उत्तरकाशी (उत्तराखंड): सिलक्यारा सुरंग में डी-वाटरिंग (सुरंग से पानी निकालने का काम) के लिए मॉकड्रिल शुरू हो गई है. यहां डी-वाटरिंग से पहले निर्माण कंपनी ने करीब 60 श्रमिकों का मेडिकल चेकअप भी करा लिया है. जिनमें से कुछ को एसडीआरएफ के जवानों के साथ उन्हीं 800 एमएम के पाइपों से अंदर भेजा जाएगा. जिनसे भूस्खलन वाले हादसे के बाद अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर निकाला गया था. इसके साथ ही इंजीनियर सहित कुल दस लोग सुरंग में पहुंचे. सभी लोग पांच घंटे तक सुरंग के अंदर रहे और वहां गैस और रिसाव से जमा पानी की जांच की.
एनएचआईडीसीएल कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि सभी चीजें सामान्य हैं. चिंता की कोई बात नहीं है. डी वाटरिंग के पहले चरण के सफलतापूर्वक पूरा होने से अधिकारी व जवान उत्साहित हैं. दरअसल, यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य 12 नवंबर को हादसे के बाद से ही बंद है. सुरंग के अंदर रिसाव से जमा होने वाले पानी को भी बाहर निकाला जा सका है. बीते 23 जनवरी को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कार्यदायी संस्था को सुरंग का निर्माण शुरू करने की अनुमति दी. लेकिन सुरंग में आए मलबे के कारण डी-वाटरिंग शुरू नहीं पाई. डी-वाटरिंग से पहले अब सुरंग में सुरक्षात्मक कार्य पूरे कर लिए गए हैं.
जिसके तहत सिलक्यारा वाले मुहाने से 150 से 200 मीटर तक क्षैतिज सुदृढ़ीकरण और सुरंग धंसने जैसी स्थिति में बचाव के लिए 80 से 203 मीटर तक 800 एमएम के ह्यूम पाइप बिछाए गए हैं. बीते दिन सुरक्षात्मक कार्य पूरा होने के बाद निर्माण कंपनी और एसडीआरएफ ने डी-वॉटरिंग के लिए मॉकड्रिल शुरू कर दी है. कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राजेश पंवार ने बताया कि मॉकड्रिल के तहत सुरक्षा को परखा जाएगा. बताया डी-वाटरिंग के लिए करीब 60 श्रमिकों का मेडिकल चेकअप कराया गया है. उन्होंने बताया कि डी-वाटरिंग कार्य शुरू होकर करीब दो माह तक चलेगी.
जिस कंपनी की कार्ययोजना अच्छी उसे मिलेगा काम: प्रोजेक्ट मैनेजर राजेश पंवार ने बताया कि सुरंग के अंदर आया मलबा हटाने के लिए लोम्बार्डी इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ एक अन्य कंपनी से संपर्क किया गया है. लोम्बार्डी के विशेषज्ञों की टीम ने सुरंग का मुआयना भी किया है. लेकिन काम उस कंपनी को सौंपा जाएगा, जिसकी कार्ययोजना को कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल और कंसलटेंट कंपनी मंजूरी प्रदान करेगी.एसडीआरएफ के एसआई सुरेश बिजल्वाण ने बताया कि उनके 12 से 14 जवान यहां हर पल तैनात हैं. बताया कि अभी सुरंग के अंदर ऑगर मशीन से डाले गए पाइप के आगे मलबे के दूसरे छोर पर उतरने के लिए सीढ़ी भी लगाई जाएगी. जिससे पाइप से अंदर जाने के बाद दूसरे छोर पर उतरने में किसी तरह की दिक्कत न हो. क्योंकि जमीन से पाइप की ऊंचाई करीब 3 मीटर तक है.
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