श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में आगामी चुनावों से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना की. श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुफ्ती ने पुलवामा में धारा 144 लगाए जाने पर चिंता व्यक्त की और इसे अस्वीकार्य और नाजायज बताया.
उन्होंने पुलवामा और सुरनकोट में हाल के हमलों का हवाला देते हुए उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को स्थानीय पुलिस स्टेशनों द्वारा हिरासत में लिए जाने की खबरों पर दुख व्यक्त किया. महबूबा ने सवाल उठाया कि अगर सरकार कश्मीर में विवादास्पद इखवान शासन को बहाल करने की इच्छुक है तो चुनाव कराने की आवश्यकता क्या है.
बता दें कि इखवान के सदस्य आतंकवाद को छोकर भारतीय सेना में शामिल हो गए थे और आतंकियों को ठिकाने लगाते थे. 90 के दशक में इखवान संगठन का गठन हुआ था. महबूबा ने दावा किया, 'हम पीडीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ छद्म युद्ध देख रहे हैं. उन्हें निशाना बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का चयनात्मक तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है.'
उन्होंने आगे कहा, 'वे सूटेड-बूटेड इखवानी का समर्थन कर रहे हैं. वे वही दोहराना चाहते हैं जो 1987 में हुआ था.' चुनाव प्रक्रिया में विश्वास व्यक्त करने के बावजूद महबूबा ने चेतावनी दी कि इस तरह की रणनीति पर सरकार के कायम रहने से कश्मीरी लोगों का समर्थन खोने का खतरा है. इस बीच पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां और पुलवामा जिलों में कई पीडीपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है.