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नजर हटी, जेब कटी! पेट्रोल पंप पर जीरो ही नहीं, इस चीज का भी रखें ख्याल - Petrol

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 26, 2024, 2:16 PM IST

Petrol Pump Scam: हम पेट्रोल पंप पर जब भी ईंधन भरवाने जाते हैं तो हमारी नजर हमेशा पेट्रोल मशीन के जीरो पर रहता है और हमें लगता है हमें पूरा ईंधन मिला है, जबकि ऐसा नहीं है.

पेट्रोल पंप ईंधन भरवाते समय रखें इन बातों का ख्याल
पेट्रोल पंप ईंधन भरवाते समय रखें इन बातों का ख्याल (IANS)

नई दिल्ली: अगर आपको पास कार या बाइक हो, तो फिर पेट्रोल या डीजल खरीदने के लिए आपका आना-जाना पेट्रोल पंप पर लगा ही रहता होगा. जब आप गाड़ी में पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए जाते हैं तो पेट्रोल पंप का कर्मचारी आपको मशीन में जीरो देखने को कहता है. उसके कहने पर आप तुरंत जीरो देखने लगते हैं और पेट्रोल भरवा लेते हैं.

साथ ही जीरो देखकर संतुष्ट भी हो जाते हैं. आपको लगता है कि आपने गाड़ी की टंकी में पूरे पैसा का पेट्रोल-डीजल भरवा लिया है. हालांकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. दरअसल, खेल जीरो वाले मीटर में नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह से खेला जाता है, जहां न तो आपकी नजर होती और न आपको उसका ख्याल होता है और आपकी जेल आराम से कट जाती है.

ईंधन की प्योरिटी से जुड़ा है खेल
बता दें कि पेट्रोल पंप की मशीनों में अलग-अलग सेक्शंस में आपको कितने रुपये का पेट्रोल भरा गया और कितनी मात्रा में पेट्रोल भरा गया. इस तरह का डेटा दिखाया जाता है. ऐसे में आपकी नजर सिर्फ इस पर रहती है कि आपने कितने का पेट्रोल खरीदा और आप मशीन में मौजूद उसकी स्क्रीन को देख भी नहीं पाते हैं, जहां ईंधन की डेंसिटी होती है. दरअसल, यह खेल पैसों से ज्यादा ईंधन की प्योरिटी से जुड़ा होता है.

अगर आप पेट्रोल पंप पर फ्यूल के खेल पर गौर करें तो आपको पता चलेगा कि इस गोरखधंधे में गड़बड़ी वहां होती है, जहां पर ग्राहक की नजर तो छोड़िए , उसको इसका ख्याल तक नहीं आता. आपने अक्सर देखा होगा कि जब आप पेट्रोल पंप पर जाते हैं तो वहां मौजूद कर्मी आपसे कभी भी डेंसिटी देखने के लिए नहीं कहेगा, क्योंकि डेंसिटी से ईंधन की मिलावट का पता चलता है.

ऐसे में अगर आप जब भी पेट्रोल पंप पर ईंधन भरवाने जाएं तो मीटर पर नजर रखने के साथ-साथ ईंधन की डेंसिटी पर भी नजर रखें. इससे आप अपनी जेब कटने से बचा सकते हैं. क्योंकि पेट्रोल-डीजल में मिलावट का पता इसी मीटर से लगाया जा सकता है.

ईंधन की प्योरिटी को दर्शाती है डेंसिटी
डेंसिटी के जरिए चेक किया जा सकता है कि आपकी कार या बाइक में डाला जा रहा पेट्रोल या डीजल कितना शुद्ध है यानी इसमें किसी भी तरह की कोई मिलावट है या नहीं. ऐसे में अगर आप ईंधन की डेंसिटी का ख्याल रखेंगे तो न सिर्फ आपके पैसे बर्बाद होने से बचेंगे बल्कि आप मिलावटी ईंधन अपनी गाड़ी के इंजन को होने वाले नुकसान से भी बचा सकते हैं. डेंसिटी के आंकड़े को सरकार द्वारा तय किए जाते हैं.

कितनी होनी चाहिए डेंसिटी?
बता दें कि पेट्रोल की डेंसिटी 730 से 775 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तय की गई है. वहीं, डीजल की डेंसिटी 820 से 860 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए. अगर आपको द्वारा खरीदे गए ईंधन की डेंसिटी इस रेंज में है तो इसका मतलब है कि ये हाई क्वालिटी का ईंधन है.

ग्राहक के साथ कैसे होता है फ्रॉड?
दरअसल, पेट्रोल पंप पर सरकार द्वारा तय किए स्टैंडर्ड से छेड़छाड़ करके फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है. डेंसिटी घनत्व को प्रदर्शित करता है. किसी पदार्थ के गाढ़ेपन को आप उसकी डेंसिटी कह सकते हैं. अगर पेट्रोल या डीजल में थोड़ी सा भी डेंसिटी ऊपर नीचे होती है तो इसका मतलब होता है कि उसमें मिलावट की गई है.

यह भी पढ़ें- ट्रेन की लोअर बर्थ कैसे करें बुक? इन लोगों को कंफर्म मिलेगी सीट, कुछ को करनी होगी TTE से बात

नई दिल्ली: अगर आपको पास कार या बाइक हो, तो फिर पेट्रोल या डीजल खरीदने के लिए आपका आना-जाना पेट्रोल पंप पर लगा ही रहता होगा. जब आप गाड़ी में पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए जाते हैं तो पेट्रोल पंप का कर्मचारी आपको मशीन में जीरो देखने को कहता है. उसके कहने पर आप तुरंत जीरो देखने लगते हैं और पेट्रोल भरवा लेते हैं.

साथ ही जीरो देखकर संतुष्ट भी हो जाते हैं. आपको लगता है कि आपने गाड़ी की टंकी में पूरे पैसा का पेट्रोल-डीजल भरवा लिया है. हालांकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. दरअसल, खेल जीरो वाले मीटर में नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह से खेला जाता है, जहां न तो आपकी नजर होती और न आपको उसका ख्याल होता है और आपकी जेल आराम से कट जाती है.

ईंधन की प्योरिटी से जुड़ा है खेल
बता दें कि पेट्रोल पंप की मशीनों में अलग-अलग सेक्शंस में आपको कितने रुपये का पेट्रोल भरा गया और कितनी मात्रा में पेट्रोल भरा गया. इस तरह का डेटा दिखाया जाता है. ऐसे में आपकी नजर सिर्फ इस पर रहती है कि आपने कितने का पेट्रोल खरीदा और आप मशीन में मौजूद उसकी स्क्रीन को देख भी नहीं पाते हैं, जहां ईंधन की डेंसिटी होती है. दरअसल, यह खेल पैसों से ज्यादा ईंधन की प्योरिटी से जुड़ा होता है.

अगर आप पेट्रोल पंप पर फ्यूल के खेल पर गौर करें तो आपको पता चलेगा कि इस गोरखधंधे में गड़बड़ी वहां होती है, जहां पर ग्राहक की नजर तो छोड़िए , उसको इसका ख्याल तक नहीं आता. आपने अक्सर देखा होगा कि जब आप पेट्रोल पंप पर जाते हैं तो वहां मौजूद कर्मी आपसे कभी भी डेंसिटी देखने के लिए नहीं कहेगा, क्योंकि डेंसिटी से ईंधन की मिलावट का पता चलता है.

ऐसे में अगर आप जब भी पेट्रोल पंप पर ईंधन भरवाने जाएं तो मीटर पर नजर रखने के साथ-साथ ईंधन की डेंसिटी पर भी नजर रखें. इससे आप अपनी जेब कटने से बचा सकते हैं. क्योंकि पेट्रोल-डीजल में मिलावट का पता इसी मीटर से लगाया जा सकता है.

ईंधन की प्योरिटी को दर्शाती है डेंसिटी
डेंसिटी के जरिए चेक किया जा सकता है कि आपकी कार या बाइक में डाला जा रहा पेट्रोल या डीजल कितना शुद्ध है यानी इसमें किसी भी तरह की कोई मिलावट है या नहीं. ऐसे में अगर आप ईंधन की डेंसिटी का ख्याल रखेंगे तो न सिर्फ आपके पैसे बर्बाद होने से बचेंगे बल्कि आप मिलावटी ईंधन अपनी गाड़ी के इंजन को होने वाले नुकसान से भी बचा सकते हैं. डेंसिटी के आंकड़े को सरकार द्वारा तय किए जाते हैं.

कितनी होनी चाहिए डेंसिटी?
बता दें कि पेट्रोल की डेंसिटी 730 से 775 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तय की गई है. वहीं, डीजल की डेंसिटी 820 से 860 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए. अगर आपको द्वारा खरीदे गए ईंधन की डेंसिटी इस रेंज में है तो इसका मतलब है कि ये हाई क्वालिटी का ईंधन है.

ग्राहक के साथ कैसे होता है फ्रॉड?
दरअसल, पेट्रोल पंप पर सरकार द्वारा तय किए स्टैंडर्ड से छेड़छाड़ करके फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है. डेंसिटी घनत्व को प्रदर्शित करता है. किसी पदार्थ के गाढ़ेपन को आप उसकी डेंसिटी कह सकते हैं. अगर पेट्रोल या डीजल में थोड़ी सा भी डेंसिटी ऊपर नीचे होती है तो इसका मतलब होता है कि उसमें मिलावट की गई है.

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