नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने असम में रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की स्थायी बटालियन स्थापित करने के लिए वित्त मंत्रालय को 275 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने यह कदम हाल ही में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की जनरल ड्यूटी बटालियन को आरएएफ में बदलने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद उठाया है.
इस संबंध में सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि असम में आरएएफ बटालियन स्थापित करने की पहल पहले ही की जा चुकी है. अधिकारी ने कहा, 'हां, सीआरपीएफ की एक जनरल ड्यूटी बटालियन को आरएएफ में बदल दिया जाएगा.'
अधिकारी ने कहा कि असम की सीमा चार पड़ोसी राज्यों के साथ लगती है. यहां हमेशा संघर्ष देखने को मिलता है. इसके चलते असम में एक स्थायी आरएएफ बटालियन रखने का निर्णय लिया गया है. यहां आरएएफ की मौजूदगी से ऐसी स्थिति को टाला जा सकता है.
इलाके की संवेदनशीलता को देखते लिया फैसला
उन्होंने कहा कि कई बार असम में मेघालय, मिजोरम और नागालैंड के साथ लगी सीमा पर भी झड़पें देखी गईं. त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सीमा भी असम से लगती है. ऐसे में इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने असम में एक स्थायी आरएएफ बटालियन स्थापित करने का निर्णय लिया है.
वित्त मंत्रालय को 275 करोड़ रुपये का प्रस्ताव
अधिकारी ने बताया कि इमरजेंसी की स्थिति में इस बटालियन को किसी अन्य स्थान पर ले जाया जा सकता है. चूंकि एक नई बटालियन के गठन के लिए अपने स्वयं के शस्त्रागार, हथियार और गोला-बारूद, सुरक्षा और दंगा-रोधी गैजेट बनाने के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है. इसलिए गृह मंत्रालय ने इसके लिए वित्त मंत्रालय को 275 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है.
जनरल ड्यूटी बटालियन में होते हैं 1150 कर्मी
अधिकारी ने कहा, 'एक बार फंडिंग मंजूर हो जाने के बाद आरएएफ में पदों की संख्या पर फैसला लिया जाएगा.' बता दें कि आम तौर पर आरएएफ की एक बटालियन में 1284 कर्मी होते हैं, जबकि एक जनरल ड्यूटी बटालियन में 1150 कर्मी होते हैं. आरएएफ सीआरपीएफ की एक स्पेशल यूनिट है, जिसे दंगों- फसाद से निपटने के लिए अक्टूबर 1992 में स्थापित किया गया था. इसे कम से कम समय में तैनात किया जा सकता है, जिससे जनता के बीच विश्वास और सुरक्षा पैदा हो सकती है.
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