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एनएसए डोभाल मॉस्को की यात्रा पर जाएंगे, रूस-यूक्रेन संघर्ष होगा मुख्य एजेंडा - NSA Ajit Doval Moscow Visit

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2024, 4:03 PM IST

NSA Ajit Doval Moscow Visit: पिछले महीने यूक्रेन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की. पीएम मोदी ने कहा कि हम हमेशा शांति के पक्ष में रहे हैं.

NSA Ajit Doval Moscow Visit Russia-Ukraine conflict on agenda
एनएसए अजीत डोभाल (File Photo - ANI)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस और यूक्रेन की हालिया यात्रा के बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल जल्द मॉस्को की यात्रा पर जाएंगे. हालांकि डोभाल के दौरे की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. लेकिन उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान निकालना है.

अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से बातचीत की. बीते दिनों पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी कीव की हालिया यात्रा के बारे में जानकारी दी और राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से शांतिपूर्ण समाधान की सुविधा के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.

सूत्रों के अनुसार, इस बातचीत के दौरान ही नेताओं ने सहमति जताई कि एनएसए डोभाल शांति वार्ता के लिए मॉस्को जाएंगे.

पिछले महीने यूक्रेन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की. पीएम मोदी ने कहा कि भारत कभी भी उदासीन नहीं रहा, हम हमेशा शांति के पक्ष में रहे हैं.

राष्ट्रपति पुतिन ने भी भारत के प्रयासों की सराहना की है, उन्होंने संघर्ष के संबंध में रूस के संपर्क में रहने वाले तीन देशों में भारत का भी जिक्र किया है.

भारत ने किसी का पक्ष लेने से परहेज किया...
भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष में तटस्थ रुख बनाए रखा है. नई दिल्ली ने संघर्ष की जगह संवाद और बातचीत पर जोर दिया है. साथ ही भारत ने शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है और संघर्ष में किसी का पक्ष लेने से परहेज किया है.

दोनों क्षेत्रों में भारत के आर्थिक हित...
गौरतलब है कि भारत के रूस और पश्चिमी देशों दोनों के साथ मजबूत संबंध हैं. रूस महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार और दीर्घकालिक सहयोगी है, जबकि भारत पश्चिमी देशों के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है. भारत के दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण आर्थिक हित हैं, जिनमें ऊर्जा आयात और व्यापार संबंध शामिल हैं. इसका उद्देश्य ऐसी कार्रवाइयों से बचना है जो इन हितों को खतरे में डाल सकती हैं.

भारत ने आम तौर पर संघर्ष में प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करने की बात कही. भारत की स्थिति रणनीतिक संतुलन बनाए रखने और शांति को बढ़ावा देने के अपने व्यापक विदेश नीति उद्देश्यों को दर्शाती है.

यह भी पढ़ें- जयशंकर भारत-खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए रियाद पहुंचे

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस और यूक्रेन की हालिया यात्रा के बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल जल्द मॉस्को की यात्रा पर जाएंगे. हालांकि डोभाल के दौरे की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. लेकिन उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान निकालना है.

अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से बातचीत की. बीते दिनों पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी कीव की हालिया यात्रा के बारे में जानकारी दी और राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से शांतिपूर्ण समाधान की सुविधा के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.

सूत्रों के अनुसार, इस बातचीत के दौरान ही नेताओं ने सहमति जताई कि एनएसए डोभाल शांति वार्ता के लिए मॉस्को जाएंगे.

पिछले महीने यूक्रेन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की. पीएम मोदी ने कहा कि भारत कभी भी उदासीन नहीं रहा, हम हमेशा शांति के पक्ष में रहे हैं.

राष्ट्रपति पुतिन ने भी भारत के प्रयासों की सराहना की है, उन्होंने संघर्ष के संबंध में रूस के संपर्क में रहने वाले तीन देशों में भारत का भी जिक्र किया है.

भारत ने किसी का पक्ष लेने से परहेज किया...
भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष में तटस्थ रुख बनाए रखा है. नई दिल्ली ने संघर्ष की जगह संवाद और बातचीत पर जोर दिया है. साथ ही भारत ने शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है और संघर्ष में किसी का पक्ष लेने से परहेज किया है.

दोनों क्षेत्रों में भारत के आर्थिक हित...
गौरतलब है कि भारत के रूस और पश्चिमी देशों दोनों के साथ मजबूत संबंध हैं. रूस महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार और दीर्घकालिक सहयोगी है, जबकि भारत पश्चिमी देशों के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है. भारत के दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण आर्थिक हित हैं, जिनमें ऊर्जा आयात और व्यापार संबंध शामिल हैं. इसका उद्देश्य ऐसी कार्रवाइयों से बचना है जो इन हितों को खतरे में डाल सकती हैं.

भारत ने आम तौर पर संघर्ष में प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करने की बात कही. भारत की स्थिति रणनीतिक संतुलन बनाए रखने और शांति को बढ़ावा देने के अपने व्यापक विदेश नीति उद्देश्यों को दर्शाती है.

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