नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को इटली के लिए रवाना हुए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली की अध्यक्षता में 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आपुलिया की यात्रा पर रवाना हुए. तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पीएम मोदी की यह पहली विदेश यात्रा है. इस दौरान पीएम मोदी को बहुपक्षीय और द्विपक्षीय रूप से जी-7 के सदस्यों और अन्य आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ जुड़ने का अवसर मिलेगा.
इटली की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शिखर सम्मेलन का फोकस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर होगा. उन्होंने कहा कि आउटरीच सेशन में ग्लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर 14 जून को जी-7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली की यात्रा कर रहे हैं. उन्हें खुशी है कि वह अपने तीसरे कार्यकाल में पहली विदेश यात्रा पर जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए इटली जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आउटरीच सेशन में चर्चा के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन और आगामी जी-7 शिखर सम्मेलन के परिणामों के बीच अधिक तालमेल लाने और ग्लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का अवसर होगा.
यात्रा के दौरान पीएम मोदी इटली के प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल प्रधानमंत्री मेलोनी की भारत की दो यात्राएं दोनों देशों के द्विपक्षीय एजेंडे में गति और मजबूती लाने में सहायक रहीं. हम भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और हिंद-प्रशांत और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इटली की अध्यक्षता में जी7 के 50वें शिखर सम्मेलन का आयोजन आपुलिया शहर में किया जा रहा है. हालांकि, भारत जी-7 समूह में शामिल नहीं है, लेकिन इटली की तरफ से पीएम मोदी को शिखर सम्मेलन के आउटरीच सेशन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. 13 से 15 जून तक होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में इस बार यूक्रेन युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाया रहने की उम्मीद है.
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