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'एक राष्ट्र एक चुनाव' के लिए तीन बिल ला सकती है सरकार, तीनों विधेयकों के बारे में जानें - One Nation One Election - ONE NATION ONE ELECTION

केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की योजना लागू करने संविधान में संशोधन करने वाले दो विधेयकों सहित तीन विधेयक ला सकती है. प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों से मंजूरी की आवश्यकता होगी.

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'एक राष्ट्र एक चुनाव' के लिए तीन विधेयक ला सकती है सरकार (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 29, 2024, 8:19 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की योजना लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन करने वाले दो विधेयकों सहित तीन विधेयक ला सकती है. प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों से मंजूरी की आवश्यकता होगी, जो स्थानीय निकायों के चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ जोड़ने से संबंधित है.

सरकार ने सितंबर महीने की शुरुआत में देशव्यापी आम सहमति बनाने की कवायद के बाद चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी.

प्रस्तावित पहला संविधान संशोधन विधेयक
रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित पहला संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान करने से संबंधित होगा. उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक 'नियत तिथि' से संबंधित उप-खंड (1) को जोड़कर अनुच्छेद 82A में संशोधन करने की कोशिश करेगा. यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति से संबंधित अनुच्छेद 82A में उप-खंड (2) को शामिल करने का भी प्रयास करेगा.

इसमें अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करने और लोकसभा की अवधि और विघटन से संबंधित नए उप-खंड (3) और (4) को शामिल करने का भी प्रस्ताव है. साथ ही विधानसभाओं के विघटन और अनुच्छेद 327 में संशोधन करके 'एक साथ चुनाव' शब्द को शामिल करने से संबंधित प्रावधान भी हैं.

सिफारिश में कहा गया है कि इस विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी.

प्रस्तावित दूसरा संविधान संशोधन विधेयक
प्रस्तावित दूसरे संविधान संशोधन विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं द्वारा मंजूरी की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह राज्यों से संबंधित मामलों से निपटेगा. साथ ही यह स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए राज्य चुनाव आयोगों (एसईसी) के परामर्श से चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन करने का प्रयास करेगा.

संवैधानिक रूप से, ईसी और एसईसी अलग-अलग निकाय हैं. चुनाव आयोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और राज्य विधान परिषदों के चुनाव कराता है, जबकि राज्य चुनाव आयोग को नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का अधिकार है.

प्रस्तावित दूसरा संविधान संशोधन विधेयक नया अनुच्छेद 324A जोड़कर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान भी करेगा.

तीसरा विधेयक
तीसरा विधेयक विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों - पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर - से संबंधित तीन कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करेगा, ताकि इन सदनों के कार्यकाल को अन्य विधानसभाओं और लोकसभा के साथ जोड़ा जा सके, जैसा कि पहले संविधान संशोधन विधेयक में प्रस्तावित किया गया है.

इसमें जिन कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव है, उनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम-1991, केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 शामिल हैं.

इस प्रस्तावित विधेयक के लिए संविधान में बदलाव की आवश्यकता नहीं होगी और राज्यों द्वारा अनुमोदन की भी आवश्यकता नहीं होगी.

'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर बनी उच्च स्तरीय समिति ने तीन अनुच्छेदों में संशोधन, मौजूदा अनुच्छेदों में 12 नए उप-खंडों को शामिल करने और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित तीन कानूनों में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया था. संशोधनों और नए सम्मिलनों की कुल संख्या 18 है.

लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने दो चरणों में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लागू करने की सिफारिश की. पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और दूसरे चरण में आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर पंचायतों और नगर निकायों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का सुझाव दिया. समिति ने एक आम मतदाता सूची की भी सिफारिश की, जिसके लिए चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोगों के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी.

यह भी पढ़ें- 'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू करना कितना कठिन, किसे होगा फायदा, क्षेत्रीय दलों की क्या हैं चिंताएं, जानें

नई दिल्ली: केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की योजना लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन करने वाले दो विधेयकों सहित तीन विधेयक ला सकती है. प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों से मंजूरी की आवश्यकता होगी, जो स्थानीय निकायों के चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ जोड़ने से संबंधित है.

सरकार ने सितंबर महीने की शुरुआत में देशव्यापी आम सहमति बनाने की कवायद के बाद चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी.

प्रस्तावित पहला संविधान संशोधन विधेयक
रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित पहला संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान करने से संबंधित होगा. उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक 'नियत तिथि' से संबंधित उप-खंड (1) को जोड़कर अनुच्छेद 82A में संशोधन करने की कोशिश करेगा. यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति से संबंधित अनुच्छेद 82A में उप-खंड (2) को शामिल करने का भी प्रयास करेगा.

इसमें अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करने और लोकसभा की अवधि और विघटन से संबंधित नए उप-खंड (3) और (4) को शामिल करने का भी प्रस्ताव है. साथ ही विधानसभाओं के विघटन और अनुच्छेद 327 में संशोधन करके 'एक साथ चुनाव' शब्द को शामिल करने से संबंधित प्रावधान भी हैं.

सिफारिश में कहा गया है कि इस विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी.

प्रस्तावित दूसरा संविधान संशोधन विधेयक
प्रस्तावित दूसरे संविधान संशोधन विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं द्वारा मंजूरी की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह राज्यों से संबंधित मामलों से निपटेगा. साथ ही यह स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए राज्य चुनाव आयोगों (एसईसी) के परामर्श से चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन करने का प्रयास करेगा.

संवैधानिक रूप से, ईसी और एसईसी अलग-अलग निकाय हैं. चुनाव आयोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और राज्य विधान परिषदों के चुनाव कराता है, जबकि राज्य चुनाव आयोग को नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का अधिकार है.

प्रस्तावित दूसरा संविधान संशोधन विधेयक नया अनुच्छेद 324A जोड़कर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान भी करेगा.

तीसरा विधेयक
तीसरा विधेयक विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों - पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर - से संबंधित तीन कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करेगा, ताकि इन सदनों के कार्यकाल को अन्य विधानसभाओं और लोकसभा के साथ जोड़ा जा सके, जैसा कि पहले संविधान संशोधन विधेयक में प्रस्तावित किया गया है.

इसमें जिन कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव है, उनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम-1991, केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 शामिल हैं.

इस प्रस्तावित विधेयक के लिए संविधान में बदलाव की आवश्यकता नहीं होगी और राज्यों द्वारा अनुमोदन की भी आवश्यकता नहीं होगी.

'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर बनी उच्च स्तरीय समिति ने तीन अनुच्छेदों में संशोधन, मौजूदा अनुच्छेदों में 12 नए उप-खंडों को शामिल करने और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित तीन कानूनों में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया था. संशोधनों और नए सम्मिलनों की कुल संख्या 18 है.

लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने दो चरणों में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लागू करने की सिफारिश की. पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और दूसरे चरण में आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर पंचायतों और नगर निकायों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का सुझाव दिया. समिति ने एक आम मतदाता सूची की भी सिफारिश की, जिसके लिए चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोगों के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी.

यह भी पढ़ें- 'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू करना कितना कठिन, किसे होगा फायदा, क्षेत्रीय दलों की क्या हैं चिंताएं, जानें

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