पानीपत : कहते हैं कि गुनाह कभी छुपता नहीं और पुलिस अगर ठान ले तो उसके शिकंजे से बचना आसान नहीं है. सोचिए जरा कि 29 साल लग गए लेकिन पुलिस ने मर्डर के आरोपियों को ढूंढना नहीं छोड़ा और आखिरकार पुलिस ने उन्हें धर दबोचा.
हत्या कर फरार हो गए थे : पूरे मामले की जानकारी देते हुए पानीपत के एसपी मयंक मिश्रा ने बताया कि साल 1995 में मतलौड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पानीपत रिफाइनरी में काम करने वाले शंभू यादव की उसी के साथियों जगत राय और बली राय ने धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी थी और उसके बाद वे मौके से फरार हो गए थे. एसपी ने बताया कि शंभू यादव के कहने पर ही दोनों आरोपी बिहार के चंपारण से यहां आए थे और रिफाइनरी में मजदूरी का काम करते थे.
मजदूरी के पैसे नहीं मिले, कर डाला मर्डर : आरोपियों ने बताया कि शंभू उनकी मजदूरी के पैसे नहीं दे रहा था और जब दोनों उससे पैसों की मांग करते थे तो उन्हें अपशब्द कहे जाते थे. ऐसे में एक दिन आवेश में आकर दोनों ने शंभू यादव का मर्डर कर डाला और मौके से फरार हो गए. दोनों को पकड़े जाने का डर था, इसलिए दोनों अपने घर बिहार ना जाकर अपनी लोकेशन लगातार चेंज करते रहे और अलग-अलग राज्यों में रहे. उन्होंने घर आकर कभी इस बात का जिक्र नहीं किया कि उनसे किसी का मर्डर हुआ है. इस बीच पुलिस ने वारदात की जांच शुरू कर दी थी और रिफाइनरी में ठेकेदार की शिकायत के बाद दोनों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया गया था.
29 साल बाद बिहार से पकड़े गए : आरोपियों की तलाश जारी थी लेकिन काफी तलाशने के बावजूद भी दोनों का कोई सुराग नहीं लगा था. ऐसे में पुलिस 29 साल के बाद भी आरोपियों की तलाश करती रही और इनपुट के आधार पर ठिकानों पर दबिश डालती रही. आखिरकार एक दिन पुलिस को सुराग मिला कि दोनों बिहार के चंपारण में है. ऐसे में पुलिस ने टीम बनाई और चंपारण भेजा. वहां पहुंचकर टीम ने दोनों को आखिरकार धर-दबोचा. पुलिस के शिकंजे में आने के बाद आरोपियों ने हत्या करने की बात कबूल कर ली है. हालांकि इतने सालों तक आरोपी कैसे पुलिस को छकाते रहे, ये भी एक बड़ा सवाल है. लेकिन पुलिस ने 29 साल बाद ही सही, उन्हें आखिरकार शिकंजे में ले लिया. दोनों को अब पानीपत की कोर्ट में पेश किया जाएगा.
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