नरसिंहपुर: दीपावली के ठीक दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन किया जाता है. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक छोटे से कस्बे करेली में पूरा शहर मिलकर एक साथ अन्नकूट मनाता है. यहां भगवान कृष्ण के साथ भगवान राम को भी अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. स्थानीय युवाओं का कहना है कि उन्होंने छोटे से स्तर पर इस परंपरा को शुरू किया था, जिसमें धीरे-धीरे पूरा शहर शामिल हो गया.
अन्नकूट और गोवर्धन पूजा
हिंदू धर्म भगवान कृष्ण की लीलाओं को विशेष महत्व देता है. ऐसे ही भगवान कृष्ण की एक लीला गोवर्धन पर्वत से जुड़ी हुई है. उसे जमाने में लोग इंद्रदेव की पूजा करते थे, लेकिन भगवान कृष्ण ने गोबर के महत्व को समझाते हुए लोगों से कहा कि इंद्र के बजाय बिग गोवर्धन की पूजा करें. यह ज्यादा फलदाई होगा. इस बात से नाराज होकर इंद्र ने बारिश शुरू कर दी और लगातार 7 दिनों तक भयंकर बारिश हुई. इसके बाद भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और इस पर्वत के नीचे पूरे 7 दिनों तक लोगों को आसरा दिया. जब इंद्र परेशान हो गए और बारिश बंद हो गई. पौराणिक कहानी कहती है कि भगवान कृष्ण ने 7 दिनों तक कुछ नहीं खाया था. इसलिए गांव वालों ने भगवान को छप्पन भोग खिलाए थे. बस उसी दिन के बाद से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की शुरुआत की गई.
पूरा शहर, एक पूजा
ऐसे तो यह आयोजन पूरे देश भर में होता है लेकिन मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के करेली नाम के एक छोटे से कस्बे में अन्नकूट का विशेष आयोजन किया जाता है. करेली निवासी अमित श्रीवास्तव बताते हैं ''यह आयोजन स्थानीय राम मंदिर में होता है. इस मौके पर भगवान को सैकड़ों किस्म के पकवानों का भोग लगाया जाता है. इनमें बहुत से पकवान तो लोग घरों से बनाकर लाते हैं और बहुत से पकवान यहीं बनाए जाते हैं और लगभग पूरा शहर मिलकर इस आयोजन का हिस्सा बनता है''.
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छोटी सी शुरुआत बनी अब परंपरा
बुंदेलखंड में पहले से यह परंपरा थी. यहां लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है. गोवर्धन की पूजा और धन-धान्य के उत्पादन का भगवान को भोग लगाया जाता था, लेकिन यह पूजा पहले केवल घरों में होती थी. इसके बाद शहर के कुछ युवाओं ने तय किया कि यह आयोजन एक जगह किया जाए और इसके बाद यह परंपरा शुरू हो गई. इस आयोजन में स्थानीय लोगों के साथ ही राजनीतिक और प्रशासनिक लोग भी प्रसाद ग्रहण करने के लिए आते हैं. लोग मिलजुलकर खुशियां और त्यौहार मनाते हैं.