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मई डे पर सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूर आए याद, जिन्होंने 17 दिन के रेस्क्यू में मौत को दी थी मात - LABORERS OF SILKYARA TUNNEL - LABORERS OF SILKYARA TUNNEL

Laborers of Silkyara Tunnel remembered on May Day आज पहली मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. वो मजदूर जो राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. मजदूर दिवस पर आज हम उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे उन मजदूरों को याद करेंगे जो 17 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच चली जंग के बाद मौत को हरा कर बाहर निकले.

Laborers of Silkyara Tunnel
मई दिवस पर सिलक्यारा टनल रेस्क्यू
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 1, 2024, 12:30 PM IST

उत्तराखंड: मई डे पर सिलक्यारा के उन 41 श्रमिकों को सेल्यूट जो 17 दिन तक सुरंग में फंसने के बाद भी हिम्मत और हौसला बनाए रखते हुए मौत को हराकर विजेता बनकर लौटे. 41 फाइटर श्रमिकों की ये कहानी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा टनल से जुड़ी हुई है.

Laborers of Silkyara Tunnel
सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंसे थे

पिछले साल दीपावली के दिन हुआ था सिलक्यारा टनल हादसा: 12 नवंबर 2023 को दीपावली की सुबह थी. पूरा देश दीपावली मनाने की तैयारी कर रहा था. पटाखे खरीदे जा रहे थे. मिठाइयां तैयार हो रही थीं. हर कोई अपने-अपने तरीके से दीपावनी मनाने की तैयारी कर रहा था. तभी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में धरासू से यमुनोत्री के लिए तैयार हो रही सड़क को जोड़ने के लिए बन रही सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग का एक हिस्सा धंस गया. सुरंग के मलबे से बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया. सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए.

Laborers of Silkyara Tunnel
सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक रेस्क्यू चला था

टनल के अंदर फंस गए थे 41 मजदूर: अंदर न तो पानी भेजने की सुविधा ना खाना भेज पा रहे थे. यहां तक कि उन मजदूरों से बात तक नहीं हो पा रही थी. इस घटना की सूचना उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल से देहरादून होते हुए दिल्ली पहुंची तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. खुद पीएम मोदी और उनके ऑफिस ने सिलक्यारा टनल हादसे का संज्ञान लिया. पीएम मोदी ने पूरे देश को आश्वस्त किया कि हम रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को सकुशल निकाल लाएंगे.

Laborers of Silkyara Tunnel
रेस्क्यू के लिए विदेशी एक्सपर्ट भी बुलाए गए थे

मजदूरों को बचाने के लिए चला था दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन: इसके बाद शुरू हुआ सिलक्यारा टनल में दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन. केंद्र के साथ उत्तराखंड सरकार 41 मजदूरों के लिए चलाए जा रहे इस रेस्क्यू को लेकर इतनी संजीदा थी कि सीएम धामी ने सिलक्यारा में ही कैंप ऑफिस बना लिया. पीएम मोदी हर सुबह शाम उनसे रेस्क्यू ऑपरेशन पर अपडेट लेते और सीएम धामी पल-पल की जानकारी पीएम मोदी को देते. पूरे देश के साथ ही दुनिया भर की नजर उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल रेस्क्यू पर जमी हुई थी. देश-दुनिया का मीडिया सिलक्यारा टनल के बाहर जमावड़ा लगाया हुआ था.

Laborers of Silkyara Tunnel
सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों का जब रेस्क्यू हुआ

इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन: सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों को बचाने के लिए चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन कितना बड़ा और महत्वपूर्ण था कि भारत सरकार ने इसके लिए इंटरनेशनल टनल विशेषज्ञों को भी जिम्मेदारी सौंपी थी. ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स खुद सिलक्यारा में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे थे.

Laborers of Silkyara Tunnel
टनल से निकलने के बाद श्रमिकों की खुशी देखने लायक थी

17वें दिन मौत को मात देकर सुरंग से निकले थे 41 मजदूर: 17 दिन चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हर दिन उतार-चढ़ाव देखने को मिले. कभी ऑगर मशीन की ब्लेड टूटी तो कभी टनल के ऊपरी हिस्से से टनल बनाने की कवायद हुई. तमाम उतार चढ़ाव के बाद 17वें दिन रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हुआ. 41 मजदूरों ने 17 दिन बाद खुली हवा में सांस ली. इसके साथ ही देश भर में खुशी की लहर दौड़ गई. इस तरह सिलक्यारा टनल में काम कर रहे 41 मजदूरों ने मौत को मात दे दी.

Laborers of Silkyara Tunnel
रेस्क्यू के बाद श्रमिकों से टेलीकॉन्फ्रेंसिंग से बात करते पीएम मोदी

रैट माइनर्स ने किया कमाल: जब ऑगर मशीन भी सिलक्यारा टनल के मलबे के आगे नष्ट हो गई तो फिर रेट माइनर्स को रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया. रैट माइनर्स से उम्मीद से ज्यादा तेज रफ्तार से रेस्क्यू चलाते हुए हुए 28 नवंबर को टनल में फंसे सभी मजदूरों को निकाल लिया. ये रैट माइनर्स भी श्रमिक ही थे, जो अपनी जान पर खेलकर सुरंग में फंसे मजदूरों को सकुशल निकाल लाए.

Laborers of Silkyara Tunnel
इंटरनेशनल माइनिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने रेस्क्यू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
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Laborers of Silkyara Tunnel
सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंसे थे

पिछले साल दीपावली के दिन हुआ था सिलक्यारा टनल हादसा: 12 नवंबर 2023 को दीपावली की सुबह थी. पूरा देश दीपावली मनाने की तैयारी कर रहा था. पटाखे खरीदे जा रहे थे. मिठाइयां तैयार हो रही थीं. हर कोई अपने-अपने तरीके से दीपावनी मनाने की तैयारी कर रहा था. तभी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में धरासू से यमुनोत्री के लिए तैयार हो रही सड़क को जोड़ने के लिए बन रही सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग का एक हिस्सा धंस गया. सुरंग के मलबे से बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया. सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए.

Laborers of Silkyara Tunnel
सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक रेस्क्यू चला था

टनल के अंदर फंस गए थे 41 मजदूर: अंदर न तो पानी भेजने की सुविधा ना खाना भेज पा रहे थे. यहां तक कि उन मजदूरों से बात तक नहीं हो पा रही थी. इस घटना की सूचना उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल से देहरादून होते हुए दिल्ली पहुंची तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. खुद पीएम मोदी और उनके ऑफिस ने सिलक्यारा टनल हादसे का संज्ञान लिया. पीएम मोदी ने पूरे देश को आश्वस्त किया कि हम रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को सकुशल निकाल लाएंगे.

Laborers of Silkyara Tunnel
रेस्क्यू के लिए विदेशी एक्सपर्ट भी बुलाए गए थे

मजदूरों को बचाने के लिए चला था दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन: इसके बाद शुरू हुआ सिलक्यारा टनल में दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन. केंद्र के साथ उत्तराखंड सरकार 41 मजदूरों के लिए चलाए जा रहे इस रेस्क्यू को लेकर इतनी संजीदा थी कि सीएम धामी ने सिलक्यारा में ही कैंप ऑफिस बना लिया. पीएम मोदी हर सुबह शाम उनसे रेस्क्यू ऑपरेशन पर अपडेट लेते और सीएम धामी पल-पल की जानकारी पीएम मोदी को देते. पूरे देश के साथ ही दुनिया भर की नजर उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल रेस्क्यू पर जमी हुई थी. देश-दुनिया का मीडिया सिलक्यारा टनल के बाहर जमावड़ा लगाया हुआ था.

Laborers of Silkyara Tunnel
सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों का जब रेस्क्यू हुआ

इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन: सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों को बचाने के लिए चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन कितना बड़ा और महत्वपूर्ण था कि भारत सरकार ने इसके लिए इंटरनेशनल टनल विशेषज्ञों को भी जिम्मेदारी सौंपी थी. ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स खुद सिलक्यारा में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे थे.

Laborers of Silkyara Tunnel
टनल से निकलने के बाद श्रमिकों की खुशी देखने लायक थी

17वें दिन मौत को मात देकर सुरंग से निकले थे 41 मजदूर: 17 दिन चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हर दिन उतार-चढ़ाव देखने को मिले. कभी ऑगर मशीन की ब्लेड टूटी तो कभी टनल के ऊपरी हिस्से से टनल बनाने की कवायद हुई. तमाम उतार चढ़ाव के बाद 17वें दिन रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हुआ. 41 मजदूरों ने 17 दिन बाद खुली हवा में सांस ली. इसके साथ ही देश भर में खुशी की लहर दौड़ गई. इस तरह सिलक्यारा टनल में काम कर रहे 41 मजदूरों ने मौत को मात दे दी.

Laborers of Silkyara Tunnel
रेस्क्यू के बाद श्रमिकों से टेलीकॉन्फ्रेंसिंग से बात करते पीएम मोदी

रैट माइनर्स ने किया कमाल: जब ऑगर मशीन भी सिलक्यारा टनल के मलबे के आगे नष्ट हो गई तो फिर रेट माइनर्स को रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया. रैट माइनर्स से उम्मीद से ज्यादा तेज रफ्तार से रेस्क्यू चलाते हुए हुए 28 नवंबर को टनल में फंसे सभी मजदूरों को निकाल लिया. ये रैट माइनर्स भी श्रमिक ही थे, जो अपनी जान पर खेलकर सुरंग में फंसे मजदूरों को सकुशल निकाल लाए.

Laborers of Silkyara Tunnel
इंटरनेशनल माइनिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने रेस्क्यू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
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