सूरत: गुजरात में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द हो गया है. कांग्रेस उम्मीदवार कुंभाणी ने अपने नामांकन पत्र में जिन प्रस्तावकों के नाम दिए थे, उनके हस्ताक्षर फर्जी पाए गए हैं. जिसके बाद चुनाव अधिकारी ने रविवार को नीलेश कुंभाणी का नामांकन पत्र खारिज कर दिया.
दरअसल, कांग्रेस उम्मीदवार ने जिन प्रस्तावकों का नाम दिया था, उन्होंने जिला चुनाव अधिकारी को दिए एक हलफनामे में दावा किया था कि उन्होंने उनके नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. भाजपा नेता दिनेश जोधानी ने भी कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावकों के हस्ताक्षर को लेकर सवाल उठाए थे. पिछले 30 घंटे से चल रहे हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद सूरत जिला चुनाव अधिकारी ने डमी उम्मीदवार सुरेश पलसाडा का भी नामांकन फॉर्म रद्द कर किया है.
कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द होने पर भाजपा नेता दिनेश जोधानी ने कहा कि शनिवार को हमने शिकायत की थी कि उनके फॉर्म में कुछ गड़बड़ियां थीं. आज सुनवाई के बाद उनका फॉर्म रद्द कर दिया गया है. कलेक्टर ने फैसला किया कि फॉर्म रद्द किया जाना चाहिए, इसलिए उन्होंने ऐसा किया.
कांग्रेस ने चुनाव अधिकारी के फैसले पर उठाए सवाल
वहीं, नामांकन रद्द करने के चुनाव अधिकारी के फैसले पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता जमीर शेख ने कहा कि हमने दलील दी कि शनिवार को जिन प्रस्तावकों ने जिला चुनाव अधिकारी के पास आकर कहा था कि नामांकन पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. उन्होंने ऐसा क्यों कहा, क्या उन्होंने किसी के धमकाने या लालच में आकर ऐसा कहा. इसकी जांच होनी चाहिए. लेकिन जिला अधिकारी ने जांच किए बिना कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन पत्र रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस आलाकमान किसी विकल्प पर फैसला करेगा.
प्रस्तावक के साथ उपस्थित नहीं हो सके नीलेश कंभाणी
फॉर्म की जांच के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के चार समर्थक सामने आए और उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी को बताया कि फॉर्म पर जिस समर्थक के हस्ताक्षर हैं वह उनके नहीं हैं. प्रस्तावकों ने जिला कलेक्टर कार्यालय में कैमरे के सामने अपने बयान दिए थे. इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी और डमी प्रत्याशी को नोटिस देकर मामले पर स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया था. सूरत जिला निर्वाचन अधिकारी ने दोनों कांग्रेस उम्मीदवारों को रविवार सुबह 11 बजे कलेक्टर कार्यालय में सुनवाई में शामिल होने के लिए कहा था. लेकिन नीलेश कंभाणी चारों समर्थकों में से किसी के साथ उपस्थित नहीं हो सके.
प्रस्तावकों के अपहरण का आरोप
कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी और सुरेश पलसाडा जिला कलेक्टर कार्यलाय पहुंचे, लेकिन उनके चार प्रस्तावकों से कोई संपर्क न हो सका. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि उनके समर्थकों का अपहरण कर लिया गया है. उन्होंने इस मामले में सूरत के उमरा पुलिस स्टेशन में एक आवेदन भी दायर किया.
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी कांग्रेस
इस पूरे मामले में कांग्रेस के वकील बाबू मांगुकिया ने कहा कि 'हमें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. अब हम चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आदेश को दिल्ली भेजेंगे और वहां से जो फैसला होगा, उसके मुताबिक आगे बढ़ेंगे. अब हमारे पास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का मौका है. हम इस मुद्दे पर निश्चित तौर पर कोर्ट जाएंगे.
नीलेश कुंभाणी पर भी उठ रहे सवाल
हालांकि, इस पूरे मामले में सूरत कांग्रेस के नेता अब अपने ही उम्मीदवारों पर उंगली उठा रहे हैं. पूर्व नगरसेवक असलम साइकिलवाला ने कहा कि जिन्होंने भी उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का समर्थन किया, वे उनके साथी और परिवार के सदस्य थे. तो यह आरोप कैसे लगाया जा सकता है कि उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए जिस तरह से यह घटना घटी, यह जरूर कहा जा सकता है कि इसमें नीलेश कुंभाणी भी शामिल हैं. वहीं, एक अन्य कांग्रेस नेता पप्पन तोगड़िया ने कहा, जिस तरह से घटना सामने आई है, उससे निश्चित रूप से लगता है कि नीलेश भाई भी संदेह के घेरे में हैं. नीलेश इस बात से परिचित हैं कि इतनी बड़ी घटना कैसे हो सकती है, समर्थक फोन कैसे बंद कर सकते हैं.
सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा के लिए मुकाबला हुआ आसान
भाजपा ने सूरत लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद दर्शना जरदोश का टिकट काटकर इस बार मुकेश दलाल को मैदान में उतारा है. जिनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी से होना था. कुंभाणी और डमी कैंडिडेट का फॉर्म रद्द होने से अब भाजपा के लिए इस सीट पर मुकाबला बेहद आसान हो गया है. भाजपा नेता और कार्यकर्ता चुनाव के परिणाम पहले से ही सूरत लोकसभा सीट पर अपनी जीत निश्चित मान रहे हैं. गुजरात में तीसरे चरण में सात मई को मतदान होना है.
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