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कुमाऊं की वादियों से महात्मा गांधी का था गहरा नाता, लोगों में स्वतंत्रता आंदोलन के लिए भरा था जोश, गवाह बना गांधी मंदिर - Mahatma Gandhi Takula Gandhi Ashram

Mahatma Gandhi Takula Gandhi Ashram महात्मा गांधी ने अपने कुमाऊं दौरे के समय ताकुला गांव में एक भवन की आधारशिला रखी थी. जो बाद में गांधी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा. आज भी लोग इस भवन को देखने दूर-दूर से आते हैं. जो कुमाऊं मंडल से महात्मा गांधी के असीम प्रेम को दर्शाता है.

Mahatma Gandhi Kumaon Division Tour
महात्मा गांधी का कुमाऊं मंडल से रहा गहरा नाता (Photo-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 15, 2024, 1:00 PM IST

Updated : Aug 15, 2024, 1:45 PM IST

कुमाऊं के लोगों में महात्मा गांधी ने भरा स्वतंत्रता आंदोलन का जोश (Video-Etv Bharat)

नैनीताल (उत्तराखंड): आजादी की लड़ाई के दाैरान राष्टपिता महात्मा गांधी नैनीताल पहुंचे थे. जहां उन्हाेंने देश की आजादी के लिए कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों के लोगाें में स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर जोश भरा था. महात्मा गांधी के नैनीताल दौरे के बाद उनके विचारों का यहां के लोगों में गहरा प्रभाव पड़ा था. साल 1929 और 1931 में महात्मा गांधी कुमाऊं की यात्रा पर आए और गांधी जी ने नैनीताल से लेकर बागेश्वर तक यात्रा कर पहाड़ के लोगों को आजादी की लड़ाई के लिये प्रेरित किया.

महात्मा गांधी का किया इस्तकबाल: वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह बताते है कि आजादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को जब भी शारीरिक और मानसिक अस्वस्थता ने घेरा, उन्होंने कुमाऊं की शांत वादियों का रूख किया. पहली बार कुमाऊं की धरती पर गांधी जी के कदम 14 जून को पड़े थे और 15 जून को नैनीताल को उनके इस्तकबाल का सौभाग्य मिला था. 11 जून 1929 को महात्मा गांधी अहमदाबाद से हल्द्वानी को रवाना हुए. 14 जून को हल्द्वानी पहुंचने के बाद उसी दिन महात्मा गांधी काठगोदाम-नैनीताल मार्ग पर स्थित ताकुला गांव पहुंचे.

लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए किया प्रेरित: महात्मा गांधी को ताकुला गांव बेहद पसंद आया और उन्होंने यहां एक गांधी आश्रम की नींव रखी. 15 जून को महात्मा गांधी नैनीताल पहुंचे और यहां उन्होंने लोगों को आजादी की लड़ाई के लिये प्ररित किया. यह सिलसिला भवाली, रानीखेत, अल्मोड़ा और बागेश्वर तक जारी रहा. दूसरी बार महात्मा गांधी 1931 में पुनः कुमाऊं के दौरे पर पहुंचे और ताकुला स्थित गांधी आश्रम में कुछ दिन तक रहे. गांधी की कुमाऊं यात्रा ने यहां के लोगों को आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नई चेतना दी.

ताकुला में बनाया गांधी मंदिर: राजीव लोचन साह बताते है कि महात्मा गांधी की कुमाऊं यात्रा के बाद यहां के लोग आजादी की लड़ाई में बढ-चढ़ कर भाग लेने लगे. इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि साल 1929 में ताकुला का गांधी मंदिर की बुनियाद खुद महात्मा गांधी ने रखी थी. इतना ही नहीं महात्मा गांधी ने इसके बनने के बाद प्रवास भी किया था. यह गांधी जी का अपनी तरह का देश का इकलौता ऐसा स्थल है जहां गांधी मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ऐसी यादें हैं, जिनसे युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सकती है. दूसरी बार गांधी जी 1931 में दोबारा कुमाऊं के दौरे पर पहुंचे और ताकुला स्थित गांधी आश्रम में कुछ दिन तक रहे. गांधी जी की कुमाऊं यात्रा ने यहां के लोगों को आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जान फूंकी थी.

पढ़ें-आजादी के मतवालों की कब्रगाह से जुड़ा है यह रहस्यमयी गहरा कुआं, इस ऐतिहासिक स्थल को लेकर जागा कौतूहल

कुमाऊं के लोगों में महात्मा गांधी ने भरा स्वतंत्रता आंदोलन का जोश (Video-Etv Bharat)

नैनीताल (उत्तराखंड): आजादी की लड़ाई के दाैरान राष्टपिता महात्मा गांधी नैनीताल पहुंचे थे. जहां उन्हाेंने देश की आजादी के लिए कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों के लोगाें में स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर जोश भरा था. महात्मा गांधी के नैनीताल दौरे के बाद उनके विचारों का यहां के लोगों में गहरा प्रभाव पड़ा था. साल 1929 और 1931 में महात्मा गांधी कुमाऊं की यात्रा पर आए और गांधी जी ने नैनीताल से लेकर बागेश्वर तक यात्रा कर पहाड़ के लोगों को आजादी की लड़ाई के लिये प्रेरित किया.

महात्मा गांधी का किया इस्तकबाल: वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह बताते है कि आजादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को जब भी शारीरिक और मानसिक अस्वस्थता ने घेरा, उन्होंने कुमाऊं की शांत वादियों का रूख किया. पहली बार कुमाऊं की धरती पर गांधी जी के कदम 14 जून को पड़े थे और 15 जून को नैनीताल को उनके इस्तकबाल का सौभाग्य मिला था. 11 जून 1929 को महात्मा गांधी अहमदाबाद से हल्द्वानी को रवाना हुए. 14 जून को हल्द्वानी पहुंचने के बाद उसी दिन महात्मा गांधी काठगोदाम-नैनीताल मार्ग पर स्थित ताकुला गांव पहुंचे.

लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए किया प्रेरित: महात्मा गांधी को ताकुला गांव बेहद पसंद आया और उन्होंने यहां एक गांधी आश्रम की नींव रखी. 15 जून को महात्मा गांधी नैनीताल पहुंचे और यहां उन्होंने लोगों को आजादी की लड़ाई के लिये प्ररित किया. यह सिलसिला भवाली, रानीखेत, अल्मोड़ा और बागेश्वर तक जारी रहा. दूसरी बार महात्मा गांधी 1931 में पुनः कुमाऊं के दौरे पर पहुंचे और ताकुला स्थित गांधी आश्रम में कुछ दिन तक रहे. गांधी की कुमाऊं यात्रा ने यहां के लोगों को आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नई चेतना दी.

ताकुला में बनाया गांधी मंदिर: राजीव लोचन साह बताते है कि महात्मा गांधी की कुमाऊं यात्रा के बाद यहां के लोग आजादी की लड़ाई में बढ-चढ़ कर भाग लेने लगे. इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि साल 1929 में ताकुला का गांधी मंदिर की बुनियाद खुद महात्मा गांधी ने रखी थी. इतना ही नहीं महात्मा गांधी ने इसके बनने के बाद प्रवास भी किया था. यह गांधी जी का अपनी तरह का देश का इकलौता ऐसा स्थल है जहां गांधी मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ऐसी यादें हैं, जिनसे युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सकती है. दूसरी बार गांधी जी 1931 में दोबारा कुमाऊं के दौरे पर पहुंचे और ताकुला स्थित गांधी आश्रम में कुछ दिन तक रहे. गांधी जी की कुमाऊं यात्रा ने यहां के लोगों को आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जान फूंकी थी.

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Last Updated : Aug 15, 2024, 1:45 PM IST
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