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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 10 साल का सेक्सुअल रिलेशन बलात्कार की श्रेणी में नहीं - MP High Court Big decision On Rape

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार और अपहरण के एक मामले में अहम निर्णय देते हुए कहा कि 10 साल के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता. याचिकाकर्ता डॉक्टर को राहत देते हुए कोर्ट ने चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं.

MP HIGH COURT BIG DECISION ON RAPE
10 साल का सेक्सुअल रिलेशन बलात्कार की श्रेणी में नहीं (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 7, 2024, 7:22 PM IST

जबलपुर। बलात्कार और अपहरण के मामले में एक डॉक्टर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी किये हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 10 साल के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है.

बलात्कार और अपहरण का मामला खारिज करने की मांग

याचिकाकर्ता नागेश्वर प्रसाद जैसल की तरफ से दायर की गयी याचिका में बलात्कार और अपहरण के तहत दर्ज प्रकरण में पेश की गयी अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की गयी थी. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ साल 2021 में एफआईआर दर्ज की गयी थी. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गर्मियों की छुट्टी में याचिकाकर्ता उसके गांव आता था. दोनों के बीच प्रेम संबंध स्थापित हो गये. याचिकाकर्ता ने शादी का वादा करते हुए साल 2010 में यौन संबंध स्थापित किये थे. उस दौरान वह कक्षा 11 वीं में पढ़ती थी. इसके बाद शादी का वादा करते हुए याचिकाकर्ता लगातार उसके साथ यौन संबंध स्थापित करता रहा.

शादी से इंकार करने पर की थी एफआईआर

शिकायतकर्ता का आरोप था कि याचिकाकर्ता की पोस्टिंग शासकीय अस्पताल कटनी में हुई तो उसने सरकारी आवास में बुलाकर उसके साथ यौन संबंध स्थापित किया. याचिकाकर्ता ने जब शादी से इंकार कर दिया तो युवती ने पुलिस में बलात्कार की एफआईआर दर्ज करा दी. कोर्ट ने दोनों परिवार को विवाह के लिए सहमत करने का प्रयास किया लेकिन कुछ मुद्दों के कारण कोर्ट अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका.

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'10 साल का यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं'

हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि "युवा अवस्था में लड़का और लड़की आकर्षित हो जाते हैं. इस दौरान वह भावनाओं में बह जाते हैं और समझते हैं कि एक दूसरे से प्यार में है. यह रिश्ता कई बार स्वभाविक रूप से विवाह तक नहीं पहुंच जाता है. भविष्य की अनिश्चिता के संबंध में किये गये वादे के आधार पर लड़की के कृत्य को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता है. 10 साल के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को ऐसा नहीं माना जा सकता है कि बिना सहमति से याचिकाकर्ता उसका यौन शोषण कर रहा था. इसलिए इस प्रकार के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी किये हैं."

जबलपुर। बलात्कार और अपहरण के मामले में एक डॉक्टर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी किये हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 10 साल के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है.

बलात्कार और अपहरण का मामला खारिज करने की मांग

याचिकाकर्ता नागेश्वर प्रसाद जैसल की तरफ से दायर की गयी याचिका में बलात्कार और अपहरण के तहत दर्ज प्रकरण में पेश की गयी अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की गयी थी. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ साल 2021 में एफआईआर दर्ज की गयी थी. शिकायतकर्ता का आरोप था कि गर्मियों की छुट्टी में याचिकाकर्ता उसके गांव आता था. दोनों के बीच प्रेम संबंध स्थापित हो गये. याचिकाकर्ता ने शादी का वादा करते हुए साल 2010 में यौन संबंध स्थापित किये थे. उस दौरान वह कक्षा 11 वीं में पढ़ती थी. इसके बाद शादी का वादा करते हुए याचिकाकर्ता लगातार उसके साथ यौन संबंध स्थापित करता रहा.

शादी से इंकार करने पर की थी एफआईआर

शिकायतकर्ता का आरोप था कि याचिकाकर्ता की पोस्टिंग शासकीय अस्पताल कटनी में हुई तो उसने सरकारी आवास में बुलाकर उसके साथ यौन संबंध स्थापित किया. याचिकाकर्ता ने जब शादी से इंकार कर दिया तो युवती ने पुलिस में बलात्कार की एफआईआर दर्ज करा दी. कोर्ट ने दोनों परिवार को विवाह के लिए सहमत करने का प्रयास किया लेकिन कुछ मुद्दों के कारण कोर्ट अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका.

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'10 साल का यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं'

हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि "युवा अवस्था में लड़का और लड़की आकर्षित हो जाते हैं. इस दौरान वह भावनाओं में बह जाते हैं और समझते हैं कि एक दूसरे से प्यार में है. यह रिश्ता कई बार स्वभाविक रूप से विवाह तक नहीं पहुंच जाता है. भविष्य की अनिश्चिता के संबंध में किये गये वादे के आधार पर लड़की के कृत्य को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता है. 10 साल के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को ऐसा नहीं माना जा सकता है कि बिना सहमति से याचिकाकर्ता उसका यौन शोषण कर रहा था. इसलिए इस प्रकार के रिश्ते में स्थापित यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ अंतिम चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश जारी किये हैं."

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