नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बारे में एक बात पहले से ही प्रसिद्ध है की वो एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव की तैयारी में जुट जाती है. भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले नेता और गृहमंत्री अमित शाह न सिर्फ खुद बल्कि पूरी पार्टी को इस चुनावी कार्यक्रम में टास्क में लगा देते हैं. ठीक इसी तरह अब पार्टी ने चुनाव खत्म होते ही मतदान के दिन की भी तैयारी की है. इस तैयारी को लेकर बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए कुछ अलर्ट जारी किए हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं के लिए कुछ दिशा निर्देश इस तरह से हैं:
- एजेंट का I Card पहले ही बनवाकर रखें.
- एजेंट तीस मिनट पहले पहुंचकर आगे का स्थान ले लें.
- ईवीएम मशीन प्रत्याशी और एजेंट के सामने खुले, इस बात का विशेष ध्यान रखें.
- फॉर्म 17C को एजेंट पहले देखें कि उसमे कितने वोट लिखे हुए हैं और कुल कितने वोट पड़े.
- ईवीएम मशीन की सील पार्टी एजेंट अच्छी तरह से चेक करें.
- यदि सील ठीक नही और आपको लग रहा की EVM से छेड़छाड़ हुई है तो आप अपनी आपत्ति दर्ज कर सकते हैं.
- सभी ईवीएम विधानसभा वाइज रखी होती है.
- ईवीएम के बीच में सफेद पेपर लगा होता है. यदि वह बीच में नहीं है, इसका मतलब ईवीएम से छेड़छाड़ हुई है. इसमें आप अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.
- मतगणना में आखिर तक पार्टी एजेंट को बैठे रहना बहुत जरूरी है.
ये दिशा निर्देश लगभग एक लाख कार्यकताओं को दी गई ट्रेनिंग का हिस्सा है, जिसे पार्टी ऑनलाइन के माध्यम से भी अपने एजेंटों को समझा रही हैं.
इस संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम से पूछे जाने पर उन्होंने कहा की भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी में शुमार है और हमारे लिए चुनाव का विषय बहत गंभीरता से लेने का विषय है.हमारी तैयारी ट्रेनिंग और सबकुछ बाकी पार्टियों से काफी पहले शुरू हो जाता है. इस सवाल पर कि इसमें कितने कार्यकर्ताओं को लगाया गया है, उन्होंने कहा वैसे तो एक ही एजेंट एक पोलिंग बूथ पर अधिकृत होता है मगर पूरे देश में ऐसे लगभग लाख कार्यकर्ता लगाए गए हैं और उन्हें ट्रेनिंग दी गई है. इस सवाल पर की क्या जहां बीजेपी की सरकार नहीं है वहां विशेष एहतियात पार्टी बरत रही है? उन्होंने कहा की कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिली है, बंगाल चुनाव के बाद भी लोगों ने देखा... इसलिए अपने एजेंट को पार्टी ने निर्देश दिया है कि यदि आपको ईवीएम मे छेड़छाड़ का शक भी हो तो तुरंत आपत्ति दर्ज करवाएं और उचित करवाई करें.
ये भी पढ़ें: ममता के गढ़ को क्या भेद पाएगी बीजेपी, किसका पलड़ा भारी ?