भोपाल: मध्य प्रदेश में ऐसे कई सरकारी स्कूल हैं, जहां इस साल किसी भी स्टूडेंट ने एडमिशन ही नहीं लिया है. बताया जा रहा है कि एक तरफ जहां सरकारी सीएम राइज स्कूल में बच्चों के एडमिशन के लिए लंबी वेटिंग रहती है, तो वहीं, दूसरी ओर पहले से चल रहे सरकारी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन कराने में अभिभावक रुचि नहीं ले रहे हैं. जिससे राज्य में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां पहली कक्षा में आज बच्चों की संख्या शून्य हो गई है.
5 हजार से अधिक स्कूलों में 0 एडमिशन
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी किए गए वार्षिक आंकड़े में बताया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 5500 स्कूल ऐसे हैं, जहां पहली कक्षा में एक भी एडमिशन नहीं हुआ है. यानि कि इन स्कूलों में अब पहली कक्षा 0 ईयर घोषित की जाएगी. वहीं करीब 25 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां 1-2 एडमिशन ही हुए हैं. प्रदेश में 11,345 स्कूलों में केवल 10 एडमिशन हुए. इसी तरह करीब 23 हजार स्कूल ऐसे भी हैं, जहां मात्र 3 से 5 बच्चों ने ही एडमिशन लिया है.
सरकारी स्कूलों को नहीं मिल रहे छात्र
सरकारी स्कूलों में बच्चों को एडमिशन नहीं लेने को लेकर कहा जाता है कि अधिकतर स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. नियमित शिक्षकों की कमी है. निजी स्कूल की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता की कमी है. सरकारी स्कूलों में टायलेट, पेयजल और भवन समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है. वर्तमान में अभिभावक अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन अधिकतर सरकारी स्कूलों में इंग्लिश मीडियम के टीचर नहीं हैं. वहीं, सरकारी स्कूल के बच्चों को दिया जाने वाला मध्यान्ह भोजन और निशुल्क यूनीफार्म-किताब वितरण में बच्चों को सरकारी स्कूल बुलाने में कमजोर साबित हो रहा है.
ये भी पढ़ें: एक सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए मंत्री से IAS IPS तक की लाइन, दुनिया में मिली पोजिशन मिड-डे मील की सब्जी में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को नहीं मिले आलू, पतली दाल देख हुए आग बबूला |
व्यवस्था को बेहतर बनाने की बनाएंगे रणनीति
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक हरजिंदर सिंह ने बताया कि अभी उन्होंने आंकड़े का अध्ययन नहीं किया है. आंकड़े देखने के बाद व्यवस्था को बेहतर बनाने की रणनीति बनाई जाएगी. वहीं, हरजिंदर सिंह ने कहा कि "भले ही कुछ स्कूलों में बच्चों के दाखिले नहीं हुए, लेकिन ऐसा नहीं है कि वहां शैक्षणिक सुविधाओं की कमी है. अभिभावकों सोचते हैं, कि प्राईवेट स्कूलों में बेहतर पढ़ाई होती है. इसलिए वो प्राईवेट की ओर भाग रहे हैं. जबकि सरकारी स्कूलों में वहां से अच्छी पढ़ाई हो रही है."