ETV Bharat / bharat

काजीरंगा का पिक्लु डेका म्यूजियम, जहां मौजूद हैं कई वैश्विक धरोहर - Kaziranga Museum

Piklu Deka Kaziranga: काजीरंगा आने वाले घरेलू और विदेशी पर्यटकों को एक म्यूजियम आकर्षित कर रहा है. इस म्यूजियम को पिकलू डेका नाम के शख्स ने बनाया है, जो पेशे से इंजीनियर हैं.

काजीरंगा का पिक्लु डेका म्यूजियम
काजीरंगा का पिक्लु डेका म्यूजियम (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 3, 2024, 5:55 PM IST

गोवाहाटी: काजीरंगा नेशनल पार्क एक सींग वाले गैंडे, बाघ, विभिन्न जानवरों, पक्षियों और सरीसृपों का घर है, जहां हजारों लोग घूमने आते हैं. हालांकि, अब काजीरंगा आने वाले घरेलू और विदेशी पर्यटकों को एक म्यूजियम भी आकर्षित कर रहा है.

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस म्यूजियम को बिना किसी सरकारी सहयाता के बनाया गया है. काजीरंगा में एक विश्व स्तरीय संग्रहालय बनाने के लिए एक शख्स ने दिन-रात काम किया है. इस म्यूजियम में सैकड़ों साल पुरानी कारों, मोटर साइकिलों और द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल की गई वस्तुओं का कलेक्शन है.

पिकलू डेका ने किया म्यूजियम का निर्माण
इस म्यूजियम को बनाने वाले शख्स का नाम पिकलू डेका है, जो पेशे से इंजीनियर है. वह अपनी सारी जमा पूंजी खर्च करके समाज के सामने मिसाल पेश करना चाहतें हैं. हम सभी जानते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला था. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में कौन-कौन से डिवाइस, मोटर साइकिल, कार का इस्तेमाल किया गया था.

इस म्यूजियम में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गई मॉडल बाइक, पैराट्रूपर साइकिल, ट्रक और अन्य सामान रखे हुए हैं. बिजली विभाग के कर्मचारी (इंजीनियर) पिकलू डेका पिछले 30 सालों से इन चीजों को इकट्ठा कर रहे हैं.

काजीरंगा का पिक्लु डेका म्यूजियम (Museum in Kaziranga)

डेका के अनुसार जब वह डिब्रूगढ़ में स्कूल में पढ़ रहे थे, तब उन्होंने अपने पड़ोसी बसंत घोष के घर में रेनॉल्ट फोर सीबी मॉडल देखा और इसे खरीदने में रुचि पैदा हुई, लेकिन जब वह बड़े हुए और अपना करियर शुरू किया, तो उन्हें अपने बचपन के सपनों की कार नहीं मिल पाई. क्योंकि तब तक कार का वह मॉडल बंद हो गया.

डाक टिकट कलेक्ट करने का शौक
इसके बाद 90 के दशक के आसपास उन्होंने एक व्यक्ति के घर में एक कार पड़ी देखी और इसे 3500 रुपये में खरीद लिया और घर ले आए. बचपन से ही डाक टिकट कलेक्ट करने का शौक रखने वाले पिकलू डेका ने पुरानी कारों, बाइक आदि का एक संग्रहालय बनाने का सपना देखना शुरू कर दिया. समानांतर रूप से, उन्होंने एक के बाद एक पुरानी कार, बाइक, साइकिल और अन्य सामान एकत्र किए. इस दौरान कई लोगों ने उन्हें विभिन्न प्रकार की पुरानी कारें, बाइक आदि दान दीं.

जानकारी के मुताबिक म्यूजियम में विभिन्न मॉडलों की लगभग 60 पुरानी कारें, 70 बाइक, 30/35 साइकिलें, 1839 का एक भव्य पियानो, 100 साल पुरानी कुल्हाड़ी, मोटरसाइकिल के शुरुआती दिनों की एल्बियन बाइक, रेफ्रिजरेटर, हैंडपंप और रेडियो हैं. म्यूजियम का निर्माण काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के गेलेकी में पिक्लू डेका की पत्नी और बेटी काव्या डेका ने करवाया था. म्यूजियम कार्बी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है.

यह भी पढ़ें- 'मांस खाते थे सावरकर, गोहत्या का नहीं किया विरोध', दिनेश गुंडू राव के बयान पर विवाद

गोवाहाटी: काजीरंगा नेशनल पार्क एक सींग वाले गैंडे, बाघ, विभिन्न जानवरों, पक्षियों और सरीसृपों का घर है, जहां हजारों लोग घूमने आते हैं. हालांकि, अब काजीरंगा आने वाले घरेलू और विदेशी पर्यटकों को एक म्यूजियम भी आकर्षित कर रहा है.

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस म्यूजियम को बिना किसी सरकारी सहयाता के बनाया गया है. काजीरंगा में एक विश्व स्तरीय संग्रहालय बनाने के लिए एक शख्स ने दिन-रात काम किया है. इस म्यूजियम में सैकड़ों साल पुरानी कारों, मोटर साइकिलों और द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल की गई वस्तुओं का कलेक्शन है.

पिकलू डेका ने किया म्यूजियम का निर्माण
इस म्यूजियम को बनाने वाले शख्स का नाम पिकलू डेका है, जो पेशे से इंजीनियर है. वह अपनी सारी जमा पूंजी खर्च करके समाज के सामने मिसाल पेश करना चाहतें हैं. हम सभी जानते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला था. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में कौन-कौन से डिवाइस, मोटर साइकिल, कार का इस्तेमाल किया गया था.

इस म्यूजियम में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गई मॉडल बाइक, पैराट्रूपर साइकिल, ट्रक और अन्य सामान रखे हुए हैं. बिजली विभाग के कर्मचारी (इंजीनियर) पिकलू डेका पिछले 30 सालों से इन चीजों को इकट्ठा कर रहे हैं.

काजीरंगा का पिक्लु डेका म्यूजियम (Museum in Kaziranga)

डेका के अनुसार जब वह डिब्रूगढ़ में स्कूल में पढ़ रहे थे, तब उन्होंने अपने पड़ोसी बसंत घोष के घर में रेनॉल्ट फोर सीबी मॉडल देखा और इसे खरीदने में रुचि पैदा हुई, लेकिन जब वह बड़े हुए और अपना करियर शुरू किया, तो उन्हें अपने बचपन के सपनों की कार नहीं मिल पाई. क्योंकि तब तक कार का वह मॉडल बंद हो गया.

डाक टिकट कलेक्ट करने का शौक
इसके बाद 90 के दशक के आसपास उन्होंने एक व्यक्ति के घर में एक कार पड़ी देखी और इसे 3500 रुपये में खरीद लिया और घर ले आए. बचपन से ही डाक टिकट कलेक्ट करने का शौक रखने वाले पिकलू डेका ने पुरानी कारों, बाइक आदि का एक संग्रहालय बनाने का सपना देखना शुरू कर दिया. समानांतर रूप से, उन्होंने एक के बाद एक पुरानी कार, बाइक, साइकिल और अन्य सामान एकत्र किए. इस दौरान कई लोगों ने उन्हें विभिन्न प्रकार की पुरानी कारें, बाइक आदि दान दीं.

जानकारी के मुताबिक म्यूजियम में विभिन्न मॉडलों की लगभग 60 पुरानी कारें, 70 बाइक, 30/35 साइकिलें, 1839 का एक भव्य पियानो, 100 साल पुरानी कुल्हाड़ी, मोटरसाइकिल के शुरुआती दिनों की एल्बियन बाइक, रेफ्रिजरेटर, हैंडपंप और रेडियो हैं. म्यूजियम का निर्माण काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के गेलेकी में पिक्लू डेका की पत्नी और बेटी काव्या डेका ने करवाया था. म्यूजियम कार्बी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है.

यह भी पढ़ें- 'मांस खाते थे सावरकर, गोहत्या का नहीं किया विरोध', दिनेश गुंडू राव के बयान पर विवाद

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.