नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद संसद का पहला सत्र 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला संसद सत्र होगा. सत्र के दौरान 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा. हालांकि, अभी तक अध्यक्ष पद के लिए नाम पर सस्पेंस बना हुआ है. सरकार ने अभी तक लोकसभा स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार, संसद सत्र के पहले तीन दिनों में नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी और 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर का चुनाव किया जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी और अगले पांच वर्षों के लिए नई सरकार के रोडमैप की रूपरेखा पेश करेंगी.
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद प्रधानमंत्री मोदी संसद में अपने मंत्रिपरिषद का परिचय करा सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी की ओर से संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देने की उम्मीद है.
भाजपा या एनडीए के सहयोगी दल से होगा स्पीकर?
लोकसभा चुनाव 2024 में 240 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन वह बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से 32 सीट पीछे रह गई है. भाजपा समेत एनडीए की सहयोगी दलों की कुल सीटें 292 हैं. जिसमें टीडीपी की 16, जेडीयू की 12, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की 5 और शिवसेना (शिंदे गुट) की 7 सीटें हैं. कैबिनेट में शामिल सभी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो गया है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि टीपीडी की तरफ से स्पीकर पद की मांग रखी गई है. लेकिन चर्चा है कि भाजपा स्पीकर पद अपने पास रख सकती है. कहा जा रहा है कि भाजपा जल्द ही स्पीकर के चुनाव को लेकर एनडीए के सहयोगी दलों के साथ चर्चा कर नाम पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश कर सकती है.
कैसे होता है स्पीकर का चुनाव
अध्यक्ष का चुनाव आम तौर पर लोकसभा के सदस्यों की पहली बैठक में किया जाता है. अध्यक्ष का चयन करने से पहले आम तौर पर सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सांसद को प्रोटेम स्पीकर के रूप में चुना जाता है. प्रोटेम स्पीकर नए सदन की पहली कुछ बैठकों की अध्यक्षता करता है और नए सांसदों को शपथ भी दिलाता है. साथ ही स्पीकर और डिप्टी-स्पीकर के चयन के लिए सदन में वोटिंग प्रक्रिया का संचालन करता है. स्पीकर पद के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की तरफ से उम्मीदवार नामित किए जाते हैं.
यह भी पढ़ें- अजीत डोभाल तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने, 2014 से संभाल रहे हैं जिम्मेदारी