मुंबई : नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर विपिन कुमार डागर को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर युवकों को दक्षिण कोरिया भेजने के आरोप में पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था. डागर वर्तमान में कोलाबा में तैनात हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कमांडर विपिन डागर पिछले सप्ताह नौसेना की वर्दी में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रवि कुमार के नाम के युवक को दक्षिण कोरिया का वीजा दिलाने के लिए मुंबई में वर्ली स्थित दक्षिण कोरियाई वाणिज्य दूतावास गए थे. विपिन डागर ने नौसेना अधिकारी के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दूतावास के कर्मचारियों पर वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने का दबाव बनाया.
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति को दक्षिण कोरिया भेजने की जरूरत होती और वीजा मिलने में देरी होती तो विपिन दूतावास में जाकर पूछताछ करते. पिछले हफ्ते भी उन्होंने वीजा मिलने में देरी के कारण वर्ली स्थित दक्षिण कोरियाई वाणिज्य दूतावास में हंगामा किया, जिससे उनकी पोल खुल गई. बीते शुक्रवार को मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने विपिन डागर को कोलाबा से गिरफ्तार कर लिया. क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त लखमी गौतम ने कहा कि इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और आगे की जांच जारी है.
पुलिस के मुताबिक, विपिन कुमार डागर ने जम्मू-कश्मीर के रहने वाले 9वीं पास युवक रवि कुमार को दंत चिकित्सक बताते हुए फर्जी दस्तावेज बनाए थे. रवि कुमार ने नासिक में अस्पताल होने की बात कहकर मुंबई स्थित वाणिज्य दूतावास कार्यालय में वीजा के लिए आवेदन किया था. लेकिन वाणिज्य दूतावास कार्यालय के अधिकारियों को संदेह हुआ कि रवि जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है तो उसका अस्पताल नासिक में क्यों है. दस्तावेजों पर संदेह होने के कारण रवि कुमार को वीजा मिलने में देरी हो रही थी.
विपिन डागर हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं और छह साल पहले नौसेना में शामिल हुए थे. वह पिछले एक साल से पश्चिमी नौसेना कमान में तैनात हैं. डागर के पिता वायुसेना में सेवारत थे. डागर का परिचय मानव तस्करी रैकेट में शामिल सब-लेफ्टिनेंट ब्रह्मज्योति शर्मा से हुआ. ब्रह्मज्योति शर्मा और एक अन्य आरोपी दीपक डोगरा जम्मू-कश्मीर के एक स्कूल में साथ-साथ पढ़ते थे.
दीपक डोगरा दक्षिण कोरिया में काम कर चुका था, इसलिए उसे वहां के ऑपरेशन और बाकी सभी चीजों की जानकारी थी. दीपक डोगरा कोविड महामारी के दौरान दक्षिण कोरिया से जम्मू-कश्मीर लौटा था, जिसके बाद वह जम्मू-कश्मीर के युवाओं को अकुशल काम के लिए दक्षिण कोरिया भेजता था. इस साजिश में उसने अपने स्कूल के दोस्त सब लेफ्टिनेंट ब्रह्मज्योति का इस्तेमाल किया. ब्रह्मज्योति ने लेफ्टिनेंट कमांडर विपिन कुमार को चेन्नई और मुंबई में दक्षिण कोरियाई वाणिज्य दूतावास कार्यालयों में जाकर फर्जी दस्तावेज बनाने और वीजा प्रक्रिया को तेज करने का काम सौंपा.
पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी विपिन डागर विशाखापट्टनम में काम करते हुए चेन्नई में दक्षिण कोरियाई वाणिज्य दूतावास कार्यालय भी गए थे और जाली दस्तावेजों के आधार पर मुंबई, चेन्नई और जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए वीजा हासिल किया. विशाखापट्टनम के बाद विपिन कुमार का तबादला मुंबई हो गया.
दक्षिण कोरियाई वाणिज्य दूतावास के भारत में दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में कार्यालय हैं. दिल्ली में वाणिज्य दूतावास कार्यालय को इस काले कारोबार की जानकारी थी. जांच में पता चला है कि पहले भी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से इसी तरह से युवाओं को दक्षिण कोरिया भेजा गया था.
पुलिस के मुताबिक, नौसेना के इन दो अधिकारियों ने अब तक कुल छह लोगों को दक्षिण कोरिया भेजा है, जो दिल्ली वाणिज्य दूतावास जाने के बजाय मुंबई और चेन्नई में दक्षिण कोरियाई वाणिज्य दूतावास के कार्यालयों में गए. वहीं, 10 से 12 लोगों के वीजा खारिज कर दिए गए. दो लोग जाली दस्तावेजों के आधार पर वीजा लेकर दक्षिण कोरिया हवाई अड्डे पर पहुंचे; लेकिन उन्हें हवाई अड्डे से वापस भारत भेज दिया गया.
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