ETV Bharat / bharat

इरशालवाड़ी भूस्खलन हादसा: गांव के लोगों का खत्म होगा इंतजार, प्रभावित लोगों को जल्द मिलेगा 'आशियाना' - Irshalwadi Landslide

Irshalwadi Landslide: पिछले साल 19 जुलाई को महाराष्ट्र के रायगड स्थित इरशालवाड़ी गांव में विनाशकारी भूस्खलन आया था. इसमें 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, जो लोग जिंदा बचे उन्हें सरकार ने वित्तीय सहायता और घर देने का ऐलान किया था. जल्द ही इन लोगों को घर मिलेंगे.

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 19, 2024, 6:17 AM IST

Irshalwadi
इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन (ETV Bharat)

मुंबई: महाराष्ट्र के रायगड स्थित 228 लोगों के एक गांव इरशालवाड़ी में पिछले साल 19 जुलाई को हुए विनाशकारी भूस्खलन आया था, जिसमें गावं के 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के बाद गांव में से 23 बच्चों सहित 144 लोग ही बचे. मारे गए लोगों में से 57 के शव अभी भी पहाड़ी पर में दबे हुए हैं, जो इस त्रासदी की हर रोज याद दिलाते हैं.

इरशालवाड़ी समुद्र तल से लगभग 3,700 फीट (लगभग 1,128 मीटर) की ऊंचाई पर, महाराष्ट्र के रायगड जिले में प्रसिद्ध इरशालगढ़ किले के पास सह्याद्री वन रेंज (पश्चिमी घाट) के अंदर एक सुरम्य गांव था. 48 घरों में रहने वाले 228 निवासियों को तलहटी से गांव तक पहुंचने के लिए एक घंटे पैदल चलना पड़ता था.

बीते साल19 जुलाई की रात आए विनाशकारी भूस्खलन से इरशालवाड़ी का नामोनिशान मिट गया और उसकी जगह पर मिट्टी का एक बड़ा टीला खड़ा हो गया, जो कभी बंजर पहाड़ी का निर्माण करता था.

भूस्खलन के बाद बचाव अभियान
भूस्खलन के दूसरे दिन यानी 20 जुलाई 2023 को यहां बचाव कार्य शुरू हुआ, जो 23 जुलाई तक चला. इसके बाद इसे रोक दिया गया. दरअसल, दुर्घटना के बाद, दुर्गम भौगोलिक स्थिति, अंधेरा और फिसलन भरी सड़कें बचाव कार्यों में बहुत बाधा उत्पन्न कर रही थीं.

बचाव के लिए नहीं ले जाए सकी थी मशीनें
बता दें कि रायगड के खालापुर तहसील में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित इरशालवाड़ी तक कोई पक्की सड़क नहीं है और यहा मोटर साइकिल भी नहीं जा सकती. यहां से सड़क से कम से कम एक घंटे की दूरी पर है. इसलिए, बचाव दल ऑपरेशन के लिए अर्थ-मूवर या अन्य मशीनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे, इसके चलते उन्हें मैन्युअल रूप से मलबा खोदना पड़ा. इस बीच, कलेक्टर के आदेश से इरशालवाड़ी दुर्घटना में प्रभावित व्यक्तियों की संख्या को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति गठित की गई.

57 लापता व्यक्तियों को मृत घोषित किया गया
इरशालवाड़ी में आदिवासी वाड़ी में हुए हादसे में मलबे में दबे 57 लोगों के लापता होने की आशंका थी, लेकिन वे नहीं मिले, इसलिए उन्हें लापता घोषित कर दिया गया. साथ ही रायगड कलेक्ट्रेट की ओर से उन्हें मृत घोषित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था.

किस्मत से कई लोग बच गए
228 लोगों की आबादी वाले इरशालवाड़ी गांव के कई निवासी घटना के समय दूसरे गांवों या अपने बागानों में थे और इसलिए वे आपदा से बच गए. इरशालवाड़ी त्रासदी के बाद, रायगढड जिले के 103 भूस्खलन संभावित गांवों से 2,040 परिवारों के लगभग 7,000 लोगों को 51 शिविरों में स्थानांतरित किया गया.

यह पहला मौका नहीं था जब यहां इस तरह का भूस्खलन देखने को मिला. 1980 के दशक से ही महाराष्ट्र के रायगड और कोंकण में मानसून के मौसम में भूस्खलन की बड़ी त्रासदिया. देखने को मिलती रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण ऐसी चरम घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं.

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा को बताया कि रायगड के खालापुर तालुका में इरशालवाड़ी गांव में लैडस्लाइड संभावित गांवों की सूची में नहीं है और यहां भूस्खलन का कोई इतिहास नहीं है.

सीएम शिंदे ने बच्चों को गोद लेने की घोषणा की
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के रायगड जिले के इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन में अपने माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों को गोद लेने की घोषणा की. सीएम ने घोषणा की कि 2 साल से 14 साल की उम्र के इन अनाथ बच्चों की देखभाल श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन द्वारा की जाएगी.

बचे लोगों के लिए स्थायी घर की घोषणा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 28 जुलाई 2023 को वादा किया कि इरशालवाड़ी भूस्खलन में बचे लोगों के पुनर्वास के लिए एक भूखंड की पहचान की गई है और राज्य योजना एजेंसी उनके लिए स्थायी घर बनाएगी. विधानसभा में बोलते हुए शिंदे ने कहा कि त्रासदी में बचे लोगों के लिए शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) घर बनाएगा.

वित्तीय सहायता
सीएम शिंदे ने कहा कि राज्य भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित प्रत्येक परिवार को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये देगा. उन्होंने कहा कि छोटी दुकानें चलाने वालों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे, जबकि “टपरी” (सड़क किनारे की दुकानें) को 10,000 रुपये दिए जाएंगे.

पीड़ितों को जुलाई 2024 तक मिलेंगे घर
इरशालवाड़ी भूस्खलन पीड़ितों के लिए घरों का इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है क्योंकि उनके घरों का निर्माण पूरा होने वाला है और इस महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. पिछले एक साल से त्रासदी से बचे लोग खालापुर के चौक गांव में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए अस्थायी कंटेनर घरों में रह रहे हैं. बाद में, मोरबे बांध के करीब नानीवाली गांव में 2.6 हेक्टेयर का भूखंड पुनर्वास परियोजना के लिए आवंटित किया गया था.

30 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को सिडको को सौंप दिया गया था. सरकार द्वारा प्रदान की गई चीजों में सुबह, दोपहर और शाम को 200 लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा सुविधाएं, बच्चों के लिए नर्सरी, खेल का मैदान, 24 घंटे गर्म और ठंडा पानी, शौचालय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि शामिल हैं. इन सभी पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

यह भी पढ़ें- मौत के मुंह में ले गया रील बनाने का शौक, वीडियो शूट करते हुए खाई में गिरी ट्रैवल इन्फ्लुएंसर

मुंबई: महाराष्ट्र के रायगड स्थित 228 लोगों के एक गांव इरशालवाड़ी में पिछले साल 19 जुलाई को हुए विनाशकारी भूस्खलन आया था, जिसमें गावं के 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के बाद गांव में से 23 बच्चों सहित 144 लोग ही बचे. मारे गए लोगों में से 57 के शव अभी भी पहाड़ी पर में दबे हुए हैं, जो इस त्रासदी की हर रोज याद दिलाते हैं.

इरशालवाड़ी समुद्र तल से लगभग 3,700 फीट (लगभग 1,128 मीटर) की ऊंचाई पर, महाराष्ट्र के रायगड जिले में प्रसिद्ध इरशालगढ़ किले के पास सह्याद्री वन रेंज (पश्चिमी घाट) के अंदर एक सुरम्य गांव था. 48 घरों में रहने वाले 228 निवासियों को तलहटी से गांव तक पहुंचने के लिए एक घंटे पैदल चलना पड़ता था.

बीते साल19 जुलाई की रात आए विनाशकारी भूस्खलन से इरशालवाड़ी का नामोनिशान मिट गया और उसकी जगह पर मिट्टी का एक बड़ा टीला खड़ा हो गया, जो कभी बंजर पहाड़ी का निर्माण करता था.

भूस्खलन के बाद बचाव अभियान
भूस्खलन के दूसरे दिन यानी 20 जुलाई 2023 को यहां बचाव कार्य शुरू हुआ, जो 23 जुलाई तक चला. इसके बाद इसे रोक दिया गया. दरअसल, दुर्घटना के बाद, दुर्गम भौगोलिक स्थिति, अंधेरा और फिसलन भरी सड़कें बचाव कार्यों में बहुत बाधा उत्पन्न कर रही थीं.

बचाव के लिए नहीं ले जाए सकी थी मशीनें
बता दें कि रायगड के खालापुर तहसील में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित इरशालवाड़ी तक कोई पक्की सड़क नहीं है और यहा मोटर साइकिल भी नहीं जा सकती. यहां से सड़क से कम से कम एक घंटे की दूरी पर है. इसलिए, बचाव दल ऑपरेशन के लिए अर्थ-मूवर या अन्य मशीनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे, इसके चलते उन्हें मैन्युअल रूप से मलबा खोदना पड़ा. इस बीच, कलेक्टर के आदेश से इरशालवाड़ी दुर्घटना में प्रभावित व्यक्तियों की संख्या को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति गठित की गई.

57 लापता व्यक्तियों को मृत घोषित किया गया
इरशालवाड़ी में आदिवासी वाड़ी में हुए हादसे में मलबे में दबे 57 लोगों के लापता होने की आशंका थी, लेकिन वे नहीं मिले, इसलिए उन्हें लापता घोषित कर दिया गया. साथ ही रायगड कलेक्ट्रेट की ओर से उन्हें मृत घोषित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था.

किस्मत से कई लोग बच गए
228 लोगों की आबादी वाले इरशालवाड़ी गांव के कई निवासी घटना के समय दूसरे गांवों या अपने बागानों में थे और इसलिए वे आपदा से बच गए. इरशालवाड़ी त्रासदी के बाद, रायगढड जिले के 103 भूस्खलन संभावित गांवों से 2,040 परिवारों के लगभग 7,000 लोगों को 51 शिविरों में स्थानांतरित किया गया.

यह पहला मौका नहीं था जब यहां इस तरह का भूस्खलन देखने को मिला. 1980 के दशक से ही महाराष्ट्र के रायगड और कोंकण में मानसून के मौसम में भूस्खलन की बड़ी त्रासदिया. देखने को मिलती रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण ऐसी चरम घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं.

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा को बताया कि रायगड के खालापुर तालुका में इरशालवाड़ी गांव में लैडस्लाइड संभावित गांवों की सूची में नहीं है और यहां भूस्खलन का कोई इतिहास नहीं है.

सीएम शिंदे ने बच्चों को गोद लेने की घोषणा की
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के रायगड जिले के इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन में अपने माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों को गोद लेने की घोषणा की. सीएम ने घोषणा की कि 2 साल से 14 साल की उम्र के इन अनाथ बच्चों की देखभाल श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन द्वारा की जाएगी.

बचे लोगों के लिए स्थायी घर की घोषणा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 28 जुलाई 2023 को वादा किया कि इरशालवाड़ी भूस्खलन में बचे लोगों के पुनर्वास के लिए एक भूखंड की पहचान की गई है और राज्य योजना एजेंसी उनके लिए स्थायी घर बनाएगी. विधानसभा में बोलते हुए शिंदे ने कहा कि त्रासदी में बचे लोगों के लिए शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) घर बनाएगा.

वित्तीय सहायता
सीएम शिंदे ने कहा कि राज्य भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित प्रत्येक परिवार को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये देगा. उन्होंने कहा कि छोटी दुकानें चलाने वालों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे, जबकि “टपरी” (सड़क किनारे की दुकानें) को 10,000 रुपये दिए जाएंगे.

पीड़ितों को जुलाई 2024 तक मिलेंगे घर
इरशालवाड़ी भूस्खलन पीड़ितों के लिए घरों का इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है क्योंकि उनके घरों का निर्माण पूरा होने वाला है और इस महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. पिछले एक साल से त्रासदी से बचे लोग खालापुर के चौक गांव में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए अस्थायी कंटेनर घरों में रह रहे हैं. बाद में, मोरबे बांध के करीब नानीवाली गांव में 2.6 हेक्टेयर का भूखंड पुनर्वास परियोजना के लिए आवंटित किया गया था.

30 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को सिडको को सौंप दिया गया था. सरकार द्वारा प्रदान की गई चीजों में सुबह, दोपहर और शाम को 200 लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा सुविधाएं, बच्चों के लिए नर्सरी, खेल का मैदान, 24 घंटे गर्म और ठंडा पानी, शौचालय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि शामिल हैं. इन सभी पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

यह भी पढ़ें- मौत के मुंह में ले गया रील बनाने का शौक, वीडियो शूट करते हुए खाई में गिरी ट्रैवल इन्फ्लुएंसर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.