रायपुर\हैदराबाद: मवेशी तस्करी और उनकी रक्षा के नाम पर भीड़ का उग्र रूप कई बार देखने को मिला है. हाल ही में रायपुर में मॉब अटैक में 3 लोगों की मौत हो गई. मारे गए लोगों के परिजनों का दावा है कि वह मवेशियों का व्यापार करते हैं, उनकी तस्करी नहीं करते. हालांकि इस मामले में आरोपी अभी भी पकड़ से बाहर है. देशभर में मवेशियों के नाम पर मॉब अटैक की कई घटनाएं हुई हैं. पिछले 10 साल में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर नजर डालते हैं.
मई 2015 – 30 मई, 2015: राजस्थान के नागौर जिले के खिमसर तहसील के बिरलोका में 60 वर्षीय अब्दुल गफ्फार कुरैशी की हत्या कर दी गई, जब यह अफवाह फैली कि उसने दावत के लिए 200 मवेशियों की हत्या की. शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलाई गईं जिसके बाद कुम्हारी गांव के खेतों में हजारों की संख्या में युवक इकट्ठे हुए और गफ्फार कुरैशी की निर्मम हत्या कर दी गई.
उत्तर प्रदेश, अगस्त 2015: दादरी शहर के कैमराला गांव में भीड़ ने मवेशी चोर होने के संदेह में तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. भीड़ ने ट्रक में आग भी लगा दी.
उत्तर प्रदेश, सितंबर 2015: 28 सितंबर, 2015 को दादरी कस्बे के बिशारा गांव में भीड़ ने 50 वर्षीय व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या कर दी. उसके 22 साल के बेटे को मार मारकर घायल कर दिया.
जम्मू और कश्मीर, अक्टूबर 2015: 9 अक्टूबर, 2015 को जम्मू और कश्मीर के उधमपुर जिले में भीड़ ने कथित तौर पर 18 साल के ट्रक ड्राइवर पर गैसोलीन बम फेंके. 10 दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
हिमाचल प्रदेश, अक्टूबर 2015: शिमला के पास एक गांव सराहन में भीड़ ने 14 अक्टूबर, 2015 को उत्तर प्रदेश के निवासी 22 वर्षीय नोमान की पीट-पीटकर हत्या कर दी, इस संदेह में कि वह मवेशियों की तस्करी कर रहा था.
उत्तर प्रदेश, अक्टूबर 2015: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 22 साल के युवक को भीड़ ने मवेशी तस्करी के संदेह में पीट-पीटकर मार डाला. चार अन्य लोगों की भी पिटाई की गई.
झारखंड, मार्च 2016: झारखंड में मवेशी चोरी करने वाले 35 साल के व्यक्ति और उनके 15 साल के बेटे का शव पेड़ से लटका मिला. शवों पर यातना के निशान थे और उनके हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थे. आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें कथित तौर पर एक स्थानीय गौरक्षक समूह से जुड़े कुछ लोग भी शामिल थे.
हरियाणा, जून 2016: - दो लोगों को मवेशी ट्रांसपोर्टर होने के आरोप में पकड़ा गया. उनके साथ क्रूरता की गई और राष्ट्रवादी नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया.
गुजरात, जुलाई 2016: गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में कथित तौर पर गौरक्षकों ने दलित पुरुषों के साथ बर्बरता की गई.
राजस्थान, अप्रैल 2017: राजस्थान के अलवर में 200 कथित गौरक्षकों की भीड़ ने डेयरी किसान की पीट-पीटकर हत्या कर दी. भीड़ ने छह अन्य लोगों की भी पिटाई की.
दिल्ली, अप्रैल 2017: दिल्ली में "पशु कल्याण कार्यकर्ता" होने का दावा करने वाले लोगों के एक समूह ने तीन लोगों पर हमला किया। ये लोग एक ट्रक में मवेशियों को लेकर जा रहे थे.
असम का अप्रैल-मई 2017: असम के नागांव जिले के कचोमारी गांव में दो युवकों की सरेआम पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. यह गांव गुवाहाटी से करीब 100 किलोमीटर दूर है. पुलिस ने बताया कि इलाके से मवेशी चुराने की कोशिश करते रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भीड़ ने उन्हें बेरहमी से पीटा.
हरियाणा का जून 2017: हरियाणा के फरीदाबाद जिले के पास ट्रेन में भीड़ ने 19 साल के युवक की चाकू घोंपकर हत्या कर दी और एक अन्य को घायल कर दिया. वे दिल्ली में जामा मस्जिद से ईद की खरीदारी करने के बाद हरियाणा के बल्लभगढ़ के पास एक गांव में अपने घर लौट रहे थे.
पश्चिम बंगाल जून 2017: पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले में 3 लोगों पर मवेशी चोरी का आरोप लगाकर पीट पीटकर हत्या कर दी गई.
झारखंड, जून 2017: झारखंड में असगर अंसारी नाम के एक व्यक्ति को लोगों के एक समूह ने पीट-पीटकर मार डाला.
झारखंड, जुलाई 2017: झारखंड के गिरिडीह जिले के बरियाबाद में 55 वर्षीय डेयरी मालिक पर 1,000 से ज्यादा लोगों की भीड़ ने उसका घेर कर उसपर हमला कर दिया. भीड़ ने 30 पुलिस कर्मियों को भी घायल कर दिया.
नवंबर 2017: हरियाणा के मेवात से राजस्थान के भरतपुर में मवेशी ले जाने के आरोप में व्यक्ति की कथित तौर पर गौरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी.
राजस्थान 20 जुलाई, 2018: अलवर के रामगढ़ पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत लालवंडी में भीड़ ने दो व्यक्तियों पर उस समय बेरहमी से हमला किया, जब वे अलवर के एक गांव से हरियाणा के कोलगांव में अपने घर पैदल दुधारू गायों को ले जा रहे थे. इस दौरान एक की मौत हो गई.
झारखंड, 17 जून, 2019: झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले में मोटरसाइकिल चोरी करने के आरोपी युवक की भीड़ ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई.
मध्य प्रदेश, 03 अगस्त 2022: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के ब्रखड़ गांव के पास आधी रात को गौरक्षकों ने मवेशी तस्करी के संदेह में एक 50 वर्षीय व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
हरियाणा 17 फरवरी 2023: हरियाणा के भिवानी में एक कार में दो लोगों के जले हुए शव मिले। उनके रिश्तेदारों के अनुसार, दोनों को बजरंग दल से जुड़े गौरक्षकों ने अगवा किया था। पुलिस के अनुसार, पीड़ितों में से एक गौ तस्करी के मामलों में शामिल था।
छत्तीसगढ़, 07 जून 2024: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में मवेशियों को ले जाते समय 10 से 12 लोगों ने तीन लोगों पर हमला कर दिया. दो की मौके पर मौत हो गई. एक ने इलाज के दौरान 19 जून को दम तोड़ दिया.
गौरक्षकों की कार्रवाई पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान: 6 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौरक्षकों की हरकतों की कड़ी निंदा की और कहा कि गौरक्षकों के वेश में छिपे असामाजिक तत्व इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं. 29 जून, 2017 को एक बार फिर पीएम मोदी ने कहा कि "गाय के नाम पर लोगों की हत्या करना अस्वीकार्य है. किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. हम अहिंसा की भूमि से हैं. हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है."
1 जनवरी, 2019 को भीड़ द्वारा की गई हत्या पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि "ऐसी कोई भी घटना सभ्य समाज के लिए उपयुक्त नहीं है. ऐसी घटनाओं के पक्ष में कभी भी कोई आवाज नहीं उठानी चाहिए. यह गलत है, पूरी तरह से निंदनीय है."
सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग पर क्या कहा: 17 जुलाई, 2018 को, सुप्रीम कोर्ट ने दलितों और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के खिलाफ़ भीड़ द्वारा की गई हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं की निंदा करते हुए इसे "भीड़तंत्र का घिनौना कृत्य" बताया और संसद से लिंचिंग को दंडनीय अपराध बनाने के लिए कानून बनाने का आग्रह किया.
भारत में लिंचिंग की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निवारक, उपचारात्मक और दंडात्मक उपायों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. उपचारात्मक उपायों के तहत सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग और भीड़ हिंसा के मामलों की सुनवाई के लिए हर जिले में विशेष या फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने का सुझाव दिया. राज्य सरकारों को लिंचिंग/भीड़ हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना तैयार करने के लिए भी कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि भीड़ हिंसा और लिंचिंग के मामलों में पीड़ित या मृतक के परिजनों को मुफ्त कानूनी सहायता मिले. दंडात्मक उपाय के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि लिंचिंग के मामलों की जांच/मुकदमा चलाने के लिए अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रहने वाले पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ समयबद्ध कार्रवाई की जाए.