Bombardier Aircraft Price Features: आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार के पास अपना खुद का विमान होगा. जी हां मध्य प्रदेश की डॉ मोहन सरकार जल्द ही एक नया जेट विमान खरीदने जा रही है. इस विमान की कीमत करीब 233 करोड़ रुपए होगी. विमान की खरीदी को लेकर राज्य सरकार ने सारी प्रक्रिया पूरी कर ली है. कनाडा की बुम्बार्डिंग कंपनी से यह विमान खरीदा जा रहा है. यह विमान चैलेंजर 3500 एडवांस टेक्नोलॉजी से बना है. सबसे अच्छी बात यह है कि किसी भी मौसम में यह विमान लंबी उड़ान भर सकता है. बता दें बुधवार को हुई मोहन कैबिनेट की बैठक में कई फैसलों के साथ नए विमान की खरीदी के फैसले पर मुहर लगी है.
एमपी सरकार के पास 20 महीने बाद होगा खुद का विमान
मध्य प्रदेश सरकार के पास अभी तक अपना खुद का विमान नहीं था. किराए के विमान पर राज्य सरकार का काम चल रहा है. वहीं अब एमपी सरकार ने नए विमान को खरीदने का मन बना लिया है. दरअसल, कनाड़ा की कंपनी की बोली सबसे कम रही. इसके अलावा शर्तों में जो जरूरतें बताई गईं, उसे चैलेंजर 3500 पूरी करता है. जिसके बाद मोहन सरकार ने बॉम्बार्डियर इंक के चैलेंजर 3500 मॉडल को लेने की हामी भरी है. बताया जा रहा है कि अगले 20 महीने में नया चैलेंजर 3500 विमान प्रदेश सरकार को मिल जाएगा.
क्या है बॉम्बार्डियर चैलेंजर प्लेन की खासियत
प्रदेश सरकार की जरूरत के मुताबिक कंपनी इस विमान को 8 सीटर बना रही है. इसकी कीमत 233 करोड़ रुपए बताई जा रही है. अगर बॉम्बार्डियर चैलेंजर प्लेन के खासियत की बात करें तो इसे एडवांस तकनीक से बनाया जा रहा है. इसमें नए जमाने की सीटें लगी है. इस विमान का केबिन भी अलग ही अनुभव कराता है. साथ ही इसमें इंडस्ट्री का पहला वॉयस-कंट्रोल्ड केबिन लगा है. केबिन में वायरलेस चार्जिंग से लेकर कई दूसरी सुविधाएं भी मौजूद होगी. यह विमान किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है. इसके अलावा इसे 2022 के रेड डॉट के बेस्ट ऑफ बेस्ट प्रोडक्ट डिजाइन से पुरस्कृत किया जा चुका है.
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साल 2021 में सरकार का विमान हुआ था दुर्घटनाग्रस्त
मध्य प्रदेश सरकार के पास पहले एक विमान था, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. गौरतलब है कि 6 मई 2021 को ग्वालियर में लेंडिंग के दौरान मध्य प्रदेश सरकार का प्लेन का एक्सीडेंट हो गया था. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर के बॉक्स अहमदाबाद से इंदौर होते हुए ग्वालियर के लिए ले जाया जा रहा था, जहां यह दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. हादसे के बाद विमान की हालत इतनी खराब हो गई थी, कि सरकार इसे बियॉन्ड रिपेयर करार दिया था. यानि की इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती थी. इसके बाद राज्य सरकार के पास कोई विमान नहीं था, वह किराए के विमान पर अपना काम चला रही थी.