूस और यूक्रेन के साथ ठोस और स्वतंत्र संबंध हैं तथा ये साझेदारियां मजबूत हैं. इस वर्ष, भारत और पोलैंड अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो मूल रूप से 1954 में स्थापित हुए थे. यह वर्षगांठ उनके द्विपक्षीय संबंधों की वृद्धि और गहराई को प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान करती है, जो व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग को शामिल करने के लिए विस्तारित हुई है. समारोह और कार्यक्रमों से इन संबंधों को बढ़ाने और सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और पोलैंड के बीच राजनयिक संबंध 1954 में स्थापित हुए, जिसके परिणामस्वरूप 1957 में वारसॉ में भारतीय दूतावास और 1954 में नई दिल्ली में पोलिश दूतावास खोला गया.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, 1942 और 1948 के बीच, 6,000 से अधिक पोलिश महिलाओं और बच्चों को भारत की दो रियासतों, जामनगर और कोल्हापुर में शरण मिली. नवानगर के जाम साहब महामहिम दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा ने अपने राज्य में एक हजार से अधिक पोलिश बच्चों को आश्रय दिया. कई अन्य को कोल्हापुर में एक विशाल शिविर में शरण मिली. पोलिश राज्य और भारत में अपना बचपन बिताने वाले लोगों ने इस संबंध को याद किया है. इसे भारत और पोलैंड के बीच एक मार्मिक संबंध के रूप में याद किया जाता है. भारत और पोलैंड के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जो उच्च स्तरीय राजनीतिक संपर्कों और जीवंत आर्थिक जुड़ाव की विशेषता रखते हैं. साथ ही यह द्विपक्षीय संबंध व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी हैं. पोलैंड मध्य यूरोप में भारत का प्रमुख आर्थिक साझेदार है. वहीं लोकतंत्र और बहुलवाद के आदर्शों के प्रति उनकी साझा और स्थायी प्रतिबद्धता उनके मैत्रीपूर्ण संबंधों से और भी मजबूत होती है.

जानिए कब-कब दोनों देशों के नेताओं ने किया दौरा

भारत की ओर से पोलैंड की उच्च स्तरीय यात्राओं में शामिल हैं: राष्ट्रपति वी.वी. गिरि (1970), जैल सिंह (1986), एस.डी. शर्मा (1996) और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (1955), इंदिरा गांधी (1967) और मोरारजी देसाई (1979)। उपराष्ट्रपति, हामिद अंसारी (2017) ने पोलैंड का दौरा किया. पोलैंड की तरफ से राष्ट्रपति लेक वाल्सा (1994 और 1998), अलेक्जेंडर क्वास्नीवस्की (1998), प्रधान मंत्री साइरान्कीवेइक्ज़ (1957) और जारोस्ज़ेविक्ज़ (1973), और पोलिश पीएम लेस्ज़ेक मिलर (2003) ने भारत का दौरा किया.

भारत से प्रधानमंत्री (मोरारजी देसाई) का अंतिम दौरा 45 साल पहले जून 1979 में हुआ था.वहीं भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अप्रैल 2009 में पोलैंड का दौरा किया, जिसके जवाब में पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने सितंबर 2010 में भारत का दौरा किया था. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 32 वर्षों के अंतराल के बाद 28-29 अगस्त 2019 को पोलैंड का दौरा किया. इससे पहले विदेश मंत्री की पोलैंड की अंतिम यात्रा 1987 में हुई थी.

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