गुवाहाटी: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने असम से आठ इस्लामी कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया है. इस विषय का जिक्र करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, इसमें सच्चाई है कि, असम में 'जिहादी कट्टरपंथियों' की वापसी हो रही है. उन्होंने कहा कि, कट्टरपंथियों की वजह से अगले दस साल के बाद राज्य स्वदेशी लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रहेगा.
मुख्यमंत्री सरमा ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि, जब भी एनआईए कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ छापेमारी करती है तो असम से कम से कम एक गिरफ्तारी होती है. उन्होंने आगे कहा, "ये घटनाक्रम न केवल यह संकेत देते हैं कि असम में इस्लामी कट्टरवाद बढ़ रहा है बल्कि यह भी साबित करता है कि असम में कहीं न कहीं एक चरम इस्लामी कट्टरवाद मानसिकता पैदा की जा रही है."
उन्होंने सोनापुर के कोसुटोली क्षेत्र में बेदखली अभियान के विरोध का भी उल्लेख किया और कहा कि ये घटनाक्रम चिंताजनक हैं और अगले 10 से 15 सालों के बाद यह असम में स्वदेशी लोगों के लिए अनिश्चितता का कारण बनेगा. प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर का नाम लेते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि, मंदर और उनके जैसे कुछ अन्य लोग पिछले तीन महीनों से असम का दौरा कर रहे हैं और वे उन जगहों पर लोगों को भड़का रहे हैं जहां बेदखली अभियान चलाए जाते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि, "मंदर जैसे लोग और उनके जैसी कुछ ताकतें जब भी जंगल की जमीन या आदिवासी बेल्ट से बेदखली अभियान होता है, असम का दौरा करते हैं और उन लोगों को रोकते हैं और संगठित करते हैं. उन्होंने कहा कि, उनके पास इस संबंध में सबूत हैं. हालांकि, वे (हर्ष मंदर) बड़े वकील हैं और वे कभी ऐसी गतिविधि नहीं करते हैं जहां उन्हें गिरफ्तार किया जा सके. उन्होंने कहा कि "हम उन (हर्ष मंदर) पर नजर रखेंगे और जब भी आवश्यक होगा हम कार्रवाई करेंगे."
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